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पूरक नोंध
पृ. ३१. हेमचन्द्राचार्य शिष्य देवचंद्रसूरिकृत 'चंद्रलेखा-विजय-प्रकरण' ( मुनिश्री पद्युम्नविजयजी द्वारा संपादित ए कृति ट्रंक समयमा प्रकाशित थ) ना बीजा अंकमां नायक विजय वैताढ्यपर्वत परथी पोताना आवासे मधारते गुप्त रीते आवी पोतानी पूर्वपरिणीत पत्नी देविप्रभा साथै संग करी पाछो फरे छे, अने साची हकीकतथी अज्ञात सासु-ससरा सगर्भा बनेली देविप्रभाने कलंकिनी मानी वनमां एकली त्यजी दे छे-एवी घटनानुं निरूपण करे छे. आम 'पुष्पदूषितक' अने 'नंदयंती' मां जेनो उपयोग थयो छे ते कथाघटकनो देवचंद्रसूरिए पण उपयोग कर्यो छे.
प्रकाशनमाहिती
१. वोर्डर कृत 'इंडिअन काव्य लिटरेचर', छठ्ठो ग्रंथ
केनेडाना प्रोफेसर ए. के. वॉर्डर जीवन-भर करेला संस्कृतादि भारतीय प्रशिष्ट भाषाओना साहित्यना अध्ययनना निचोड रूपे, १९७२थी प्रकाशित थई रहेला तेमना ग्रंथरत्न 'इंडिअन काव्य लिटरेचर' नी, तेनी आगळना कीथ, विटर्निट्झ, दासगुप्ता अने सुशीलकुमार दें वगेरेना साहित्य - इतिहासोथी जुदी • पडती बे-त्रण अनन्य लाक्षणिकताओ छे. वोर्डर पोताना विषयभूत काव्यसाहित्य माटे एक तो संस्कृत उपरांत पालि, प्राकृत, अपभ्रंश अने दक्षिण भारतीय द्राविडी भाषाओनी काव्यकृतिओनो पण वृत्तांत आप्यो छे. (अहीं 'काव्य' एटले जेने संस्कृत काव्यशास्त्रमां काव्य कह्युं छे ते एटले के ललित साहित्य). बीजुं, तेमणे प्रकाशित कृतिओ उपरांत जे केटलीक हजी मात्र हस्तप्रतोमां ज छे तेमनो पण समावेश कर्यो छे. त्रीजुं, आ काव्योना रसास्वाद अने मूल्यांकन माटे तेमणे अर्वाचीन पाश्चात्य विवेचननी दृष्टि नहीं, पण भारतीय साहित्यशास्त्रनी दृष्टि अपनावी छे, अने सर्वत्र काव्योना टीकाकारोए अने काव्यशास्त्रीओए कृतिओनां जे जे स्थानोनी समालोचना करी छे तेनो हवालो आपवा साथे घटतो लाभ उठाव्यो छे. १९९२मां प्रकाशित थयेल 'इंडिअन काव्य लिटरेचर'ना छठ्ठा ग्रंथमां जैन साहित्यनी जे बावीश कृतिओनो वृत्तांत आप्यो छे तेनी विगत नीचे प्रमाणे छे :
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