SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जिन सूत्र भागः2 व्यक्ति हैं, संन्यास के कारण मरे। मत छोड़ना। ऐसा कभी हुआ नहीं है। होता नहीं है। मौत की धमकियां | इतने लोगों ने संन्यास लिया है, सभी के साथ कुछ न कुछ ऐसे देनेवाले मौत का भी उपयोग करते हैं जीवन के उपयोग के लिए ही सवाल उठते हैं। लेकिन कमजोरी सदा भीतर होती है। ही। जो तम्हारे संन्यास से घबड़ा रहे हैं, वे अपनी मौत से न कल एक मित्र पछते थे कि अब आप गेरुवे पर ही ज्यादा जोर घबड़ायेंगे। थोड़ा सोचो तो! तुम कर क्या रहे हो? सिर्फ | दे रहे हैं, पहले आप साधु...सफेद वस्त्रों में भी संन्यास दे देते गैरिक-वस्त्र पहन रहे हो। घर में रहोगे, घर का काम करोगे, थे। तो मैंने उनको कहा, मेरे गांव में, जहां मैं पैदा हुआ-पता ज्यादा बेहतर करोगे। शायद मां-बाप की सेवा नहीं, दूसरे गांवों में भी ऐसा होता होगा-जहां मैं पैदा हुआ, भी पहले से ज्यादा बेहतर करोगे। दो-चार-आठ दिन में वे वहां जब मैं छोटा था, तो बच्चों में एक पारिभाषिक शब्द था। समझ जाएंगे कि संन्यास ने तुम्हें बिगाड़ा नहीं, बनाया। और छोटे बच्चे भी और छोटे बच्चे, हमसे भी ज्यादा मेरा संन्यास वैसा तो संन्यास नहीं है कि तुम घर छोड़कर भाग छोटे-खेलने में सम्मिलित होना चाहते थे, और मां-बाप कहते जाओ; मां-बाप बूढ़े हैं उन्हें छोड़कर भाग जाओ, पत्नी को हैं कि जाओ, अपने छोटे भाई को भी ले जाओ, और छोटी बहन छोड़कर भाग जाओ; बच्चों को छोड़कर भाग जाओ, मैं कोई को भी ले जाओ, इनको भी खेलने दो। और वे सब खेल खराबभगोड़ापन तो तुम्हें सिखा नहीं रहा हूं। कर देते हैं, क्योंकि वे छोटी उम्र के-न दौड़ सकते हैं, न भाग उन्हें शायद नासमझी होगी। उनको शायद अंदाज भी न सकते हैं। तो मेरे गांव में उनके लिए एक पारिभाषिक शब्द था, होगा। संन्यास का मतलब वे समझते होंगे पुराना संन्यास। तो | उन्हें हम खेल में सम्मिलित कर लेते थे, उनको कहते हैं—'दूध तुम जब घर पहंचोगे, समझा लेना। और मैं मानता हूं गैर की दोहनिया।' बस इतना, खेलनेवाले समझ लेते हैं कि यह पढ़े-लिखे आदमियों को समझा लेना सदा आसान है। क्योंकि इसको दौड़ने दो, भागने दो, मगर यह कोई खेल का हिस्सा नहीं ज्यादा हार्दिक होते हैं। इसीलिए तो उन्होंने धमकी दी बेचारों ने। है। 'दूध की दोहनिया।' अभी दूध-पीता है। खेलने दो, कूदने नहीं तो तर्क देते कि संन्यास में कोई लाभ नहीं है, और सब दो, वह प्रसन्न होता है बहुत। वह समझता है लोग उसके पीछे नखते। सीधी बात कह दी कि मर जाएंगे। भावुक दौड़ रहे हैं-कोई-कोई थोड़ा दौड़ भी देता है-लेकिन न लोग होंगे। सीधे-साधे लोग होंगे। सरल लोग होंगे। डर गये उसको कोई पकड़ता है, न उसको कोई परेशान करता है। वह होंगे कि बेटा कहीं छूट न जाए। लेकिन जब तुम घर लौट ऐसे ही उछल-कूद करता रहता है। दूध की दोहनिया है। जाओगे गैरिक-वस्त्रों में, उनके चरण छुओगे और उनकी सेवा में तो मैंने उनसे कहा कि सफेद वस्त्रों में संन्यास देता था, वह रत हो जाओगे-जैसे तुम कभी भी न थे-क्योंकि मैं कहता है, सब 'दुध की दोहनिया' हैं। संन्यास भी लेना चाहते हैं, हिम्मत जो संन्यास तुम्हें अपनों से तोड़ दे वह संन्यास नहीं है। संन्यास भी नहीं है गैरिक-वस्त्रों की. तो चलो। खेलने दो. दौडने दो। तो वही है जो तुम्हें दूसरों से भी जोड़ दे, अपनों से तो जोड़े ही! कभी तो समझ बढ़ेगी, तब गैरिक में आ जाएंगे। चलो लेना तो संन्यास है योग, जोड़। तोड़नेवाली बात ही गलत है। चाहते हैं, आधे-आधे हैं। अब उनको मैं धीरे-धीरे कह रहा हूं तो दो-चार दिन में उनको भी समझ में आ जाएगा। गैर कि अब बहुत हो गया, 'दूध की दोहनिया' सदा थोड़े ही बने पढ़े-लिखे हैं, जल्दी समझ आ जाएगा। पढ़े-लिखे होते, तो रहोगे! अब बढ़ो, अब थोड़ी उम्र पाओ। तो माला, चलो आधा महीनों लग जाते। क्योंकि तर्क उठाते, विवाद करते, विचार सही। माला से थोड़े राजी हो गये, फिर धीरे-धीरे गैरिक वस्त्रों करते। सीधे-साधे ग्रामीण लोग हैं, जल्दी समझ में आ जाएगा। से भी राजी हो जाएंगे। तुम पर निर्भर करेगा। तुम्हारे व्यवहार पर निर्भर करेगा। संन्यस्त मुल्ला नसरुद्दीन को एक रेलवे क्रासिंग पर नौकरी मिल गयी। होकर अगर तुम और भी प्यारे हो गये-जैसे तुम कभी भी न पहले ही दिन आधा दरवाजा तो उसने खोल दिया क्रासिंग का थे-तो फिर कोई अड़चन नहीं। वे क्यों मरना चाहेंगे! फिर तो और आधा बंद रखा। एक कारवाला आदमी रुका, उसने कहा तुम संन्यास छोड़ोगे तो वे कहेंगे, रस्सी ले लेंगे, अब संन्यास कि जिंदगी हो गयी मुझे यहां से गुजरते, मगर या तो दरवाजा बंद Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340137
Book TitleJinsutra Lecture 37 Karna hai Sansar Hone Hai Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy