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________________ बम्बई का देवनगर कत्लखाना बम्बई के देवनार कतलखाने के ग्रास पास बड़ा ही प्रजीव दृश्य होता है हृदयविदारक मोर घृणित माहौल शोकाकुल नजर आता है। पशुओंों की दर्द भरी चीख सुनाई पड़ती है और जहां इन्सान की उनको आप से मारते हैं। पाशविकता पर पशु यहां गन्दगी और दुगंध का साम्राज्य है। पशुओंों के साथ मुले घाम हिंसा के निष्ठुर दृश्य रो रहे हैं भी શ્ का जीवन दान मिल भी गया तो चारे और पानी बिना छटपटाते और दर्द से रंभाते नजर माते हैं यहां आम है। यहाँ वहाँ चील O सुनील शर्मा देवनार कत्लखाने के पासपास कई सुवाक्य लिखे हैं : "मूक प्राणियों के लिये प्रसीम करूणा की जरूरत है " गांधी गिद्ध और कौवों के झुण्ड पशुओं काटा जाता है। कानून से 20 बैल निश्चित ठू से जाते हैं। जी कहा करते थे : गाय-बैल के मांस को नोंचते नजर प्रतेि सर्टिफिकेट लेने के लिए वे मार रास्ते में दम घुटकर दो चार मर दया-धर्म की मूर्तिवत कविता हैं। मार कर इन पशुओं के पैर तोड़ जाते हैं एक दो प्राप्स में सींगा इस गरीब और सरोफ जानवर हैं या श्रांखों में नुकीला टकराने से लहूलुहान हो जाते में केवल दया ही उमड़ती है। लोहा डालकर उन्हें अंधा बना हैं। कानूनी व्यापारियों का वह उद्देश्य लोग बन लिए घूमते रहते देते है । ऐसा करने के पीछे पशुकतलखाना परिसर में कुछ हैं । देवनार में हर रोज कानून यह लाखों करोड़ों की हत्या होती है । प्रशासन का नाक के नीचे और कानून की निगाहों के सामने करार दिए गए बर्बरतापूर्ण तरीकों से इन मूक प्राणियों के साथ ब्यवहार किया जाता है । बूढे बैलों के नाम से गायें कटती है की सामी सृष्टि की रक्षा को पालने वालो माता है। इस गाय-बैल की रक्षा करना ईश्वर मूक रहता है कि वे जानवर प्रब कृषिकार्य के लायक नहीं रहे हैं। यह अपराध विशेष तौर पर रात्रि 12 बजे से प्रातः 4 तक किया जाता है । कत्ल से पूर्व भैंसों के दूध का श्राखिरी कतरा तक निकालने लिए । के बजे है करना है । गाधीजो के अनुसार गोरक्षा हिन्दुस्तान की संस्कृति की दुनिया के लिए बख्शिश है । पशुधन के जानकार कांतिनार पहुँच गया, उसे कत्ल के भाई बताते हैं कि गो वध से देश का योग्य का प्रमाण पत्र मिल हो को कितनी मपार हानि हो रही वैसे तो जो भी मवेशी देव मरे हुए गाय बैलों है । केवल देवनार कत्लखाने में खड़े हो जाते हैं और अन्दर माते कुछ देवनार कतलखाना कभी न मिटने वाली कातिल भूख लिए खड़ा है। यहां पशुओं के रोंगटे चमड़ा कड़ा हो जाता है । चमड़ा जाता है पर कानूनी बचाव और नरम रहे, इसके लिए जिन्दा सन्तोष के लिए दो चार पशुओंों 1985-86 में 165926 पशु हो इन मूक पशुओं की जिन्दगी जवान गाय-बेल को कत्ल किया को प्रामण पत्र नहीं भी दिया काटे गये थे। 