________________ जिन सूत्र भागः 1 नहीं देखता। लेकिन धन को छोड़कर कहां जाओगे? धन तो पड़ती। दिखाई तो पड़ती है घृणा की दुर्गंध। दिखाई तो पड़ता है बाहर था, बाहर ही रहेगा। तुम कहीं भी भाग जाओ, तुम्हारे युद्ध, वैमनस्य, हत्या, हिंसा, क्रोध, और सभी प्रेम के स्रोत से भीतर की लोभ-दशा कैसे बदलेगी? कोई देखता है, पद में आते हैं। तो जरूर प्रेम के स्रोत में कहीं कोई जहर मिला है। उपद्रव है, अशांति है-पद छोड़कर हट जाता है। क्योंकि अंतिम परिणाम बताते हैं। फल से पता चलता है वृक्ष न तो अशांति पद में है, न धन में है। का। तो तुम्हारे बेटे के जीवन में अगर प्रेम फले तो ही पता कोई देखता है, प्रेम में उलझाव है। प्रेम में उलझाव नहीं है। चलेगा कि तुमने प्रेम किया था, तुमने प्रेम की खाद डाली थी। उलझाव तो तुम्हारी प्रेम न कर पाने की स्थिति में है। तुमने प्रेम के लेकिन किसी बेटे के जीवन से पता नहीं चलता। नाम पर कुछ और किया है, इसलिए उलझाव है। पत्नी है, पति है, एक-दूसरे को कहते हैं कि प्रेम करते हैं। थोड़ा समझो। इधर मैं देखता हूं, सैकड़ों लोग अपनी प्रेम की लेकिन कभी तुमने देखा, गौर से समझा-यह प्रेम है या कुछ समस्या लेकर मेरे पास आते हैं। तो पहली बात तो यह है कि प्रेम और? प्रेम के नाम से धोखा दे रहा है। फिर समस्याएं खड़ी तो उन्होंने किया ही नहीं है, समस्या है। प्रेम के नाम पर कुछ होती हैं। तुम्हारी पत्नी किसी दूसरे की तरफ गौर से भी देख ले तो और किया है। प्रेम के नाम पर ईर्ष्या की है। प्रेम के नाम पर दूसरे | अड़चन शुरू हो जाती है। तुम्हारे अतिरिक्त भी सौंदर्य है जगत पर मालकियत साधनी चाही है। प्रेम के नाम पर राजनीति की में। तुमने कुछ सौंदर्य की मोनोपाली, एकाधिकार नहीं कर लिया है। प्रेम के नाम पर किसी को दबाना चाहा है, सताना चाहा है। है। तुम्हारे अतिरिक्त भी सौंदर्य है जगत में। तुममें भी सौंदर्य है, प्रेम के नाम पर किसी के सिर पर बैठ जाना चाहा है। यह नाम क्योंकि जगत में सौंदर्य है, अन्यथा तुममें भी न होता। तो अगर प्रेम का है, भीतर छिपा कुछ और है। पत्नी किसी की तरफ भरनजर देख लेती है, तुम घबड़ा क्यों गये तुम जिस स्त्री से कहते हो, मैंने प्रेम किया, तुमने प्रेम किया? हो? इतने परेशान क्यों हो गये हो? घबड़ाहट है। तुम जिस पुरुष को कहते हो, मैंने प्रेम किया, तुमने प्रेम किया? प्रेम कहीं घबड़ाता है? अगर प्रेम हो तो तुम चुपचाप पूछोगे, जिस बेटे को तुम कहते हो, मैंने प्रेम किया, प्रेम किया? बेटे में सुंदर लगा यह व्यक्ति? मुझे भी सुंदर लगा। सुंदर है।' न तो तुमने महत्वाकांक्षा की है कि तुम जो नहीं कर पाये, बेटा पूरा पत्नी को यह छिपाना पड़ेगा कि यह व्यक्ति सुंदर लगा, न तुम्हें करेगा। तुम जो अधूरा छोड़ जाओगे, बेटा पूरा करेगा। बेटे के इसके लिए कोई संघर्ष करना पड़ेगा कि तुम पत्नी को दबाओ, माध्यम से तुमने एक तरह का अमरत्व साधना चाहा। तुम तो कि पत्नी की आंख को हटाओ, कि पत्नी पर नियंत्रण करो। कहां मरोगे, तुम्हारा अंश तुम्हारे बेटे में जीयेगा। चलो इतना ही सही, क्या बुरा हुआ है? पूरे न बचोगे, एक अंश बचेगा। वृक्ष न बचेगा, लेकिन बीज तो पति अगर किसी और स्त्री से हंसकर बोल ले, मुस्कुराकर बचेगा। चलो यही सही। इतना तो इंतजाम कर लें। बोल ले तो पत्नी बेचैन है, परेशान है। यह कैसा प्रेम है? यह कौन अपने बेटे को प्रेम करता है! बेटे के माध्यम से कुछ और कैसा प्रेम है जो पति को मुस्कुराते नहीं देख सकता? पत्नी चीजें हैं, कुछ अहंकार की एषणाएं हैं जिन्हें तुम पूरा करना चाहते कहती है, मुस्कुराना तो बस मेरे पास। यह तो ऐसे हुआ, जैसे हो। तुम नहीं बन पाये प्रधानमंत्री, बेटा बन जायेगा। तुम नहीं हो कि तुम कहो कि सांस लेना तो बस मेरे पास! बाकी चौबीस घंटे पाये बड़े धन कुबेर, बेटा हो जायेगा। नाम तो रहेगा। नाम तो और कहीं श्वास मत लेना। तुम्हारा है, बेटा तो तुम्हारा है! मुस्कुराहट भी श्वास है। प्रेम भी श्वास है। और जैसे बिना इसलिए दुनिया में इतने मां-बाप कहते हैं कि हम अपने बच्चों भोजन के आदमी मर जाता है—बिना प्रेम के आदमी मर जाता को प्रेम करते हैं, लेकिन दुनिया में कहीं प्रेम दिखाई नहीं पड़ता। है। बिना भोजन के शरीर मरता है-बिना प्रेम के आत्मा मर सभी बच्चे तो मां-बाप से पैदा होते हैं। अगर सच में ही मां-बाप जाती है। तो बिना भोजन के तो तुम जी भी लो-थोड़े दिन; प्रेम करते हैं तो सभी बच्चे प्रेम से पैदा हों और उनके जीवन में बिना प्रेम के तो तुम क्षणभर नहीं जी सकते। क्योंकि प्रेम ही प्रेम की सुगंध हो। लेकिन वह सुगंध तो कहीं दिखाई नहीं तुम्हारी आत्मा की श्वास है। जैसे शरीर को आक्सीजन चाहिए 474 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org