________________ प हला प्रश्न H नानकदेव भी जाग्रतपुरुष थे। लेकिन नानक ने न कहा हो, मैं कहता हूं कि नानक भगवान थे। और उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैं भगवान हूं। उन्होंने | नानक ने अगर न कहा होगा, तो उन लोगों के कारण न कहा यह भी कहा कि आदमी को एक परमात्मा को | होगा जिनके बीच नानक बोल रहे थे। उनकी बुद्धि इस योग्य न छोड़कर किसी को भी नहीं मानना चाहिए। और जो व्यक्ति रही होगी कि वे समझ पाते। कृष्ण तो नहीं डरे। कृष्ण ने तो अध्यात्म की राह बताये, उसे गरु कहना चाहिए। अर्जुन से कहा--सर्व धर्मान परित्यज्य..., छोड़-छाड़ सब, आ मेरी शरण, मैं परात्पर ब्रह्म तेरे सामने मौजूद हूं। कृष्ण कह सके पूछा है आर. एस. गिल ने। सिक्ख ही पूछ सकता है ऐसा अर्जुन से, क्योंकि भरोसा था अर्जुन समझ सकेगा। नानक को प्रश्न। क्योंकि प्रश्न हृदय से नहीं आया। प्रश्न थोथा है, और पंजाबियों से इतना भरोसा न रहा होगा कि वे समझ पायेंगे। बुद्धि से आया। प्रश्न परंपरा से आया। मान्यता से आया। इसलिए नहीं कहा होगा। और इसलिए भी नहीं कहा कि नानक पक्षपात से आया। पर समझने-जैसा है, क्योंकि ऐसे पक्षपात | | उस विराट परंपरा से थोड़ा हटकर चल रहे थे जिस विराट परंपरा सभी के भीतर भरे पड़े हैं। में कृष्ण हैं, राम हैं, उससे थोड़ा हटकर चल रहे थे। पहली बात, पहले ही प्रश्न की पंक्ति में पूछनेवाला कह रहा नानक एक नया प्रयोग कर रहे थे कि हिंदू और मुसलमान के है-नानकदेव! देव का क्या अर्थ होता है? देव का अर्थ होता बीच किसी तरह सेतु बन जाए। एक समझौता हो जाए। एक है दिव्य, डिवाइन। दिव्यता का अर्थ होता है भगवत्ता। समन्वय बन जाए। मसलमान सख्त खिलाफ हैं किसी आदमी नानकदेव कहने में ही साफ हो गया कि मनुष्य के पार, मनुष्य से को भगवान कहने के। अगर नानक सीधे-सीधे हिंदू-परंपरा में ऊपर; दिव्यता को स्वीकार कर लिया है। भगवान का क्या अर्थ जीते तो निश्चित उन्होंने घोषणा की होती कि मैं भगवान हूं। होता है? बड़ा सीधा-सा अर्थ होता है-भाग्यवान। कुछ और लेकिन सेतु बनाने की चेष्टा थी। जरूरी भी थी। उस समय की बड़ा अर्थ नहीं। कौन है भाग्यवान? जिसने अपने भीतर की मांग थी। मुसलमान को भी राजी करना था। मुसलमान यह | दिव्यता को पहचान लिया। कौन है भाग्यवान? जिसकी कली भाषा समझ ही नहीं सकता कि में भगवान हूं। जिसने ऐसा कह खिल गयी, जो फूल हो गया। कौन है भाग्यवान ? जिसे पाने | उसने मुसलमान से दुश्मनी मोल ले ली। को कछ न रहा-जो पाने योग्य था, पा लिया। जब पूरा फूल नानक हाथ बढ़ा रहे थे मित्रता का, इसलिए नानक को ऐसी | खिल जाता है. तो भगवान है। जब गंगा सागर में गिरती है. तो भाषा बोलनी उचित थी जो मसलमान भी समझेगा। नहीं तो जो भगवान है। जहां भी पूर्ण की झलक आती है, वहीं भगवान है। मंसूर के साथ किया, वही उन्होंने नानक के साथ किया होता। या भगवान शब्द का अर्थ ठीक से समझने की कोशिश करो। उन्होंने कहा होता, नानक भी हिंदू हैं, यह सब बकवास है। हिंदू 307 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org