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२६.
छदमत्थु केवलि सुयकेवलि छट्ठि तपु पारइ लबधिसमिद्धो
सुमन
२८.
छद्मस्थ-केवलज्ञान पूर्वेनी अवस्था केवलज्ञानी श्रुतकेवली-दृष्टिवादना ज्ञाता बे उपवासना पारणे बे उपवास करे. विशिष्ट सिद्धिओथी समृद्ध यश होड, स्पर्धा
जसु
कौतुक
२९. तुडि
कउतिगु सुहज्झाण तिणि ताली पावडिय
३५.
शुभ ध्यान त्रण पंक्ति पावडीए - पगथिये
तावस
तापस
वेसमणु
थूलतणु
स्थूलकाय चारणलबधि
विद्याचारण-जंघाचारणनामे लब्धि ४, ८, १०, २,ए क्रमे २४ तिर्थंकरनी प्रतिमाओ ते मंदिरमा स्थापित छे.
वैश्रमण-कुबेर पुंडरियज्झयणु 'पुंडरीक' नामे अध्ययन जंभग सुर
'तिर्यग् जुंभक' नामनी देवजाति जिउ
जीव निगुरउ
नगुरं-गुरु वगरनुं ४२. पडिघउ
पडघो-गोचरीनुं पात्र, प्रतिग्रह आषीणी
अक्षीण -अक्षय उलंभउ
ओलंभो - उपालंभ - ठपको परीच्छवइ
प्रीछवे - परख करावे ४६. दुमपत्तय
'द्रुमपत्रक', उत्तराध्ययनसूचना १० मा
अध्ययन- नाम खवगसेणि
क्षपकश्रेणि, आत्माना ऊर्ध्वगमननी जैन संमत विशिष्ट प्रक्रिया
४७.
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