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तव हिव उभगवउ नहीं उधम कीधइ सर्वथा
मनसुं एम विचारिनइ रे, पाछउ राजगृह भणी रे, मानव देखउ कर्म सरुप,
हिवइ नंद कहइ तुम्हे रे, सेठ कहइ इक काम छइ रे,
ढाल-७
(कपुर हुवइ अति उजलउ रे, एहनी)
इस स्वामी इहां तुम्हे रे, लेख लिखी आपइ तिहां रे,
राजगृह उद्यानमइ रे, वीसामउ तिहांकिण लीयउ रे,
सूत तिहांकिण देहरइ रे, तेहवइ आवइ कन्यका रे
,
सागरशेठनी ते सुतारे, पूजी प्रतिमा दिन प्रतइ रे,
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करिव कोइ उपाय कारिज - सिद्धि जि थाय.
सेठ चाल्यउ तिण वार,
धरतउ देख अपार रे. इणवसि छइ रंक भूपरे आंकणी
उतावला किण हेत किण हीस्युं संकेत रे,
॥ ८१. मा० देख०
मुझ पुत्र मूंकर एह, चाल्य उ सेठनंइ गेह रे,
॥ ८२. मा० दे०
1120.
कामदेव प्रसाद,
थाकउ पंथ विषाद रे,
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॥८३. मा० दे०
रूप- पुरंदर सोय, जाणे अपछर होय रे,
॥८४. मा० दे०
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नाम विषा छइ लास मांगइ वर धउ खास रे,
।।८५. मा० दे०
८६. मा० दे०
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