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________________ जिन सूत्र भागः1 द्वार बंद कर लिया, फिर ? रिजेक्शन, अस्वीकार पैदा हुआ? | है। तो लोग पत्नियों को भी खरीदकर लाते रहे, दहेज दे-देकर तो बड़ी घबड़ाहट लगती है! | लाते रहे। वह भी खरीद-फरोख्त थी। अनेक लोग मुझसे आकर कहते हैं कि प्रेम में एक ही डर | अब यह मुश्किल होता जा रहा है, तो लोगों का ध्यान वस्तुओं मालूम पड़ता है। हम तो निवेदन करें और इनकार हो जाये! हम की तरफ जा रहा है, या पशओं की तरफ जा रहा है। एक कत्ता तो अपने हृदय के द्वार खोलें, पलक-पांवड़े बिछायें और दूसरा रख लिया; जब भी घर आये, वह पूंछ हिलाता है। वह कभी भी पीठ किये चला जाये, न आये; हम तो स्वागतम द्वार पर बांधे, ऐसा नहीं कह सकता कि नहीं हिलायेंगे पूंछ। तुम जब भी आये, फूल-पत्तियां लटकायें और कोई बिना देखे गुजर जाये तो फिर तभी तुम्हें गौरव देता है। बड़ी पीड़ा होगी! इससे तो बेहतर, अपना द्वार-दरवाजा बंद ही कुत्ते बड़े राजनीतिज्ञ हैं। वे समझ गये एक राजनीति कि रखना। क्योंकि जैसे ही तुम किसी को बुलाते हो, दूसरे को तुमने आदमी पूंछ हिलाने से बड़ा प्रसन्न होता है। उधर उसकी पूंछ बल दिया, शक्ति दी, जीवन दिया। अब दूसरे के हाथ में उपाय मुस्कुराने लगी, इधर तुम मुस्कुराने लगे। उसने एक कला सीख है, वह स्वीकार कर ले, अस्वीकार कर दे। ली। पर देखा तुमने, कुत्ते भी देखते हैं। अगर अजनबी आदमी प्रेम का पहला कदम ही जोखिम से भरा है। इसलिए स्त्रियां आता है तो भौंकते भी हैं, पूंछ भी हिलाते हैं। यह, यह राजनीति कभी प्रेम-निवेदन नहीं करतीं। इतनी जोखिम स्त्रियां नहीं न हुई, यह कूटनीति, डिप्लोमेसी है। वे यह देख रहे हैं कि जांच उठातीं। वे राह देखती हैं—तुम्हीं प्रेम-निवेदन करो। वे प्रतीक्षा तो कर लो, आदमी अपनावाला है कि नहीं है, पराया है, मित्र है करती हैं। कि कितनी जोखिम पुरुष उठाता है। जोखिम बड़ी है, कि शत्रु है। तो भौंकते भी हैं कि अगर शत्रु हुआ तो पूंछ रोक क्योंकि दूसरा कह सकता है, नहीं। दूसरा द्वार को बंद कर दे | लेंगे, भौंकते चले जायेंगे; अगर मित्र हुआ तो भौंकना बंद कर सकता है, तो फिर क्या होगा? फिर बड़ी पीड़ा और तड़फ देंगे, पूंछ पर पूरी ताकत लगा देंगे-असंदिग्ध जब हो जायेंगे। होगी। तुम इस योग्य न समझे गये कि स्वीकार किये जाओ! अभी संदेह है। नया-नया आदमी आ रहा है, पता नहीं मालिक इसलिए बहुत-से लोग अपना प्रेम ऐसी चीजों से लगाते हैं का मित्र हो कि दुश्मन हो। जहां से अस्वीकार हो ही नहीं सकता। एक कार खरीद ली, उसी पश्चिम में लोग जानवरों के पीछे कुत्ते-बिल्लियां पालने में से प्रेम करने लगे। अमरीका में करीब-करीब स्त्री के बाद कार लगे हैं; या वस्तुओं के पीछे हैं-कार है, मकान है; और हजार का नंबर दो है। कार में एक सुविधा है; इनकार नहीं कर तरह के उपकरण विज्ञान ने खोज दिये हैं, उनमें अपना प्रेम लगा सकती; खरीद लाये तो तुम्हारी। इसलिए हजारों साल तक | रहे हैं। आदमी स्त्री को भी खरीद के लाता रहा, प्रेम करके नहीं; क्योंकि यह वस्तुतः प्रेम से बचने का उपाय है, क्योंकि प्रेम की सबसे प्रेम में खतरा था। इसलिए विवाह पैदा हुआ। | पहली जोखिम यह है कि जब तुम दूसरे को देने जाते हो अपना विवाह होशियारी है; जोखिम से बचने की व्यवस्था है। हृदय, तो इनकार भी हो सकता है। और अगर दूसरे ने स्वीकार मां-बाप इंतजाम करते हैं, पंडित-पुरोहित कुंडली मिलाते हैं। किया तो तुमने ही कुछ नहीं दिया, दूसरे ने स्वीकार करके तुम्हें तुम्हें सीधा निवेदन नहीं करना पड़ता। जैसे तुम किसी के भाई कुछ दे दिया। प्रेम में लेनेवाला भी देनेवाला है—देनेवाला तो हो, किसी की बहन हो-ऐसे एक दिन किसी के पति या पत्नी | देनेवाला है ही। हो जाते हो। अचानक तुम पाते हो-हो गये। उसके लिए तुम्हें प्रेम की बड़ी अपूर्व महिमा है। वहां दोनों दाता हो जाते हैं। खोज नहीं करनी पड़ती: तम्हें पहली जोखिम नहीं उठानी पड़ती। इससे बड़ा जाद और कहीं भी घटित नहीं होता। सब गणित के लेकिन जब पहली जोखिम नहीं उठाई तो सारा जीवन गलत हो | नियम टूट जाते हैं। क्योंकि दोनों दाता हो नहीं सकते गणित के जाता है। वह दुस्साहस जरूरी है। | नियम से; एक दाता होगा तो एक लेनेवाला होगा। एक का हाथ तो विवाह ईजाद हुआ, ताकि प्रेम से बचा जा सके। लोग ऊपर होगा, दूसरे का हाथ नीचे होगा। लेकिन प्रेम दोनों हाथों सोचते हैं, प्रेम के लिए विवाह है। प्रेम वस्तुतः बचने का उपाय को समान स्तर पर ला देता है; दोनों दाता बन जाते हैं। देनेवाला 482 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340122
Book TitleJinsutra Lecture 22 Parmatma ke Mandir ka Dwar Prem
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size40 MB
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