SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जिन सूत्र भागः1 जिन सूत्र भाग : 1 - पाओगे: किसी दिन सूरज के ऊगने से भी वैसा हो जायेगा। संयोगवशात तुम चुप थे। मन में सन्नाटा था। सुनने को आतुर फिर पक्षियों के कोलाहल को सुनना। उनके कलरव को थे, इसलिए बोल नहीं रहे थे। उस आतुरता में भी कोई ऐसी घड़ी सुनना। किसी दिन तुम पाओगेः सुनते-सुनते-सुनते फिर तार | आयी होगी जहां मेरे श्वास के और तुम्हारे श्वास के बीच एक मिल गए! फिर हो गया! तब तो एक बात पक्की हो जायेगी कि लयबद्धता आ गयी, एक तालमेल हो गया। तो जिस तरह, तुम जहां भी होने देते हो वहीं हो जाता है। जिस जगत में मैं स्पंदित हो रहा हूं, क्षणभर को तुम मेरे साथ नाच फिर किसी दिन बीच बाजार में, जहां होने की कोई आशा नहीं | लिये, स्पंदित हो गए। कुछ हुआ! कुछ—जिससे तुम चकित दिखायी पड़ती, वहां तुम बाजार के शोरगुल को मौन भाव से होओ! कुछ—जिस पर तुम भरोसा नहीं कर सकते! सुनना और तुम चकित होओगेः वहां भी हो जाता है! कुछ—जिसको तुम चाहोगे कि मैं कहूं कि मैंने किया! क्योंकि तब तुम मालिक होने लगे। तब तुम अपने पैरों पर खड़े होने | तुम्हें अपने पर आत्मविश्वास नहीं कि तुमसे ऐसा हो सकेगा। लगे। तब मैं तुम्हारे लिए बैसाखी न बना, वरन मेरी मौजूदगी ने फिर भी मैं तुमसे कहता हूं, तुम्हीं से हुआ है। और बार-बार तुम्हारे पैरों को बल दिया। | तुमसे यही कहूंगा कि जब भी हो, स्मरण रखना तुम्हीं से हो रहा ध्यान रखना, तुम्हारी आकांक्षा मुझे बैसाखी बना लेने की है। है। मेरी परिस्थिति का उपयोग कर लो। मेरी मौजूदगी का लेकिन बैसाखी मिल जाए तो भी तुम लंगड़े ही रहोगे। | उपयोग कर लो। मेरी मौजूदगी तुम्हें तुम्हारे भीतर की संपदा के किसी गुरु को बैसाखी मत बनाना। और जो गुरु स्वयं को प्रति थोड़ा जागरूक कर दे, फिर तुम मुझे भूलो! क्योंकि मैं बाहर तुम्हारी बैसाखी बनने दे वह तुम्हारा मित्र नहीं, श वह तुम्हारे लंगड़ेपन के लिए शाश्वतता दे रहा है। अब तुम सदा बुद्ध ने कहा : बुद्ध-पुरुष इशारा करते हैं, चलना तुम्हें पड़ता के लिए लंगड़े रह जाओगे। है। महावीर ने कहा है : मैं सिर्फ उपदेश करता हूं, आदेश नहीं। यही बात अकसर घटती है। तुम किन्हीं लोगों के पास जाकर मैं वही बोल देता हूं, जो है। तुम अगर सुनने को राजी हो सुन कहोगे, कि आपकी मौजूदगी ने, आपने ऐसा कुछ कर दिया। लो। जीसस ने कहा है : अगर तुम्हारे पास आंखें हों तो देख लो, सदगुरु और असदगुरु की पहचान यही है। असदगुरु कहेगा, | मैं मौजूद हूं! तुम्हारे पास कान हों तो सुन लो, मैं बोल रहा हूं! 'हां, मेरी शक्ति से ऐसा हुआ।' सदगुरु कहेगा, 'किसी की तुम्हारे पास हृदय हो तो धड़क लो मेरे साथ! शक्ति का कोई सवाल नहीं। तुमने होने दिया', और तुम अगर ऐसा ही समझो कि थोड़ी, क्षणभर को, तुम मेरे साथ धड़क होने दो तो कोयल की कुहू-कुहू से भी हो जायेगा। पानी के झरने लिये, श्वास से श्वास मेल खा गयी, धड़कन से धड़कन मेल की आवाज से भी हो जायेगा। सागर के तुमुल नाद से भी हो खा गयी। एक क्षण को एक आरोह हुआ। तुम्हारे भीतर एक जायेगा। फिर तो बीच बाजार में भी हो जायेगा। भीड़, तरंग उठी, उसने आकाश छू लिया! लेकिन इसे मैं चाहता हूं कि कोलाहल, चलते हुए लोग, हजार तरह की बातें, तुम सदा स्मरण रखना कि वह तुम्हारे ही कारण हुआ। क्योंकि शोरगुल-उससे भी हो जायेगा। क्योंकि असली बात बाहर से अगर मेरे कारण हुआ तो तुम मुझसे बंधे। फिर बाजार में न हो भीतर नहीं आ रही है-असली बात भीतर से बाहर जा रही है। | सकेगा। फिर पक्षियों के कलरव में न हो सकेगा। फिर सागर के असली बात है कि तुम शांत होकर सुनने में समर्थ हो गए; तुमने | तुमुल नाद में न हो सकेगा। फिर तुम बंधे मुझसे। फिर तो मैं कोई प्रतिक्रिया न की। तुम्हारा नशा हो गया। फिर तुम्हें मेरी तलफ लगेगी, कि जाएं निश्चित ही, पहली दफा उसी व्यक्ति के पास हो सकेगा। | वहां, सुनें वहीं, फिर सत्संग करें। जिससे तम्हारा बड़ा श्रद्धा का लगाव है। पहली दफा। वहां नहीं, सत्संग का अर्थ ही यह है कि तुम्हारी ऐसी घड़ी आ जाये आसान होगा, जहां बड़ा प्रेम का लेन-देन है; जहां दो हृदय | कि सब जगह, जहां तुम हो वहीं सत्संग होने लगे। नहीं कहता साथ-साथ धड़कते हैं। कि यहां मत आना, लेकिन वह आना तुम्हारा रोग न बन जाए; जब तुमने मेरी यह बात सुनी तब किसी कारण से, वह शराबी की लत न बन जाए! 526 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340124
Book TitleJinsutra Lecture 24 Mang Nahi Ahobhav Ahogati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy