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________________ पिया का गांव बड़ी कठिनाई में पड़ते। सगमता से निकल गए। लेकिन बुद्ध या महावीर जैसे व्यक्ति की मौजूदगी से बेचैनी पश्चिम में तो अभी भी किताबें लिखी जाती हैं, जिनमें सिद्ध पैदा होती है। और वह बेचैनी यह है कि दो में से एक ही ठीक हो किया जाता है कि जीसस का दिमाग खराब था-न्यूरोटिक। सकता है। या तो हमारी दृष्टि ठीक है या इनका दर्शन ठीक है। और अगर तुम मनोवैज्ञानिक की बात पढ़ो तो बात समझ में तुम्हें और यह स्वाभाविक मालूम पड़ता है कि हमारी दृष्टि ठीक हो, भी आएगी। क्योंकि यह आदमी आकाश की तरफ देखता है क्योंकि हमारी भीड़ है। हम सदियों में भरे पड़े हैं। बुद्ध-महावीर और कहता है, हे पिता!-कौन पिता? इससे पूछो कि कौन | कभी-कभी पुच्छल तारे की तरह निकल जाते हैं-आए, गए! पिता? कहां है? तो यह आकाश की तरफ हाथ बताता है। लेकिन रात के जो स्थायी तारे हैं उनका भरोसा करो। ये किसी को नहीं दिखाई पड़ते। तुम सब सिर उठाओ, किसी को बुद्ध-महावीर तो ऐसे हैं कि बिजली चमक गई। अब बिजली कोई पिता नहीं दिखाई पड़ते। चमकने में बैठकर किताब पढ़ सकते हो? कि दुकान का हिसाब तो इस एक आदमी की आंख पर भरोसा करें? हम सबकी लगा सकते हो? कि खाता-बही लिख सकते हो? किस काम आंखों पर संदेह करें? और अगर हम यह मान लें कि यह ठीक | के हैं? काम तो दीये से ही चलाना पड़ता है। बिजली चमकती है तो हम गलत हैं। तो फिर हम ठीक होने के लिए क्या करें? | होगी, होगी बहुत बड़ी और बड़ी महिमाशाली होगी, लेकिन क्या उपाय करें? उससे बड़ी बेचैनी पैदा होगी। उससे बड़ी | इसका उपयोग क्या है? घबड़ाहट पैदा होगी। __ तो जब तुम्हारे जीवन में कभी पहली झलकें आनी शुरू होंगी __ अगर बुद्ध मापदंड हैं, महावीर मापदंड हैं तो हम एबनार्मल तो बड़ा खतरा पैदा होता है। खतरा यह कि तुम्हारा अतीत भी हैं। तो हम ठीक-ठीक मापदंड पर, कसौटी पर नहीं उतर रहे हैं। कहता है भूल मत जाना, कल्पना में मत पड़ जाना। और भी तो हमारे जीवन में वैसे ही तो चिंता बहुत है, और चिंता बढ़ लोग कहते हैं- 'कोई कहे यहां चली, कोई कहे वहां चली।' जाएगी। और इतने लोगों को कैसे स्वस्थ करियेगा? तुम्हारा अतीत भी कहेगा कहां जा रहे हो? क्या कर रहे हो? इससे ज्यादा सुगम और सीधी बात मालूम यह पड़ती है कि यह सम्हलो! सम्हालो! एक आदमी कुछ विकृत हो गया है। यह कुछ असामान्य है। मैंने कहा पिया के गांव चली रे' अगर लोग भले होते हैं तो इसे स्वीकार कर लेते हैं कि ठीक है, इसे सतत स्मरण रखना। इसे महामंत्र बना लेना। कसौटी तुम भी रहो, कोई हर्जा नहीं। अगर लोग और भी भले हुए तो क्या है पिया के गांव की? कसौटी सिर्फ एक है कि तुम्हारा कहते हैं, तुम अवतार हो, तीर्थंकर हो; हम तुम्हारी पूजा करेंगे, | आनंद भाव बढ़ता जाए, तुम्हारी मगनता बढ़ती जाए, तुम्हारी मगर गड़बड़ मत करो। हम माने लेते हैं कि तुम भगवान हो। एकता बढ़ती जाए, तुम्हारा मन और तुम्हारा हृदय दो न रह जाएं सदा-सदा तुम्हारी याद रखेंगे, लेकिन दखलंदाजी नहीं। तुम एक हो जाएं; तुम्हारा विचार और तुम्हारा भाव इकट्ठा हो जाए, बैठो मंदिर की इस वेदी पर। हम पूजा कर जाएंगे, पाठ कर तुम्हारे भीतर निर्द्वद्वता बढ़ती जाए। जाएंगे, लेकिन बाजार में मत आओ। हमारे जीवन को नाहक है एक तीर जिसमें दोनों छिदे पड़े हैं अस्त-व्यस्त मत करो। हम साधारणजन हैं, तुम अवतारी पुरुष वह दिन गए कि अपना दिल जिगर से जुदा था। , कहां हम। हम तो हमी जैसे होंगे। तुम्हारे जैसा प्रेम का एक तीर, जिसमें हृदय और मन दोनों जुड़ गए हैं। एक कभी कोई हुआ है? तुम तो एक ईश्वर का अवतरण हो इस ही तीर दोनों को छेद गया है। पृथ्वी पर। हम साधारण मनुष्यों को साधारणता से जीने दो। है एक तीर जिसमें दोनों छिदे पड़े हैं अगर लोग भले होते हैं तो ऐसा करते हैं। अगर लोग जरा और वह दिन गए कि अपना दिल जिगर से जदा था तेज-तर्रार होते हैं तो वे कहते हैं, बंद करो बकवास! तुम्हारा | अगर तुम्हें ऐसा अनुभव होता हो कि यह पिया के गांव के दिमाग खराब है। सूली पर लटका देंगे, जहर पिला देंगे। तुम करीब आने से तुम्हारे भीतर के खंड एक दूसरे में गिरकर अखंड पागल हो। बन रहे हैं, टुकड़े-टुकड़े में बंटा हुआ व्यक्तित्व अखंड बन रहा 1445] Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340153
Book TitleJinsutra Lecture 53 Piya ka Gav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size41 MB
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