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कोयंडचक्कमज्झे अइयाँ रविकोडितेयभासाए । जो ज्झायइ अणवरयं सुच्चिय मयणो न संदेहो सिंदूरारुणतेयं जं जं चिंतेइ तरणिसंकासं। तडितरलतेयनांसं आणइ दूरट्ठिया नारी जवकुसुमसंनिहाणं ज्झाणं तियलोयसयलसरवंतं । जो ज्झायइ अणवरयं सो पावइ जुवइसंघायं सवरंरवन्नरूच्छं ईसरषिंडिंदुबिंदुसोहिल्लं। जो जवइ लक्खविहिणा सो पावइ चिंतिया नारी ससिठाणे विसहरणं सूरो मारेइ तिहुयणं सयलं । पावेइ सयलसिद्धी रविससिमज्झट्ठिए नूण ससिकोडितरलतेया वरिसंती बंभमंडले सत्ती। अवहरइ सयलदुरियं जरमरणं वाहिसंघायं अजरामरे सुचक्के हंसं ठविऊण सुन्नभावेण । नासइ सुन्नेण धुवं जरमरणं वाहिसंघाओ सुन्नं न होइ सुन्नं दीसइ सयलं पि तिहुयणं सुन्नं । अवहरइ पावपुन्नं सुन्नसहावे गओ अप्पा सुन्नट्ठिए सुसुन्नं भरिए भरियं च तिहुयणं सयलं । सूर-मयंकग्गामे सयलकलालंकियं भुवणं अक्को मयंकखित्ते बारह संकमणसट्ठिघडियाओ। वहइ दिणं अह राई . एक्कक्कं पंच घडियाओ पंच पहा दो मग्गा इक्को चिय वहइ तिहुयणे सयले । जत्थ गओ तहिं अच्छइ सुन्ने सुन्नं वियाणाहि
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