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हरिभद्रसूरिनी ज एक अन्य कृति 'संसारदावानलस्तुति' पण समसंस्कृतप्राकृत छे अने तेना पद्य १- संसारदावानलदाहनीरं साथे प्रस्तुत अष्टकनुं पद्य२ भवदवजलवाह वगेरे. पद्य-१-संमोहधूलीहरणे समीरण अने पद्य-३ मायारेणूसमीरण, पद्य-४ परिमलालीढलोलालिमाला अने पद्य-१- सुरनरनिवाहालिकुलसमालीढम् - समांतरे आस्वादी शकाय.
ढूंकमां विजयशीलचंद्रसूरिजी संशोधित, संपादित आ कृति काव्यतत्त्वनी दृष्टिए पण उत्तम कक्षानी बनी रही छे.
. संदर्भग्रंथ १. अनुसंधान , अंक-८, १९९७. २. अलंकारकोश , सं. ब्रह्ममित्र अवस्थी , इन्दु प्रकाशन , दिल्ही,
ई.स. १९८६. ३. काव्यालंकार - सं. रामदेव शुक्ल, चौखम्बा, विद्याभवन, वाराणसी,
ई.स. १९६६. ४. सरस्वतीकंठाभरण - सं. केदारनाथ अने वासुदेव शास्त्री, निर्णयसागर,
मुंबइ, ई.स. १९२४. ५. संसारदावानलस्तुति , श्री दयाविमल जैन ग्रंथमाला, अमदावाद.
ई. स. १९१७. ६. साहित्यदर्पण - सं. पं. दुर्गाप्रसाद द्विवेदी, निर्णयसागर, मुंबइ,
ई. स. १९०२.
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