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________________ जिन सूत्र भाग : 2 कहते हो कि 'प्रेम के पुजारी से ऐसी आज्ञा ?' करते थे वे आ गईं। इस आदमी के पास कुछ है। हम इसके यह प्रेम की ही आज्ञा है। यह आज्ञा बड़ी प्रेमपूर्ण है; नहीं तो | साथ चलेंगे। यह भी न पूछा तुम कौन हो? पता-ठिकाना? दी न गई होती। जीसस तुम्हें प्रेम करते हैं इसलिए ऐसा कह तुम्हारा अधिकार क्या? तुम्हारी आप्तता क्या? किस अधिकार सके। यह पुकार प्रेम की ही पुकार है। अन्यथा तुम्हें पीछे चलाने के बल से बोल रहे हो कि हमारे पीछे आओ, फेंको जाल? में कुछ जीसस को सुख मिलनेवाला नहीं है। न तुम्हें पीछे वे पीछे हो लिए। वे गांव के बाहर निकलते थे कि एक आदमी चलाते, न फांसी मिलती। तुम्हें पीछे चलाया, फांसी मिली। | भागा हुआ आया और उसने कहा कि तुम दोनों कहां जा रहे हो अकेले बैठे रहते, कोई फांसी लगानेवाला न था। तुम्हें चलाया | पागलो? तुम्हारा बाप, जो बीमार था, वह मर चुका। तो कंधे पर अपनी सूली ढोनी पड़ी। अकेले बैठे रहते, तुम्हें पीछे उन दोनों ने जीसस से कहा, हमें तीन-चार दिन की मोहलत, न चलाते तो सली ढोने की कोई नौबत न आती। सुविधा दे दें। हम जाकर अपने पिता का अंतिम संस्कार कर तुम्हें साथ चलाकर जीसस को क्या मिला? फांसी मिली, आएं। तो जीसस ने कहा कि जो मुर्दे गांव में हैं, काफी हैं। वे मुर्दे सूली मिली। कोई सिंहासन तो मिल न गया। लाभ जीसस को का संस्कार कर लेंगे। तू फिकर न कर। तुम फिकर मत करो। क्या हो गया? लेकिन प्रेम था। बिना चलाए न रह सके। जो | तुम मेरे पीछे चल पड़े तो अब लौटकर मत देखो। मरे हुए बाप मिला था, बिना बांटे न रह सके। जो पाया था, चाहा कि तुम्हारी को दफनाने के लिए मरे हुए लोग काफी हैं गांव में; वे फिकर कर झोली में भी भर दें। किसी गहन प्रेम से ही पुकारा था कि आओ लेंगे। मुर्दे मुर्दे को दफना लेंगे। तुम मेरे पीछे आओ। मेरे पीछे। किसी बड़े खजाने की खबर उनको मिल गई थी। वह | यह हमें लगेगा बड़ी कठोर बात है। और प्रेमी, प्रेम के खजाना इतने पास है और तुम भिखमंगे हो। तो कहा था, चले संदेशवाहक जीसस के मुंह से, कि दफना लेंगे मुर्दे मुर्दे को... / आओ मेरे पीछे। जिनको भी जीसस का खजाना समझ में आ लेकिन मुर्दे को दफनाकर भी क्या होना है? जो जा ही चुका, जा गया, वे चल पड़े। ही चुका। अब तुम इस लाश को मिट्टी में गड़ा दो कि आग में जीसस सुबह निकलते हैं एक झील के पास से। दो मछुए जला दो कि पशु-पक्षियों के लिए छोड़ दो। क्या फर्क पड़ता | मछलियां मार रहे हैं। उन्होंने जाल फेंका है, अभी सूरज ऊगा है है? कि तुम विधि-विधान पूरा करो कि मंत्र जाप करो; क्या और जीसस पीछे आकर खड़े हो गए। और उन्होंने एक मछुए के फर्क पड़ता है ? जो चुका, जा चुका। अब तो यह खोल पड़ी रह कंधे पर हाथ रखा और कहा कि देख, मेरी तरफ देख। कब तक | गई है। प्राण तो उड़ चुके। पिंजड़ा पड़ा रह गया है; पक्षी तो जा मछलियां पकड़ता रहेगा? अरे आ! मैं तुझे कुछ बड़ी चीजें चुका। अब यहां कुछ भी नहीं है। पकड़ने का राज बताता हूं। और फिर मैं सदा यहां न रहूंगा। मेरे इसलिए जीसस कहते हैं, यह काम तो मुर्दे भी कर लेंगे। जाने का वक्त जल्दी ही आ जाएगा। इसलिए तम्हें जाने की कोई जरूरत नहीं है। पीछे लौट-लौटकर वह मछआ तो चौंका होगा। यह कौन अजनबी आदमी? मत देखो. अन्यथा मेरे साथ न चल सकोगे। और कैसी अजीब-सी बातें कर रहा है। लेकिन उसने जीसस को। जिन्हें जीसस के साथ चलना हो, उन्हें आगे देखना चाहिए। देखा, वह सीधा भोला-भाला आदमी रहा होगा। वह कोई जो जा चुका, जा चुका। अतीत न हो चुका। जो ऊग रहा सूरज, पंडित न था। उसे शास्त्रों का कुछ पता नहीं था। मछलियां मारने | उस तरफ ध्यान देना चाहिए क्योंकि वहां जीवन है। वहां जीवन में ही जिंदगी बिताई थी। सीधा-सादा भोला-भाला आदमी था।। की संभावना है। वहां जीवन की नियति है। वहां भाग्य का छिपा तर्क, गणित, जाल कुछ भी न था। | हुआ खजाना है। उसने जीसस की आंखों में देखा-सीधे आदमी ही आंखों में हिम्मतवर लोग रहे होंगे। यह घड़ी ऐसी थी कि कहते कि यह आंखें डालकर देख सकते हैं और उस के हाथ से जाल छट | भी क्या बात हई। जिस पिता ने हमें जन्म दिया वह मर गया और गया। उसने अपने भाई को भी ललकारा, जो डोंगी में बैठकर तुम हमें रोकते हो? लेकिन बड़े सीधे-साफ लोग रहे होंगे। जाल डाल रहा था कि तु भी आ। जिन आंखों की हम तलाश उनकी बात समझ में आ गई। उन्होंने कहा, यह बात तो ठीक ही 620 Jalt Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340161
Book TitleJinsutra Lecture 61 Ek Dip se Koti Dip Ho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size38 MB
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