________________ EPERIE - सूत्र सम्मदंसणणाणं, एसो लहदि त्ति णवरि ववदेसं। सव्वणयपक्खरहिदो, भणिदो जो सो समयसारो।।६६।।. दंसणाणचरित्ताणि, सेविदव्वाणि साहुणा णिच्चं।' ताणि पुण जाण तिण्णि वि, अप्पाणं जाण णिच्छयदो।।६७ / / णिच्छयणयेण भणिदो, तिहि तेहिं समाहिदो हु जो अप्पा। ण कुणदि किंचि वि अन्नं, ण मुयदि सो मोक्खमग्गो त्ति।।६८।। अप्पा अप्पम्मि रओ, सम्माइट्ठी हवेइ फुडु जीवो। जाणइ तं सण्णाणं, चरदिह चारित्तमग्गु त्ति।।६९।। आया हु महं नाणे, आया में दंसणे चरिते य। आया पच्चक्खाणे, आया मे संजमे जोगे।।७।। HAR Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org