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________________ रसमयता और एकाग्रता एक पत्नी मेरे पास आती है। वह कहती है पति को बस, रस यही है। पति को तूने दीन-हीन कर दिया है। तेरी | किसी तरह शराब रुकवा दें। और कुछ भी करे, मगर शराब न मालकियत कायम हो गई शराब पीने के कारण। ऐसे पति सब पीये। मैंने पूछा उसको कि सच में तू शराब के इतने विपरीत है या तरह से ठीक हैं। अगर शराब छोड़ दें तो तेरी मालकियत खतम अपनी चलाने का आग्रह है? क्योंकि तेरे पति को मैं जानता हूं। हो जाएगी। त ऊंची हो गई है. पति को नीचा बना लिया है। पति भला आदमी! तुझसे डरते हैं, तू डराती है। अगर तेरे पति ने शराब छोड़ी तो वे और शराबी अक्सर भले आदमी होते हैं। खतरा तो उनसे है, | तुझे डराएंगे। इसकी तू तैयारी कर ले। जो माला इत्यादि लिए बैठे हैं। उनमें भले आदमी खोजना बहुत जीवन में हम या तो डरते हैं या डराए जाते हैं। हम मश्किल है। वे अक्सर दष्ट प्रकति के लोग होते हैं। शराबी तो अच्छे-अच्छे बहाने खोज लेते हैं डराने के। और हम अगर डराए अक्सर भले आदमी होते हैं। जाते हैं तो भी हम अच्छे-अच्छे तर्क ले लेते हैं कि हम क्यों डर तेरे पति को मैं जानता हूं, भला आदमी है। ऐसे किसी को कुछ रहे हैं। हम कहते हैं कि वह बात ठीक ही है, इसलिए हम डर रहे गड़बड़ भी नहीं करता। वह कहती है, ऐसे तो कुछ गड़बड़ नहीं हैं। संन्यास का अर्थ इन दोनों स्थितियों के पार जाना है। संन्यास करते, पीकर ऐसा कुछ खराब भी नहीं करते। सिर्फ आपका | का अर्थ है, न तो हम डराएंगे किसी को; क्योंकि हम कौन हैं? प्रवचन देते हैं पीकर-दो-दो तीन-तीन घंटे! ऐसी कोई बुरी और न हम किसी से डरेंगे। न तो हम किसी को उसके मार्ग से बात भी नहीं कहते। ज्ञान की बातें करते हैं। तो मैंने कहा, हर्जा विचलित करेंगे, न हम अपने मार्ग से विचलित होंगे। क्या है? वे मेरा ही प्रवचन देते हैं। बात तो यही कहते हैं। बात इसका अर्थ हुआ, संसार से संबंध छोड़ा। क्योंकि संसार में दो भी बिलकुल दोहराते हैं। जब वे पी जाते हैं तो शब्द शब्द दोहराते ही तरह के संबंध हैं—या तो डराए जाओ, या डराओ। अगर हैं, भाव-भंगिमा दोहराते हैं। तो फिर मैंने कहा, हर्ज क्या है ? तू तुम मेरी बात समझो तो पत्नी को छोड़कर नहीं जाना, दुकान समझना कि टेप रिकार्ड लगाया है। सुन लिया कर। छोड़कर नहीं जाना, घर छोड़कर नहीं जाना। संसार से संबंध नहीं, मगर वह कहती है, यह ठीक नहीं है। मैंने कहा, एक छोड़ने का यह सार है कि मत डरना किसी से और मत डराना काम कर। तीन महीने...कितने दिन से तेरे पति पीते हैं? वह किसी को। तुम संसार के बाहर हो गए। क्योंकि इन दोनों में ही कहने लगी, कोई बीस साल से। मैंने कहा, बीस साल की संसार बंटा है। तब तुम न बड़ी मछली रहे, न छोटी मछली रहे। आदत है, छूटते-छूटते छूटेगी। मगर तू एक काम कर। तू तीन | तुम मछली ही न रहे। तुम संसारी न रहे। महीने कहना छोड़ दे। तू तो कोई शराब नहीं पीती, सिर्फ कहती बड़ी हिम्मत चाहिए। रास्ता कठिन होगा क्योंकि तुम अचानक है कि मत पीयो। और बीस साल का अनुभव है कि वे सुनते अकेले पड़ जाओगे। और तुम्हारी सारी प्रतिष्ठा दांव पर लग नहीं। कहने में कुछ सार भी नहीं है। तीन महीने के लिए तू जाएगी। क्योंकि जिनने प्रतिष्ठा दी थी, वे प्रतिष्ठा खींच लेंगे कहना छोड़ दे। वापस। उन्होंने कुछ शर्तों से प्रतिष्ठा दी थी। वे कहते थे, तुम उसने पांच-सात दिन के बाद आकर कहा कि असंभव। मेरी बड़े बुद्धिमान हो, अब न कहेंगे। वे कहते थे, तुम बड़े होशियार भी बीस साल की आदत है। यह नहीं हो सकता। इससे मुझे हो, अब न कहेंगे। अब तो वे कहेंगे, तुम पागल हो गए, बड़ी बेचैनी होती है, इसलिए नहीं कह सकती। इसकी तो आप सम्मोहित हो गए। किसके जाल में पड़ गए! तुमने अपनी बुद्धि मुझे छुट्टी दे दें। गंवा दी। अब तो वे तुम पर संदेह करेंगे। तो मैंने कहा, अब तू सोच। तेरे पति की तो शराब की आदत है | तो तुम्हारी सारी प्रतिष्ठा कठिनाई में पड़ जाएगी। संन्यास बीस साल की। कैसे छूटेगी? तुझे सिर्फ कहना रोकना है, वह महंगा सौदा है। पागल ही कर सकते हैं। भी नहीं छूटता। वह भी तेरी शराब हो गई। | त्रिवेणी ठीक कहती है कि 'यहां आकर संन्यास ले लिया। और मजा तुझे अंदाज में नहीं है, अगर मैं तेरे पति को राजी कर ऐसी पागल हो गई कि संन्यास ले लिया। और अब आप ही मेरे लूं और वे शराब न पीयें तो तू दुखी हो जाएगी। क्योंकि तेरा सारा | कृष्ण बन गए हैं।' 579 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340159
Book TitleJinsutra Lecture 59 Rasmayta aur Ekagrata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size39 MB
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