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________________ जिन सूत्र भाग 2 केवल सुनी-सुनायी है। आज की रात और बाकी है एक दो और सागरे-सरशार -और यह रात तो जाएगी। थोड़ा और भोग लें। फिर तो होना ही है मुझे होशियार फिर कहां ये हसीं सुहानी रात छेड़ना ही है साजे-जीस्त मुझे ये फरागत ये कैफ के लम्हात आग बरसायेंगे लबे-गुफ्तार -फिर यह मादक क्षण कहां मिलेंगे! कुछ तबियत तो हम रवां कर लें कुछ तो आसूदगी-ए-जौके निहां आज की रात और बाकी है -कुछ तो तृप्त कर लें छिपी हुई वासनाओं को, दबी हुई फिर कहां ये हसीं सुहानी रात वासनाओं को। ये फरागत ये कैफ के लम्हात कुछ तो तस्कीने-शोरिसे जज्बात कुछ तो आसूदगी-ए-जौके-निहां -कुछ तो अशांत मनोभावनाओं की शांति कर लें, तृप्ति कुछ तो तस्कीने-शोरिसे-जज़्बात खोज लें। कुछ तो उन्हें संतोष दे लें। आज की रात जाविदां कर लें आज की रात और आज की रात और आज की रात को सुख से ऐसा भर लें कि अमर हो जाए। लोग कहते हैं कि आज नहीं कल जिंदगी तो हाथ से चली आज की रात और आज की रात। जाएगी। ऐसा कहते भी हैं, और फिर भी कहते हैं ऐसे ही आदमी सोचता चलता है। धर्म को टालता कल पर। एक दो और सागरे-सरशार अधर्म को करता आज की रात। धर्म को करता स्थगित, अधर्म एक दो और भरे प्याले ले आओ। को कभी स्थगित नहीं करता। अगर तुमसे मैं कहूं ध्यान करो, फिर तो होना ही है मुझे होशियार तुम कहते हो, करेंगे, जरूर करेंगे, समय आने पर। यह समय फिर तो जागना है। फिर तो ध्यान करना है। फिर तो समाधि कभी भी न आयेगा। अगर मैं कहूं प्रार्थना कर लो, तो तुम कहते को उपलब्ध होना है। / हो, फुर्सत कहां ! क्रोध करने को फुर्सत मिल जाती है। रोष करने एक दो और सागरे-सरशार। को फुर्सत मिल जाती है। लोभ करने को फुर्सत मिल जाती है। ले आओ, एक-दो लबालब प्याले और। और जब तुम क्रोध करते हो तब तुम कभी नहीं कहते कि कल फिर तो होना ही है मुझे होशियार कर लेंगे। तुम आज करते हो।। अगर होशियार ही होना है, तो एक-दो प्याले और क्यों? गुरजिएफ ने लिखा है कि उसका पिता मर रहा था। उसने क्योंकि अगर होशियार ही होना है तो दो प्याले और होशियारी अपने बेटे को अपने पास बुलाया-गुरजिएफ को। वह नौ को खराब करेंगे। ध्यान को नष्ट करेंगे। साल का था और उससे कहा, मेरे पास देने को कुछ भी नहीं है। लेकिन लोग कहते हैं, होना ही है होशियार—मजबूरी है। लेकिन एक बात मेरे बाप ने मुझे दी थी, उसने मुझे बड़ा सहारा होश तो आयेगा ही, थोड़ा और पी लें। दिया, वही मैं तुझे दे जाता हूं। खयाल रखना, तेरी उम्र अभी छेड़ना ही है साजे-जीस्त मुझे ज्यादा भी नहीं है, लेकिन याद रखना, कभी तेरे काम पड़ आग बरसायेंगे लबे-गुफ्तार जाएगी। और उसने कहा एक बात, अगर कभी क्रोध का मौका कुछ तबियत तो हम रवां कर लें आ जाए, तो जिसने तुझे गाली दी हो, अपमान किया हो, उससे -फिर जीवन का संगीत छिड़नेवाला है; उसके पहले, उसके कहना चौबीस घंटे बाद आकर जवाब दूंगा। चौबीस घंटे बाद! पहले हम थोड़ी बेहोशी का भी मजा ले लें, थोड़ी मस्ती पैदा कर | और गुरजिएफ ने लिखा है कि जिंदगी में फिर क्रोध का मौका लें। ही न आया। क्योंकि जब भी किसी ने क्रोध किया. मरते हए बाप कुछ तबियत तो हम रवां कर लें की बात याद रही। मैंने कहा, चौबीस घंटे बाद। चौबीस घंटे 96 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340136
Book TitleJinsutra Lecture 36 Jivan hi Hai Guru
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size40 MB
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