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________________ छह पथिक और छह लेश्याएं PARTNER ही रहा है। तुम झपट्टा मारने में सिर्फ ओछे सिद्ध होते हो। जीवन | खो गई। इसकी चर्चा ही बंद हो गई। का कुछ रहस्य ऐसा है कि यहां बिना मांगे...सब मिल ही रहा | __ अभी अमरीका में फिर पुनः एक नया उदभव हुआ, है। जीवन मिल गया तो अब और क्या चाहिए? और भी मिल आकस्मिक हुआ। दुनिया की बहुत-सी खोजें आकस्मिक हुई जाएगा। जब जीवन बिना मांगे मिल गया...। हैं। जो वैज्ञानिक काम कर रहा था वह किसी और दृष्टि से काम तुमने कभी मांगा था जीवन? सोचा इस पर? कहीं तुम हाथ कर रहा था। लेकिन खोज में उसको यह अनुभव हुआ कि वृक्षों जोड़कर याचक की तरह खड़े हुए थे कि जीवन दे दो मुझे? | में कुछ संवेदनाएं मालूम होती हैं। तो उसने वृक्षों में महीन तार जीवन मिल गया। जब जीवन मिल गया तो और क्या है, जो | जोड़े और यंत्र बनाए देखने के लिए, कि वृक्ष भी कुछ अनुभव नहीं मिल सकेगा? थोड़ी प्रतीक्षा चाहिए। | करते हैं? तो छठे ने कहा, हम बैठ जाएं। पके फल लगे हैं, हवा के झोंके | तो तुम अगर वृक्ष के पास जाओ कुल्हाड़ी लेकर, तो तुम्हें आएंगे। फिर वृक्ष को भी तो दया होगी। फिर वृक्ष भी तो | कुल्हाड़ी लेकर आता देखकर वृक्ष कंप जाता है। अगर तुम मारने समझेगा कि हम भूखे हैं। फिर वृक्ष भी तो चाहता है कि कोई | के विचार से जा रहे हो, वृक्ष को काटने के विचार से जा रहे हो तो उसके फलों को चखे और प्रसन्न हो, आनंदित हो। नहीं तो वृक्ष बहुत भयभीत हो जाता है। अब तो यंत्र हैं, जो तार से खबर दे की भी प्रसन्नता कहां है? देते हैं। नीचे ग्राफ बन जाता है, कि वृक्ष कंप रहा है, घबड़ा रहा कवि के पास गीत हो तो गुनगुनाकर तुम्हें सुनाना चाहता है। है, बहुत बेचैन है, तुम कुल्हाड़ी लेकर आ रहे हो। लेकिन अगर तुम ताली बजाओ इसकी प्रतीक्षा करता है। संगीतज्ञ वीणा तुम कुल्हाड़ी लेकर जा रहे हो, और काटने का इरादा नहीं है, बजाना चाहता है। तुम्हारी आंखें आह्लाद से भर जाएं तो वह सिर्फ गुजर रहे हो वहां से तो वृक्ष बिलकुल नहीं कंपता। वृक्ष के प्रफुल्लित होगा। फूलों की गंध बिखरती है और हवाओं पर | भीतर कोई परेशानी नहीं होती। सवार हो जाती है, दूर-दूर की यात्रा पर निकल जाती है कि कोई | यह तो बड़ी हैरानी की बात है। इसका मतलब यह हुआ कि नासापुट प्रतीक्षा करते होंगे। | तुम्हारे भीतर जो काटने का भाव है, वह वृक्ष को संवादित हो वृक्षों के फल जब पक जाते हैं तो शाखाएं अपने आप नीचे जाता है। फिर जिस आदमी ने वृक्ष काटे हैं पहले, वह बिना झुक जाती हैं, ताकि कोई राहगीर आए तो शाखाएं बहुत दूर न कुल्हाड़ी के भी निकलता है तो वृक्ष कंप जाता है। क्योंकि उसकी हों। फिर जब फल पक जाते हैं तो अपने से गिरने लगते हैं। दुष्टता जाहिर है। उसकी दुश्मनी जाहिर है। जो पक गया है, वह अपने से गिर आता है। लेकिन जिस आदमी ने कभी वृक्ष नहीं काटे हैं, पानी दिया है महावीर यह कह रहे हैं, भरोसा करो, श्रद्धा करो। तुम जिस पौधों को, जब वह पास से आता है तो वृक्ष प्रफुल्लता से भर जीवन से आए हो उसी से वृक्ष भी आया। तुम दोनों जुड़े हो कहीं जाता है। उसके भी ग्राफ बन जाते हैं कि कब वह प्रफुल्ल है, भीतर गहरे में। तुम्हारी भूख तुम्हारी ही भूख नहीं है, वृक्ष को भी कब वह परेशान है। पीड़ा होगी। तुम जरा भूखे होकर इस वृक्ष के नीच बैठ तो और वैज्ञानिक अदभुत आश्चर्यजनक निष्कर्षों पर पहुंचे हैं कि जाओ। एक वृक्ष को काटो तो सारे वृक्ष बगीचे के कंप जाते हैं, पीड़ित हो इस सत्य को भी अब आधुनिक मनोविज्ञान ने बड़े प्रमाण दिए जाते हैं। और एक वृक्ष को पानी दो तो बाकी वृक्ष भी प्रसन्न हो हैं। न्यूयार्क में एक वैज्ञानिक वृक्षों पर प्रयोग कर रहा था-वृक्षों जाते हैं जैसे एक समुदाय है। के संवेगों पर, भावनाओं पर। वह बड़ा हैरान हो गया। पहले | इससे भी गहरी बात जो पता चली है, वह यह कि एक वृक्ष के भी नहीं था कि वक्षों में संवेग हो सकते हैं। पास बैठकर तम एक कबतर को मरोड़कर मार डालो, तो वक्ष महावीर के बाद जगदीशचंद्र बसु तक बात ही भूल गई थी। फिर कंप जाता है। जैसे कबूतरों से भी बड़ा जोड़ है, संबंध है। जैसे जगदीशचंद्र बसु ने थोड़ी बात उठाई कि वृक्षों में जीवन है। सारी चीजें जुड़ी हैं, लेकिन बसु भी धीरे-धीरे विस्मृत हो गए। विज्ञान से यह बात ही होना भी ऐसा ही चाहिए, क्योंकि हम एक ही अस्तित्व की माग 427 ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary org
SR No.340152
Book TitleJinsutra Lecture 52 Chah Pathik aur Chah Leshyaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size46 MB
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