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- सह अक्खउ अक्खय-गुण-निवास ॥३२८ इम सुणिय कुमर-वर राय--वाणि, बहु-विणय-नमण--पुव्वंग-दाणि । कह देव सुकय आएस हेव, पुच्छइ जं होस्यइ मुणिसि तेव ॥ ३२९
गाथा
इय निसुणिऊण राया, जायातुल्लाणुराग-वच्छल्लो । चिंतइ संताणमहो, परोवयारिक्कचवलत्तं ॥ ३३०
नाराच एम चिंति चित्ति भूव धूअभूरिभग्गसंगओ कुमारसार-पुत्त- पेम-पाणि-वाणि-संगओ । कुमारि-गेहि चित्त-रेहि रेहियम्मि वच्चए सतीइ पीइ दंसणिज्ज दंसणेण वच्चए ॥ ३३१ सुपुत्ति झत्ति तुज्झ सत्ति-पुण्ण-पुप्फ-ताणिओ कुमार एस गुण-निवेस तुम्ह कज्जि आणिओ । संभलिय एम वयण खेम निय सुबप्प-वयणओ सा दिअइ माण चत्त-ठाण आससेण जयणउ ॥ ३३२ तउ तुरंत तीइ नयण सज्ज-कज्ज-कारणे कुमार-राय राय-लोग-पच्चयावहारणे । सुगंध दव्व सव्व आणि मंडलग्ग मंडए सुनाणझाण... ... डंबरेण तंडए ॥ ३३३ सछन वल्लि चूरि पूरि तासु चक्खु-कूवया पलोयमाण रायराण रइस रूव भूवया । भणंत एम पत्तपेम पत्त देव सुंदरा नरा अणेग बहु विवेग जयसु देवि इंदिरा ॥ ३३४
कलश षट्पद जयसुदेवि मंदिर राय-कुल हर वर-दीविय । जय ललियंग-दिणेस-पाय-कमलिणि-संजीविय ।। जय धारणि-धर-कुच्छि-रयण बहु-गुण-गण-खाणिय । जय सुरसुंदर रूवि भूवि भोगिंद सुमाणिय ॥
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