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________________ अज्ञात - जैन मुनि कर्तृकं हाल्लार- देश - चरित्रम् सं. मुनि धर्मकीर्तिविजय आ एक नवतर अने कौतुकरागी रचना छे. हाल्लार (हालार) देश अने नवानगर (जामनगर) नुं तेमज त्यांना लोकोनुं अने तेमना रीत-रिवाजोनुं आमां उपहासभर्युं वर्णन छे. आना कर्तानुं क्यांय नाम नथी, छतां देखीती रीते ज आ कोई जैन मुनिनी रचना होवानुं परखाई आवे तेम छे. (श्लोक ४६, ४९ ) जैन श्रमणसंघनी परंपरा अनुसार, श्रमणोनी जुदी जुदी टुकडीओए, पोताना गच्छनायक के गुरुनी आज्ञानुसार, प्रत्येक वर्षे नवा नवा गाम/नगरमां चातुर्मास पसार करवानुं होय छे. आनो मुख्य आशय जे ते क्षेत्रना स्थानिक जैन समूहने धर्माभिमुख बनाव्ये राखवानो होय छे. आमां बने एवं के साधुओ जुदा जुदा प्रदेशना जन्मेला अने रहेवासी होय; तेमनी भाषा, उछेर, रहेणी - करणी, रीत-रिवाज इत्यादि जुदी ज तरेहनुं होय. परंतु दीक्षा लीधा पछी तो तेमने माटे 'सब भूमि गोपालकी' बनी जाय; एटले साव अजाण्या अने अणदीठ प्रदेशोमां पण विचरवानुं अने रहेवानुं आवे. एमां कोइवार कोई मनस्वी साधुने क्षेत्रनी भाषा (बोली), खाणी पीणी, रिवाजो वगेरे जोईने नवं नवुं लागे अने पल्ले न पण पडे; तो तेनुं त्यां रहेवुं कदीक ऊभडक पण थई जाय. पण प्रस्तुत रचना आवा कोई मनस्वी पण टीखळी मुनिए रची छे एम मानी शकाय. तेमने तेमना गुरुजनोनी आज्ञाना अन्वये नवानगरमा रहेवानुं बन्युं हशे, त्यांनी परिस्थिति, पोते अनेक देशोना अनुभवी (श्लोक २) होवा छतां, तेमना मनने माफक नहि आवी होय, तेथी चित्तमां जागेला अचरजने आ रचनारूपे तेमणे वाचा आपी हशे, तेम लागे छे. पण आ उपहासात्मक वर्णन द्वारा पण, आपणने हालार - जामनगरना तत्कालीन पहेरवेश, खानपान, बोली इत्यादिनी जाणकारी मळे छे, ते तो खूब महत्त्वपूर्ण के उपयोगी बनी रहे तेवी छे, एम कहेवुं जोईए. आ रचनानी बे पानांनी एक प्रति, छाणीना प्र. श्री कांतिविजयजी ग्रंथ भंडारमां छे. तेनी झेरोक्स नकलना आधारे यथामति संपादन करीने अत्रे रजू करवामां आवे छे. प्रति संभवत: अढारमा सैकामां लखाई हशे तेम जाणवा मल्युं छे. प्रति - प्रारंभ अधूरो नमस्कार छे, अने प्रांते " इति चरित्रं संपूर्ण" एम मात्र छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520511
Book TitleAnusandhan 1998 00 SrNo 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages122
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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