________________ जिन सत्र भाग: 2 धीरे-धीरे यह तुम्हारी नींद में भी उतर जाएगा। यह चौबीस घंटे पर फैल जाएगा। और जो धर्म चौबीस घंटे पर फैल जाए, वही तुम्हें मुक्त कर पायेगा। अन्यथा, घंटेभर धर्म को साधोगे, तेईस घंटे अधर्म को साधोगे, मुक्ति होगी कैसे? घंटेभर में जो बनाओगे, तेईस घंटे में तेईस गुना मिटा दोगे। फिर दूसरे दिन घंटे भर में बनाओगे, फिर तेईस घंटे में मिटा दोगे। और कछ राज ऐसा है कि अगर धागे को पिंडली में लपेटना हो, तो घंटों लगते हैं, और धागे को पिंडली से अलग निकालना हो तो क्षणभर में खुल जाता है। मकान बनाने में वर्षों लगते हैं, गिराना हो तो दिनभर में गिर जाता है। मिटाना बड़ा जल्दी हो जाता है। और मिटाने के लिए तेईस घंटे हैं। और बनाना बड़ा मुश्किल है और बनाने के लिए घंटाभर है। तुम जीत न पाओगे। इससे कभी जीत संभव नहीं है। जीत का यही सूत्र है'जयं चरे जयं चिट्ठे'-जागकर चलो, जागकर रहो। 'जयमासे जयं सए'-जागकर बैठो, जागकर सोओ। 'जयं भुंजतो भासंतो'-जागकर बोलो। 'पावं कम्मं न बंधइ'-फिर कोई पाप तुम्हारे लिए नहीं है। फिर पाप का कोई बंधन नहीं है। आज इतना ही। 178 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org