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________________ त्वरा से जीना ध्यान है से भीतर चित्त पर कंपन होते हैं। तो हम सोचते हैं, फिर बेहतर है मन के वेग श्वास को प्रभावित करते हैं। इससे उलटा भी सच आंख बंद कर लें। लेकिन आंख तुमने बंद की कि तुम्हारे आंख है। श्वास का परिवर्तन मन को प्रभावित करता है। तुम कभी बंद करने के साथ सपने शुरू हो जाते हैं। तुमने जब भी आंख | कोशिश करके देखो। क्रोध आ जाए, तब तुम धीरे-धीरे श्वास बंद की है, तो बस जब तुम सोने गये हो तभी बंद की है। और तो लेकर क्रोध करने की कोशिश करो, तुम बड़ी मुश्किल में पड़ तुम कभी आंख बंद करते नहीं। तो ऐसोसिएशन, एक संबंध जाओगे। तुम पाओगे, अगर श्वास धीमी लेते हो, क्रोध नहीं बन गया है। आंख बंद करते ही सपने शुरू हो जाते हैं। तुम बैठो होता। अगर क्रोध होता है, तो श्वास धीमी नहीं रहती। तुम कुर्सी पर आराम से आंख बंद करके, थोड़ी देर में तुम पाओगे, कभी बिलकुल श्वास धीमी लेकर संभोग में उतरने की कोशिश दिवास्वप्न शुरू हो गया। जागे हो और सपना देख रहे हो। करो। मुश्किल पड़ जाएगी। कामऊर्जा उठती न मालूम पड़ेगी, तो चाहे वास्तविक जगत में परिवर्तन हो रहे हों, तो भी तुम्हारे क्योंकि श्वास की चोट चाहिए। श्वास का ताप चाहिए। भीतर कंपन होता है; आंख बंद करके सपने देखो, तो भी कंपन| कामवासना में उतरना तो एक तरह का बुखार है। जब तक होगा। क्योंकि दृश्य फिर उपस्थित हो गये। इन दोनों से बचने के श्वास जोर से ताप पैदा न करे, आक्सीजन जरूरत से ज्यादा लिए सभी ध्यानियों ने नासाग्र-दष्टि पर जोर दिया है। तो मध्य | शरीर में न दौडे. तब तक शरीर की ऊर्जा बाहर फिंकने को राजी में ठहरा लो। न तो आंख खोलकर देखो कि बाहर वस्तुओं का नहीं होती। उसको तो फेंकने के लिए भीतर से धक्के चाहिए जगत दिखायी पड़े, न आंख बंद करके देखो, नहीं तो सपने का | श्वास के। आदमी की श्वास उसके मन को थिर करती है, या जगत दिखायी पड़ेगा। तुम नाक के नोक पर अपनी आंख को अथिर करती है। रोककर बैठ जाओ। आधी खुली आंख सपने को भी कठिनाई तो महावीर ठीक कह रहे हैं, नासिकाग्र-दृष्टि हो, और श्वास होगी, आधी खुल आंख बाहर की चीजें भी दिखायी नहीं पड़ेंगी। | धीमी-धीमी, आनंद-पूर्ण, मंद-मंद, मंद-मंद श्वासोच्छवास। धीरे-धीरे जब अभ्यास सघन हो जाए, जब नासाग्र-दृष्टि में क्योंकि ध्यान की अवस्था तो ठीक संभोग से उलटी अवस्था है। चित्त थिर होने लगे, रस बहने लगे, सुख की पुलक उठने लगे, ध्यान की अवस्था तो क्रोध से उलटी अवस्था है। ध्यान की तब तुम आंख बंद करके भी कर सकते हो। फिर सपना नहीं अवस्था तो दौड़ने से उलटी अवस्था है। दौड़ने में श्वास तेज हो आयेगा। और जब आंख बंद करने में सपना न आये, तो फिर जाती है, और ध्यान की अवस्था तो थिर होना है, दौड़ना तुम खली आंख से भी ध्यान कर सकते हो। फिर बाहर लोग बिलकल बंद करना है। शरीर को जरा कंपने भी नहीं देना है, तो चलते रहें, फिरते रहें, घटनाएं घटती रहें, तुम्हारे भीतर कोई श्वास की कोई जरूरत नहीं है। कभी-कभी तो ऐसा होगा, ध्यान अंतर न पड़ेगा। लेकिन प्रथम जो शिशु की भांति प्रविष्ट हो रहा | करते-करते तुम डर भी जाओगे कि कहीं श्वास रुक तो नहीं है ध्यान के जगत में, उसके लिए नासाग्र-दृष्टि बड़ी उपयोगी है। गयी! घबड़ाना मत। वे बड़े कीमती क्षण हैं, जब तुम्हें ऐसा 'और मंद-मंद श्वासोच्छवास ले।' खयाल किया तुमने लगता है, श्वास रुक तो नहीं गयी! तुम ध्यान के करीब आ रहे, कभी कि तुम्हारी श्वास तुम्हारे चित्त की दशाओं से बंधी है। जब घर के करीब आ रहे। उस वक्त चौंककर घबड़ा मत जाना, नहीं तुम क्रोधित होते हो, श्वास ऊबड़-खाबड़ हो जाती है। जैसे ऐसे तो घबड़ाते से ही श्वास का छंद फिर टूट जाएगा। जब ऐसा रास्ते पर चल रहे हो-कच्चे रास्ते पर। नीची-ऊंची हो जाती लगने लगे कि श्वास रुक रही है, बड़े आनंदित होना, बड़े है, गति टूट जाती है। लय भंग हो जाता है। छंद बिखर जाता अनुगृहीत होना। कहना, हे प्रभु, धन्यवाद! तो घर करीब आ है। जब तुम प्रसन्न हो, तब खयाल किया, श्वास में एक लय रहा है! होती है। एक संगीत होता है। जब तुम कामवासना से भरते हो, जब कोई बिलकुल गहरे ध्यान में पहुंच जाता है, तो श्वास तब खयाल किया, श्वास विक्षिप्त हो जाती है। बड़े जोर से नाममात्र को रह जाती है। पता ही नहीं चलता कि चल रही है या चलने लगती है। जब तुम्हारा चित्त बिलकुल कामवासना से नहीं चल रही है। क्योंकि अब कोई भी गति नहीं हो रही, तो | मुक्त होता है, तब श्वास बड़ी शांत, धीमी, थिर हो जाती है। श्वास की कोई जरूरत नहीं है। सब गति 297 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340146
Book TitleJinsutra Lecture 46 Twara Se Jina Dhyan Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size35 MB
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