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पणि गांगेउ न जाणइ इसिउं चित्रांगद-मनि छइ जं जिसिउं । विणु पूछिया बांधव गांगेउ सकल सेन चालिउ तेउ ॥ १२० रोवांचिइ(?) जई वींटिउ नगर तिहां नीलांगद राजा सधर । अंगोअंगि हुआ बिहु घाउ रिणिहि रहिउ चित्रांगद-राउ ॥ बांधव-तणइ वयरि गांगेउ चालिउ चउपट रथि बइसेउ । बोलाविउ नीलांगद-राउ झूझ-तणु रे करि समदाउ ॥ बेउ महा-भड रिणही चडिया रावण-राम तणी परि भिडिया । गांगेउ-सिउं लीधा घाउ रिणि रहिउ नीलांगद राउ ॥ लीधा मयगल सयल तुरंग लीधीअ लूसी आथि सपतंग । लोकां सविहुं दीधी धीर लेई देस. वलीउ वर वीर ॥ आविउ गयपुर-नयर-मझारि बांधव-तणुं दुक्ख अपारि । मृत्य-काज कीधां नवि घाटि विचित्रवीर्य बइसारिउ पाटि ॥ १२५ राति-दिवस सेवा नितु करइ सत्यवती नितु पय अणुसरइ । विचित्रवीर्य विवाहह रेसि चर मोकलिया चिहु दिसि देसि ॥ जे देखु कंन्या गुणवंति विनयवंति जे वलि रू पवंति । बलि छलि ते कंन्या आणेसु विचित्रवीर्य हुं परणावेसु ॥ १२७
(चालु)
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