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वामलूरना पर्यायो तरीके आप्या छे (४७३) । 'देशीनाममाला'मां वम्ह रप्फ (७,३७) अने रप्फो-वम्मीअ (७,२)। प्राकृत महाकाव्य 'गउडवह मां बे वार वामलूरनो प्रयोग मळे छे। (पद्यांक ५२९,५७३). वामलूर अमरकोशमां 'राफडो' एवा अर्थमां आपेलो छ। हेमचंद्राचार्यना कोशमां 'राफडो' माटे वधारेमां वनीकूट, कृमिपर्वत अने शक्रशिरः आप्या छे । तेनो पर्याय शक्रुमूर्धन् पण संस्कृत कोशोमां नोंधायो छ। राफडाने इंद्रनुं मस्तक कहेवानी लोककल्पना चोमासामां नीकळती राती 'गोकळगाय'ने इन्दगोप नाम आप्यु छे एमां पण प्रतीत थाय छ। हेमचंद्रे तेने माटे अग्निरजः (शब्दार्थ 'अग्निकणी') पण आपेल छ। 'देशीनाममाला'मां ऊर शब्द 'ग्राम, संघ'ना अर्थमां नोंध्यो छे. (१,१४३) (= आ मूळे तो द्राविडी शब्द छे)। वम्मलूर उपरथी वामलूर थयो होय, अने वम्मलूर एटले वम्मल+ऊर = 'कीडीवाळो ढग'। सरखावो वनीकूट।
ह. भायाणी
(३) चामरी 'घोडो', कुटर 'घोडो'
परंपरागत संस्कृत कोशोमां चामरी शब्द 'घोडो' ए अर्थमां आपेलो छे। जेम के 'अभिधान-चिन्तामणि'नी पूर्ति रूप 'शेषनाममाला' मां (१२३३)। जेने चामर 'केशवाळी, याळ' होय छे, ते चामरी। मोनिअर विलियम्से नोंध्यु छे के तेने बदले कोईक कोशमां मळतुं वामरी एवं रूप भ्रष्ट पाठवें परिणाम छे - च ने बदले भूलथी व लखायो के वंचायो छ ।
हवे हेमचन्द्राचार्यकृत 'देशीनाममाला'मां वामरी शब्द 'सिंह' एवा अर्थमां आप्यो छे (७,५४)। ए पण चामरी ज जोईए। सिंह पण केशवाळी परथी चामरी कहेवायो । प्राकृत हस्तप्रतोमां च अने व एकबीजाने बदले लखवानी भूल सामान्य छ। देश्य शब्दोमां थयेलो आवो विनिमय में Sudies intyalrakrit मां नोंध्यो छ (पृ. २०-२४)।
अहीं ए पण नोंधीए के शेष भट्टारके पूर्ति रूपे आपेला अश्ववाचक · शब्दोमां एक कुटर पण छे । आ पाछळथी संस्कृतमा प्रवेशेला द्राविडी
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