SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मी वन थोड़ी देर को है। सुबह हो गई तो जल्दी सांझ लगा देने को तैयार हो! जोखिम उठाने की हिम्मत चाहिए। जा भी होगी। जन्म हुआ तो मौत आने लगी ही तुम्हारे | जुआरी का दिल चाहिए। होशियारी से न चल सकोगे इस रास्ते पास। पर। होशियार भटक जाते हैं। ज्यादा समझदारी अंततः नासमझी जन्म और मृत्यु के बीच में ज्यादा समय नहीं है-अत्यल्प सिद्ध होती है। क्योंकि समझदार रत्ती-रत्ती का हिसाब रखता है। काल है। उसे सोये-सोये मत बिता देना। क्योंकि जो उसे | रत्ती-रत्ती तो बचा लेता है; लेकिन जीवन का सारा खजाना खो सोये-सोये बिता देता है, वह जान ही नहीं पाता कि कौन था, जाता है। बूंद-बूंद बचा लेता है, सागर गंवा देता है। क्यों आया था; जीवन के सारे रहस्यों से अपरिचित रह जाता | कंकड़-पत्थर जुटाने में ही समय व्यतीत हो जाता है और सांझ है। और प्राणों में सिवाय आंसुओं के, अतृप्त आकांक्षाओं के, आने में देर नहीं लगती। सुबह हो गई तो सांझ होने लगी। सूरज असंतोष के, विषाद के, कुछ भी लेकर न जा सकोगे। ऊगा नहीं कि डूबना शुरू हो जाता है; पूरब से उठा नहीं कि जागा हुआ ही भरता है; सोया हुआ खाली रह जाता है। और पश्चिम की तरफ यात्रा शुरू हो गई। जीवन इतना छोटा है कि अगर उद्दाम वेग से, अगर महत संकल्प | इसके पहले कि सूरज डूब जाये, इसके पहले कि अंधेरा तुम्हें से, अगर सारे जीवन को दांव पर लगा देने की आकांक्षा के पकड़ ले और खुद को खोजना मुश्किल हो जाये और ऐसा बिना, जागना चाहा तो जाग न पाओगे। बहुत बार हो चुका है इसलिए तुम्हें चेता देना जरूरी है। बहुत तो ऐसे भी हैं जो सोये-सोये ही जागने का सपना देख अनेक-अनेक बार तुमने सूरज देखा है, सुबह देखी है। लेते हैं और समझा लेते हैं कि जाग गये। सौ में से निन्यानबे और तुम्हारे जीवन की कथा पूरी भी नहीं हो पाती। कब साधु-संन्यासी जागने का सपना देख रहे हैं, जागे नहीं। क्योंकि किसकी होती है? जागने की जो प्रक्रिया है और उस प्रक्रिया के लिए जितने जोर से | जमाना बड़े शौक से सुन रहा था जीवन को दांव पर लगा देने की जरूरत है, वैसा साहस उनमें हमीं सो गये दासतां कहते-कहते दिखाई नहीं पड़ता। अकसर तो ऐसा होता है कि साधु और कभी पूरी भी नहीं होती दासतां। सभी बीच में ही मर जाते हैं। संन्यासी भयभीत लोग होते हैं। साहस के कारण संन्यासी नहीं क्योंकि आकांक्षाएं अनंत हैं और समय सीमित है। जीवन की होते हैं; संसार के भय के कारण संन्यासी हो जाते हैं। और प्याली में इतनी आकांक्षाएं भरी नहीं जा सकतीं। संन्यास का भय से क्या संबंध हो सकता है? | तो अगर खाली हाथ जाना हो तो सांसारिक का जीवन है। इसके पहले कि हम सूत्रों में प्रवेश करें, इस बात को खयाल में अगर भरे हाथ जाना हो तो धार्मिक का जीवन है। लेकिन धर्म का ले लेना : दुस्साहस चाहिए। ऐसा साहस-जो सब दांव पर प्रारंभ साहस से होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340119
Book TitleJinsutra Lecture 19 Dharm ki Mul Bhitti Abhay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy