________________ - - जीवन तैयारी है, मृत्यु परीक्षा है। हुए, भीड़ को विदा किया, वह दिखायी पड़ने लगेगा। एक दफा रखकर ले जाएगा। उसे खोजना कोई आदमी का ही अकेले दिखायी पड़ जाए, फिर मैं तुमसे नहीं कहता कि भीड़ को छोड़ो, कृत्य थोड़े ही है। उसकी भी कुछ जिम्मेवारी है। दोतरफा फिर मैं कहता हूं, उतर जाना संसार में। फिर तुम्हें सभी के भीतर जिम्मेवारी है। हम उसे खोजें, वह हमें खोजे। और ऐसा ही चल वही दिखायी पड़ने लगेगा। फिर भीड उसी की भीड है। लेकिन | रहा है। अभी भीड़ उसी की नहीं है। अभी तो अपने भीतर भी उसे नहीं परमात्मा तो हमें खोज ही रहा है। जिस दिन हम खोजने लगते जाना, तो दूसरे के भीतर कैसे जानना हो सकता है! हैं, उसी दिन हममें और उसमें तालमेल हो जाता है। 'तरु' का प्रश्न है। रोयें न अभी अहले-नजर हाल पर मेरे आखिरी प्रश्न : भगवान श्री, तेरी रज़ा पूरी हो! होना है अभी मुझको खराब और जियादा आवारा-ओ-मजनू ही पे मौकूफ नहीं कुछ . चैतन्य भारती ने पछा है। ‘पछना' कहना ठीक नहीं. कहा मिलने हैं अभी मुझको खिताब और जियादा है। 'तेरी रज़ा पूरी हो।' यही प्रार्थना का मूलमंत्र है। इसमें ही तो तरु से मैं कहता हूं, अभी घबड़ा मत, अभी तो और | पग जाओ पूरे-पूरे, तो कुछ और करने को नहीं है! मुसीबतें आने को हैं। और कोई तुझसे सहानुभूति दिखायें तो | जीसस को सूली हुई, आखिरी क्षण उन्होंने आकाश की तरफ उनसे कह देना मुंह उठाकर कहा कि हे परमात्मा, यह क्या दिखा रहा है! एक रोयें न अभी अहले-नजर हाल पे मेरे संदेह उठ आया होगा कि मैं तेरे लिए जीआ, तेरी प्रार्थना में होना है अभी मुझको खराब और जियादा जीआ, तेरी पूजा में जीआ, तेरे नाम को फैलाने के लिए जीआ आवारा-ओ-मजनू ही पे मौकूफ नहीं कुछ और यह तू मुझे क्या दिखा रहा है! एक शिकायत आ गयी मिलने हैं अभी मुझको खिताब और जियादा होगी-हलकी-सी बदली, छोटी-सी बदली जीसस की छाती लेकिन मजनू हुए बिना कौन लैला को पा सका! और मजनू पर तैर गयी। एक क्षण को सूरज ढक गया होगा। लेकिन हुए बिना कोई परमात्मा को कैसे पा सकता है! आवारा हुए जीसस तत्क्षण पहचान लिये कि चूक हो गयी, भूल हो गयी। बिना! आवारा का अर्थ है जिसका अब कुछ भी नहीं; रिक्त, तत्क्षण कहा, क्षमा कर, यह मैंने क्या कहा! तेरी रज़ा पूरी हो! तू खाली, अकेले। ऐसा हुए बिना कौन उसे निमंत्रण दे सका! जो दिखा रहा है, वही ठीक है। तेरी रज़ा से ऊपर मेरे र मेरी रजा नहीं जीसस निरंतर कहते थे कि कोई गड़रिया अपनी भेड़ों को है। तेरी इच्छा से ऊपर मेरी इच्छा नहीं है। तू जो चाहता है, वही लेकर आता। सांझ का अंधेरा घिरने लगा, सूरज ढल गया, मैं चाहूं, बस इतनी ही मेरी इच्छा है। यह मैंने कैसे कहा! अचानक देखता कि एक भेड़ खो गयी। तो सभी भेड़ों को उस | आखिरी क्षण! बिलकुल स्वाभाविक है। बड़ी पीड़ा जीसस अंधेरी रात में किसी वृक्ष के तले छोड़कर, उस भेड़ को खोजने को दी गयी। सूली पर लटकाया गया। स्वाभाविक है, निकल जाता है जो खो गयी। मिले हुओं को छोड़कर उसे खोजने मानवीय। इस बात से सिद्ध होता है कि जीसस परमात्मा के बेटे निकल जाता जो खो गयी। अंधेरी रात में पुकारता, टेरता, और तो थे ही, आदमी के बेटे भी थे। इससे कुछ और सिद्ध नहीं जब वह मिल जाती, तो पता है क्या करता? उसे कंधे पर रख होता। इससे सिर्फ आदमियत सिद्ध होती है। लौटता। खो गये को कंधे पर रखकर लौटता है। और जीसस और जीसस ने बहुत बार बाइबिल में जगह-जगह कहा, कहीं कहते थे, मैं भी ऐसा ही गड़रिया हूं। | वह कहते हैं मैं आदमी का बेटा हूं, कहीं कहते हैं परमात्मा का अगर हम सच में ही रो उठे, तो उसके हाथ तुम्हारे आंसू तक बेटा हूं। वह दोनों हैं। सभी दोनों हैं। उन्हें याद आ गयी, सभी पहुंच ही जाएंगे, पोंछ देंगे तुम्हारे आंसू। अगर हम सच ही पीड़ा को याद नहीं आयी है। से भर जाएं, तो वह दौड़ा चला आयेगा। हम अगर भटक ही तो आदमी का बेटा बोला, यह क्या दिखा रहा है मुझे! लेकिन जाएं उसको खोजते-खोजते, तो आयेगा जरूर, और कंधे पर तभी उन्हें स्मरण आ गया होगा कि अरे! मैं आदमी का बेटा ही 275 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org