SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [42] तम्मि दिणे हेममयी पडिमा पच्चक्खया य पूइज्ज कंचणमणिआहरणेहि सोहियं । वीरजिणवण(?) सच्चउरे पुरहाणेए पभावग्गा धम्म मुयउ(- -) वला चउदससद्धे सोलसद्धे च तित्थयणरकया(?)। जिन्नुद्धार नूणं काही सो पुत्रचंदसिद्धीया। दुसहस्से चउ पंच य नव सहकारेण विति । विवहरणे किं तहावे समाणए सुद्ध करिस्संति । विमले दत्ते वि हु स चारुदत्ते वि तं बिंति ॥२ दत्तसुउ जियसतू होही तस्स नियमेह घोसन्ति । सच्चउरा वीरजिणं विसेसउ विणयत्तयणयं ॥३२॥ इत्थंतरे ॥८१९ वियकंते मगहारिहिवइत्थपएसेणोयणालाणो ॥३४ इग इगवीसहए सद्धि पडेलि दुन्ने नरिंद पउमत्ति(?) । आव्वइहा इगचिते दुढे विहसंतवेत्थ वि ॥२५॥ चउरो सहसअहिए जियसत्तु नरवरो वि दुढे वदंडोहसच्चदेसे जक्खेणं ताडए सिग्धं ॥२६॥ वासट्ठारससहसे अइक्कंतीसु छठ्ठीए । अणपन्निय पणपानिय कयपाडिहो(हे)रविहियनिच्चमंगलरवे । पयडिय अणुदिणुमहूसवो वा(ठा?) विही ताव उसप्पिणीए दुसमसुसमाए वियवंताए दुसमाए गए दुसमसुसमाए सिरिपउमनाहतित्थे सम्मदिट्ठिदेवयाभिउगा(गे)णं पयडिज(ज्ज)ई विसेसउ । पुडलतित्थे धम्मट्ठच्छेए अणारिए वि पूइज्जई ॥२७॥ ति(त)त्थ अणारिए वि पूम(य ?)णं । एवं मिच्छद्दिट्ठि परिवीय ना(?) (परिवायगा?) ॥१०॥ नमंसिऊण गया ॥५७॥ दो वि मिच्छत्तचक्किणो तित्थपडिणीयाभा सद्धिया एव ॥५८।। सम्मदिट्ठिजक्खेणं परा पूआ सोमन्नाणं सक्कि(?) तित्थेसरेनिव्वुए तित्थवुच्छेए अणायरिए वि पूयणं ॥५०॥ सुव्वयतित्थे ॥५१।। अममतित्थे ॥५२॥ एवं सव्वे ॥६०॥ न सखं(संख) बेमि जा साहरम्मि तित्थगरे सुक्खपूयट्ठज्जाए(?) एवं सपुहुत्तविसेसउ अतुलियबलमाहप्पविसेसिउ जयइ वद्धमाणोत्ति । एवं सुणिऊण नाहडराया हरिससारनिब्भरो सट्ठाणं गयउ। तिकालजिणच्चणपरो अन्नावतित्थाई फासंतो जिणसासणपभावगो सिरिगुणसुंदरसमक्खं कयअणसणो सुगइ(इं) पय(गओ ?) । सरु(रू)वा त(ति)त्थस्स माहप्प(प्पं) ॥ पढमाणुउग्गे सोलसमज्झयणं ॥ छ ॥ छ । शुभं भवतु ॥ छ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520506
Book TitleAnusandhan 1996 00 SrNo 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages122
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy