________________ जिन सूत्र भाग: 2 ADMIRE नहीं कह सकता कि तुमने मेरे सत्य को बिगाड़ा। क्योंकि कहा, कहा? अब मुल्ला नसरुद्दीन नेता के पक्ष में गवाही देने आया कि मेरा सत्य कहां रहा? तुम्हारा हो गया। सुन लिया, तुम्हारे था। वह बोला, इसका बिलकुल पक्का सबूत है। यद्यपि वहां कान में पड़ गया, तुम्हारा हो गया, अब तुम जो चाहो, सो करो। सैकड़ों लोग आ-जा रहे थे, लेकिन इसने नेताजी को ही उल्लू का जो अर्थ निकालना हो, निकालो। जैसा अर्थ, जिस दिशा में ले | पट्ठा कहा। जाना हो, ले जाओ। तुम मालिक हो गए। तुम्हें दिया, तुमसे मजिस्ट्रेट ने कहा, इसका प्रमाण क्या है? बोला कि मेरी मालकियत समाप्त हो गई। अब मैं तुम पर कोई मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा, क्योंकि वहां और दूसरा कोई उल्लू मुकदमा नहीं चला सकता। | का पट्ठा मौजूद ही नहीं था। तुम सुनोगे तुम्हारे ही ढंग से। तुम उसका उपयोग भी करोगे अब करोगे क्या? पक्ष में गवाही देने आए हैं! तुम्हारे ही ढंग से। तुम उसमें से कुछ चुन लोगे, कुछ छोड़ दोगे। तुम्हारे मतलब तुम्हारे हैं। तुम पक्ष में खड़े होओ कि विपक्ष मैन सुना है, कुरान में एक वचन आता कि जो शराब पीएगा | में; बहुत फर्क नहीं पड़ता। तुम गवाही कहां से दे रहे हो, बहुत वह नर्क में सड़ेगा। एक मुसलमान शराब पीता था। उसके फर्क नहीं पड़ता। तुम तो तुम ही हो। तुम्हारे पास आते-आते धर्मगुरु ने उससे कहा कि भाई, मैंने सुना है तुम कुरान भी पढ़ते किरणें तक मैली हो जाती हैं। तुम्हारे हाथ आते-आते सोना भी हो। कभी-कभी तुम्हारे द्वार से निकलता हूं तो तुम्हारी आयतें | कचरा हो जाता है। तुम्हारे पास पहुंचते-पहुंचते सभी सत्य सनकर मैं भी मस्त हो जाता है। शराबी था, मस्ती से गाता असत्य हो जाते हैं। होगा। लेकिन तुम कुरान में इतनी सी बात नहीं समझ पाए कि इसलिए तो लाओत्सु कहता है, 'सत्य को कहना ही मत; लिखा है कि जो शराब पीएगा वह नर्क में सड़ेगा? क्योंकि कहा कि असत्य हुआ।' उस मसलमान ने कहा, समझता तो भला है, लेकिन एक-एक कहा कि असत्य हआ। किसी ने सना कि असत्य हआ। कदम चल रहा हूं। अभी आधे वाक्य तक पहुंचा हूं-'जो | क्योंकि सुननेवाले को शब्द पहुंचेगा। शब्द को अर्थ तो वही शराब पीएगा।' अभी यहीं तक पहुंचा हूं। अपनी-अपनी चढ़ाएगा। अर्थ की खोल तो वही पहनाएगा। सीमा, सामर्थ्य! अभी आधे वाक्य पर नहीं पहुंचा हूं। धीरे-धीरे मैं तो नग्न सत्य तुम्हें दे दूंगा। वस्त्र तो तुम पहनाओगे। वे चल रहा हूं, कभी पहुंच जाऊंगा। वस्त्र तुम्हारे होंगे। जब सजा-संवारकर तुम सत्य को खड़ा तुम अपने मतलब से चुन लोगे। तुम जो चुनना चाहते हो वही करोगे तो वह बिलकुल ही रूपांतरित हो जाएगा। चुन लोगे। इसलिए दुनिया में प्रतियुग में दृष्टियों को बदलना पड़ता है। मुल्ला नसरुद्दीन पर एक मुकदमा चला। गांव के एक नेताजी कभी ध्यान की धारा प्रवाहमान होती, कभी प्रीति की धारा को किसी आदमी ने उल्लू का पट्ठा कह दिया। अब ऐसे तो सभी प्रवाहमान होती। नेता उल्लू के पट्टे होते हैं। नहीं तो नेता क्यों हों? आदमी अपने दोनों की जरूरत है। वे दोनों आवश्यक हैं। जब एक अति को तो सम्हाल ले! आदमी खुद तो चल ले! आदमी सारी | चली जाती है तो दूसरी धारा उसे खींचकर फिर संतुलन पर लाती दुनिया को बदलने चल पड़ता है। सारी दुनिया को ठीक करने है। ऐसा नहीं है कि वह संतुलन सदा रहेगा, लेकिन संतुलन के चल पड़ता है। | थोड़े-से क्षणों में कुछ लोग मुक्त हो जाएंगे। फिर असंतुलन हो पर नेता बहुत नाराज हुआ। उसने मानहानि का मुकदमा चला जाएगा, फिर कोई खींचकर संतुलन को पैदा करेगा। दिया। मजिस्ट्रेट ने पूछा मुल्ला को-मुल्ला गवाह था-कि भक्ति और ध्यान विरोधी नहीं हैं, परिपूरक हैं। जब एक अति जिस होटल में यह घटना घटी, वहां पचासों लोग आ-जा रहे हो जाती है तो दूसरा उसे सुधार लेता है। आदमी ने नेताजी को उल्ल का पट्टा कहा. उसने तमने कभी रस्सी पर चलनेवाले बाजीगर को देखा? जब नट नाम लेकर भी नहीं कहा; सिर्फ उल्लू का पट्ठा कहा। तो इसका रस्सी पर चलता है तो हाथ में एक डंडा रखता है। रस्सी पर क्या सबूत है कि उसने नेताजी को ही कहा, किसी और को नहीं चलना खतरनाक काम है-इतना ही खतरनाक जैसा जिंदगी 616 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org