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घरि घरिणी छइ तेहनइ विस्तरीय यश जेहनउ
आवी तसु कुक्षि उपनउ, संपूरण दिवसे थ
कुटुंब सहु मेली करी, माबापना मन हरखीयां
चंदकला जिम दिन प्रतइ
पिता मनोरथ पूरतउ
हुयउ वस्तर आठनउ प्रगटी तेहवइ तेहनइ
खबर थइ दरबारमां वृत्ति करउ एहन घरे
मात पिता बांधव सहु अनुक्रम क्षय पाम्या तदा
राउ दामन्नक एकलउ कुंकर कृत विवरइ करी
हिव पुरमां भमतउ थकउ रे, धरि धरि भिक्षा मांगता रे
तुम्हे जोवउ रे जोवउ
पूरव पुन्य तणइ उदइ
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सुयशा नाम अनुप परिमल कुशम सरुप.
उत्तम जीव सुनंद
जनम्य पूनिम-चंद.
दामन्नक नाम दीध
मंगल कारिज कीथ.
अनुक्रम वाधउ बाल, लोचन भाल विशाल.
थयउ कलान उधार
घरे भयंकर मारि.
राजा सांभली वात
न हुवइ लोकनउ घात.
दूहा
सगा-सयण कुटुंब
जिम दूरवातइ अंब.
पूरव पुण्य प्रभाव नाउ देखी दाव
ढाल - ५
(पारधियानी)
।।४५. ए०
॥४६. ए०
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॥४७. ए०
॥४८. ए०
॥४९. ए०
॥५०. ए०
॥५१. ए०
॥५२. ए०
भूख करी पीडाय रे बालक ते, त्रिपति दुहेली थाय रे बालक ते. ॥५३
अचरिज एह, बालक ते
लहीयइ लाछि अछेह रे . . बा० ॥५४
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