1989-90 में मिनटों की ही बचती है। जाता है। मुलायम चमड़े के जाता है। ऐसे पशु भी जिन्दा इनकी संख्या बढकर 204762 अगर किसी कारणवश कई घटो नहीं रहते, बल्कि अन्धेरी गलियों हो गई थी। जबकि गाय बैलों में काटे जाते है, एक कसाई ने का वध केवल पंजीकृत बूचड़ऐसा कहा । देवनार कतलखाना खानों में ही नहीं होता है। इस देवनार कतलखाना से जुड़े के प्रास-पास बहुत से ऐसे मज कारण यह अंदाज कठिन है कि एक व्यक्ति ने यहां तक कहा कि दूर घूमते रहते है जिनका काम कितने उपयोगो पशु वास्तव में उपयोगी जवान बैल कट रहे हैं। दूसरे कतलखाने तक पहुंचाने कत्लखाना में अस्सी प्रतिशत यहां नहीं कटने वाले बैलों को काटे जाते हैं। अनुमान है कि इन मूक पशुओंों पर इन्सानों का भी दिल दहला देने वाले जुल्म होते हैं। का दूध देने वाली पचास हजार से अधिक गाय में से केवल कलकत्ता परिवहन वाले कत्लखानों से जुड़े हुए छोटे बड़े लोग, सरकारो कर्मचारी, देश-विदेशों में गोमांस और चमड़े का व्यापार करने वाले लोग सबके सब प्राथिक स्वार्थवश गोहत्या से जुड़े हैं। 12 अधिकांश राज्यों में यह होता है। गौमांस का निर्यात अब देशों में होता है मोर वे लोग मुलायम और उत्तम मांस की मांग करते हैं । इसलिए कई कानून है कि उनके प्रदेशों से देवनार कत्लखाना एशिया मद्रास और बंबई में काटी जाती गलत तरीकों से जवान और कत्ल के लिए पशुओं की निकासी का सबसे बड़ा और विश्व का है । उपयोगी गाय, बैल और बछड़ों नहीं होगी, लेकिन ठीक इसके दूसरे नम्बर का कत्लखाना है । दो हजार टन गोमांस का वध भी यहां किया जाता है। विपरीत हो रहा है। गुजरात, यहां चौबीस घंटों में ग्यारह 1973-74 में निर्यात हुआ था । जवान और अच्छे जानवरों को मध्य प्रदेश और राजस्थान से हजार जानवरों को काटने की वहीं 1969-70 से 42 हजार टन कत्ल के लायक बनाने के लिए देवनार कत्लखाना में नियमित व्यवस्था है-एक हजार बैल, गौमांश विदेश भेजा गया था । उन्हें लंगड़ा या अंधा कर दिया मवेशी वध के लिये आते हैं । एक हजार भैंस, एक हजार 1981-82 में एक लाख 90 जाता है । इम तरह से इन गुजरात सरकार ने कत्ल के बैलों सुमर तथा आठ हजार भेड़ बकरे हजार टन गोमांश का निर्यात पशु क्रूध के की उम्र बढ़ाकर सोलह साल दुनिया में इससे बड़ा शिकागो हुना था । यह गोमांश मुख्यत: योग्य बनाया जाता है । जवान कर दी है। वहां यह भी कानून (अमेरिका) का कत्लखाना है । स्वस्थ पशुओं का रहा हैं। समय • और स्वस्थ बछड़ों का भी काटने है कि गुजरात की सीमा के गाय देश में प्रतिदिन अनुमानतः तीस के साथ विदेशी मुद्रा की लालच योग्य का प्रमाणपत्र पशु चिकि- बैल कटने के लिए बाहर नहीं हजार गाय-बैल काटे जाते हैं। में सरकार इस गोमांस निर्यात त्सा विभाग के अधिकारी कई जायेंगे। इन कानूनों के बादजूद वर्तमान कानून, प्राधिक को बढावा देती रही है । कारणों से देते है । नाम नहीं प्रतिदिन लगभग 25 ट्रक जवान लाभ तथा भ्रष्टाचार के कारण. कई गोरक्षा प्रेमियों बताने की शर्त पर एक व्यक्ति बल बम्बई आ रहे हैं। एक ट्रक गोवंश हत्या को प्रोत्साहन दे मानना है कि आज देश में खेती कहता है रात में ज्यादातर में आठ बैल लादने की इजाजत रहा है । गाय-बैल खरीदने के काम के लिये जरूरी पशुओं जवान धौर कोमल बछड़ों को है, पर एक-एक ट्रक में 18 से बेचने वाले व्यापारी, दलाल, की संख्यां में खतरनाक कमी प्रा का रही है । •
SR No.520402
Book TitleSankalan 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorViniyog Parivar
PublisherViniyog Parivar
Publication Year
Total Pages40
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Sankalan, & India
File Size6 MB
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