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सम्पादकीय निवेदन
संपादकोनी फुरसदे चालती अनुसन्धान-यात्रानो आ ११मो मुकाम छे. संशोधनार्ह विषयो अने सामग्री हजी तो एटली अढळक छे के अनुसन्धान जेवी एकाधिक पत्रिकाओ होय अने ते नियतकालिक (अनियतकालिक नहीं) होय; अने मोटी संख्यामां मुनिगण तथा विद्वद्गण तेमां प्रत्यक्ष भाग ले, तो ते विषय-सामग्रीने कंईक अंशे न्याय आपी शकाय.
आ कार्यमा रस लेवा जेवो छे एवं जेमने पण प्रतीत थतुं / थयुं होय, तेओने आ यात्रामां भाग लेवा अमारुं हमेशां जाहेर आमंत्रण छे.
- संपादको
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