SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक दीप से कोटि दीप हों वह अंधेरे में सरकता चुपचाप जीसस के पास पहुंचा। हिलाया मार्ग में आए, मार डालना। लेकिन मेरा अर्थ समझ लेना। उनको, कहा कि सुनो। एक बात पूछनी है। तुम्हें मिल गया? किसी को मार मत डालना। कि पत्नी बीच में आए तो उठाकर जीसस ने कहा, दिन में क्यों न आए? निकोदेमस बोला, लोगों एक टेंडपा उसका सिर तोड़ दो। के कारण। __ भीतर तुम्हारे जो-जो बाधाएं हैं उन्हें गिरा दो। बाहर कभी कोई जीसस ने कहा, इतने लोग आते हैं, लोगों के कारण कोई बाधा नहीं है-रही ही नहीं। बाहर तो हमारी तरकीबें हैं। जो रुकता नहीं। रुकने का कारण कहीं भीतर होगा। निकोदेमस, हम भीतर से करने में डरते हैं, लेकिन इतनी भी हिम्मत नहीं है कि किसे धोखा दे रहे हो? इतने बड़े पंडित और समझदार होकर स्वीकार कर लें अपनी कमजोरी, उनके लिए हम बाहर कारण इतनी-सी बात भी समझ में नहीं आ रही? रात में मिलने आए | खोजते हैं। यह बाहर का सब तर्कजाल है। हो ताकि किसी को पता न चले? ताकि कल भरी दुपहरी में तुम | तुम कहते हो पत्नी दुखी होगी, इसलिए संन्यास नहीं ले रहे कह सको कि यह जीसस आवारा है? जो जाते हैं इसके पास, | हो। लेकिन और कितने काम तुमने किए, तब तुमने पत्नी के नासमझ हैं, भूले-भटके हैं। यह दूसरों को भटका रहा है। ताकि दुखी होने की कोई फिकर न की; संन्यास में ही फिकर कर रहे तुम अपनी प्रतिष्ठा भी बचा लो निकोदेमस! और तुम्हारे पास हो? पत्नी तुम्हारी सुखी रही है इसका अर्थ है पूरे जीवन? अभी कुछ है भी नहीं, इसलिए तुम पूछने को भी तरसते हो। तक मैंने सुखी पत्नी नहीं देखी, न सुखी पति देखा। सब रोते _हां, मुझे मिला है लेकिन मैं तुमसे कहता हूं, जब तक तुम मरो दिखाई पड़ते हैं। पति सोचता है, पत्नी दुख दे रही है। पत्नी नहीं, तुम्हारा पुनर्जन्म न हो, तुम न पा सकोगे। सोचती है, पति दुख दे रहा है। और फिर भी तुम कहते हो, पत्नी निकोदेमस भी प्रश्न पूछनेवाले की तरह गलत समझा। उसने दुखी होगी। इतने दुख दिए, यही एक दुख देने में डर रहे हो? / कहा, मरो नहीं? क्या मतलब? और पुनर्जन्म से तुम क्या नहीं, कहीं कुछ और बात है। शराब पीते हो तब नहीं सोचते चाहते हो? क्या मैं फिर किसी स्त्री के गर्भ में प्रवेश करूं? यह कि पत्नी दुखी होगी। जुआ खेलते हो तब नहीं सोचते कि पत्नी तो असंभव है। दुखी होगी। किसी और स्त्री के प्रेम में पड़ जाते हो तब नहीं जीसस ने कहा, सीधी-सीधी बात है। असंभव मत बनाओ। सोचते कि पत्नी दुखी होगी। तब कहते हो क्या करें! मजबूरी न तो मैं यह कह रहा हूं कि तुम मरो; और न मैं यह कह रहा हूं, | है। हो गया, प्रेम हो गया; अब क्या करें? किसी स्त्री के गर्भ में प्रवेश करो। मैं इतना ही कह रहा हूं कि ऐसा ही कह न सकोगे कि संन्यास हो गया, अब क्या करें? तुम्हारा पुराना अहंकार गिरे। तुम नए हो जाओ। प्रतिष्ठा पाकर नहीं, पत्नी से किसको प्रयोजन है? और फिर दूसरे को दुख देना क्या मिला? देखो जीवन को सीधा-सीधा। प्रतिष्ठा है तुम्हारे न देना तुम्हारे बस में है? सुख देना तुम्हारे हाथ में है? पास, पद है तुम्हारे पास, तथाकथित ज्ञान का अंबार लगा है | जो तुम नहीं करना चाहते हो उसके लिए तुम बाहर कारण तुम्हारे पास; मिला क्या? छोड़ो उसे, जिससे नहीं मिला तो तुम खोज लेते हो। जो तुम करना चाहते हो, उसके लिए भी कारण पाने के हकदार हो सकते हो, जिससे मिल सकता है। मैं देने खोज लेते हो। करते तुम वही हो, जो तुम करना चाहते हो और को तैयार हैं। लेकिन पहले इस सबको मार आओ, मिटा सदा कारणों का सहारा ले लेते हो। आओ। पुराने को गिराओ ताकि नया निर्मित हो सके। ये जब जीसस कहते हैं, मार डालो जो बाधा बने—उनका कुल घास-फूस उखाड़ो और फेंको ताकि फूलों के बीज बोए जा प्रयोजन इतना है कि अपने भीतर से सारा जाल गिरा दो, फिर सकें। निकोदेमस ने कहा कि यह जरा कठिन है। तुम्हें जो ठीक लगे, करो। तभी कोई जीसस के पीछे आ सकता लेकिन अगर सत्य को पाना इतना भी मूल्यवान नहीं है कि तुम है। तभी कोई मेरे साथ आ सकता है। कुछ चुकाना पड़ेगा थोड़ी कठिनाई से गुजर सको तो तुम सत्य पाने के हकदार भी | मूल्य। सत्संग मुफ्त तो नहीं है। महंगे से महंगा सौदा है। और संसार में सब चीजें छोटी-मोटी चीजें देने से मिल जाती सीधा-सा मतलब है। वही मैं भी तुमसे कहता हूं कि जो तुम्हारे हैं, यहां तो कोई अपने को पूरा दे सकेगा तो ही पा सकेगा। नहीं। 619 ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340161
Book TitleJinsutra Lecture 61 Ek Dip se Koti Dip Ho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy