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________________ 98 शके तेम न होय तेवी मूर्धन्य विभूतिओना पोते मानसपुत्र होवानी भ्रमणामां राच्या होय तेवू बन्युं छे. आ संजोगोमां, जयंतभाई मो. द. देशाईना मानसपुत्र तरीके ओळखाववानुं हुं उचित नहीं गणुं, तेम पसंद पण नहीं करुं. परंतु 'जैन गूर्जर कविओ'ना अनुसर्जनना कार्यना संदर्भमां एटलुं तो अवश्य कहीश के जयंतभाईए मो. द. देशाईना योग्यतम उत्तराधिकारी छे. . जैन समाजने याद करीने हुं अहीं उमेरीश के मो. द. देशाई जेवा पोताना मूर्धन्य अने बहुश्रुत जैन विद्वानने तथा तेना शकवर्ती सर्जन-संशोधनकार्यने जैन समाज लगभग भूली गयो हतो तेवे टाणे जयंतभाईए आ ग्रंथश्रेणीना पुनरुद्धार द्वारा सर्जक तथा सर्जननी पुनःप्रतिष्ठा करी छे अने दायकाओ सुधी आपणे आ सर्जनने तथा सर्जकने भूलीए नहीं तेवी योजना करी आपी छे ते बदल समग्र जैन समाजे जयंतभाईने वधाववा जोईए. जो मने जैन समाज वती कहेवानो हक मळतो होय तो हुं कहीश के जयंतभाई, जेम मो. द. देशाईने अने 'जैन गुर्जर कविओ'ने अमे नहीं भूलीए , तेम तमने - तमारा आ पुनःसर्जनने पण अमे कदी भूलीशुं नहीं. -विजयशीलचंद्रसूरि समुद्धारयज्ञनी पूर्णाहुति मो. द. देशाईना 'जैन गूर्जर कविओ' ए विषयनी दृष्टि तो ते प्राचीन गुजरातीनी एक सविस्तर हस्तप्रतसूचि छे - जैन हस्तप्रतभंडारोमा तेमज अन्यत्र संग्रहायेली हस्तप्रतोनी सूचि. परंतु तेनी साथे तेमणे समग्र जैन परंपरा विशे जे संलग्न साहित्यिक, ऐतिहासिक अने सांस्कृतिक सामग्री पण एकत्रित करीने आपी छे अने जे उपयोगी परिशिष्टो अने सूचिओ आपी छे ते जोतां ए महाग्रंथने जैन परंपरानां अने पासांओने लगतो माहितीकोश पण गणवो ज पडे. जैन परंपरानो समग्रदर्शी इतिहास तैयार करवा माटेना काचा मालनो ए अमूल्य, अढळक खजानो छे. 'जैन गूर्जर कविओ'नी भूमिका अने परिशिष्टो रूपे आपेल लखाणोने सधारीमठारीने भाई जयंत कोठारीए (१) देशीओनी सूची अने कथानामकोश, (२) गुरुपट्टावलीओ अने राजावली तथा (३) जूनी गुजरातीनी पूर्वपरंपरानो इतिहास - एम त्रण भागमा प्रकाशित करवानुं काम अहीं पार पाड्युं छे, अने एम पोताना समुद्धारयज्ञनी तेमणे पूर्णाहुति करी छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520509
Book TitleAnusandhan 1997 00 SrNo 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages126
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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