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________________ जिन सूत्र भागः1 HRUITREAM क्या है? जैसे कि अर्थ कोई बाहर रखी चीज है, जो कोई बता दे | चाहता हूं; अन्यथा खाली-खाली मालूम पड़ रहा है। मेरे ऊपर कि यह रहा। जैसे तुम पूछो, सूरज कहां है, कोई बता दे कि वह | कोई उत्तरदायित्व नहीं है।' धनी घर का लड़का है। सब सुविधा रहा आकाश में! है। 'खाली-खाली मालूम हो रहा हूं। शादी कर लूंगा तो कुछ लोग पूछते हैं, जीवन का अर्थ क्या है? भरापन हो जायेगा।' जैसे अर्थ कोई बनी-बनाई, रेडीमेड वस्तु है, जो कहीं रखी है। अभी अमरीका में एक आदमी पर मुकदमा चलता था, क्योंकि और तुम्हें खोजनी है। उसने सात आदमियों को गोली मार दी थी-अकारण, जीवन में अर्थ नहीं है। अर्थ तुममें है! और तुम जागोगे तो | अपरिचित अजनबियों को! ऐसे लोगों को जिनका चेहरा भी जीवन में अर्थ फैल जायेगा। और तुम सोये रहोगे तो जीवन | उसने नहीं देखा था, पीछे से। सागर-तट पर कोई बैठा था, निरर्थक हो जायेगा। फिर इस निरर्थकता के खालीपन से बड़ी | उसने पीछे से आकर गोली मार दी। एक ही दिन में सात आदमी घबड़ाहट होती है, तो आदमी झूठे-झूठे अर्थ कल्पित कर लेता मार डाले। बामुश्किल पकड़ा जा सका। पकड़े जाने पर है। वे सहारे हैं, सांत्वनाएं हैं। तो कोई कहता है, बच्चों को बड़े अदालत में जब पूछा गया कि तूने किया क्यों? क्योंकि इनसे करना है। लगा रहता है, व्यस्त रहता है। क्योंकि जब भी कोई तेरी कोई दुश्मनी न थी; दुश्मनी तो दूर, पहचान भी न थी। अर्थ नहीं मालूम पड़े बाहर, तो भीतर की निरर्थकता मालूम होती तो उसने कहा कि मेरा जीवन बड़ा खाली-खाली है; मैं कुछ है। बच्चों को बड़े करना है। तुम्हारे पिता भी यही करते रहे, | काम चाहता था; किसी चीज से अपने को भर लेना चाहता था। उनके पिता भी यही करते रहे। ये बच्चे बड़े किसलिए हो रहे मैं चाहता हूं कि लोगों का ध्यान मेरी तरफ आकर्षित हो। और हैं ये भी यही करेंगे। ये भी बच्चे बड़े करेंगे। वह काम हो गया। अब मुझे फिक्र नहीं, तुम फांसी दे दो! इसका मतलब क्या है? प्रयोजन क्या है? अगर तुम्हारे पिता | लेकिन सब अखबारों में मेरा फोटो भी छप गया, सभी अखबारों तुमको बड़ा करते रहे और तुम अपने बच्चों को बड़ा करते रहोगे, में नाम भी छप गया। आज हजारों लोगों की जबान पर मेरा नाम तुम्हारे बच्चे उनके बच्चों को बड़ा करते रहेंगे, तो इस बड़े करने है, यह तो देखो! का प्रयोजन क्या है? इस सतत सक्रियता का अर्थ क्या है? | लोग कहते हैं, बदनाम हुए तो क्या, कुछ नाम तो होगा ही। इसमें कुछ अर्थ तो नहीं है। यह तो तुम्हें भी कभी-कभी झलक राजनीतिज्ञों में और अपराधियों में बहुत फर्क नहीं है। जाता है। | राजनीतिज्ञ समाज-सम्मत व्यवस्था के भीतर नाम को कमाने की धन ही इकट्ठा कर लोगे तो क्या होगा? अंततः आती है मौत! चेष्टा करता है। अपराधी समाज-सम्मत व्यवस्था नहीं खोज सब हाथ खाली हो जाते हैं। सब छिन जाता है। जो छिन ही पाता, समाज के विरोध में भी कुछ करके नाम पाने की आकांक्षा जायेगा, उसे पकड़-पकड़कर क्या होगा? लेकिन कम से कम करता है। इसलिए अगर कोई रातनीतिज्ञ बहुत दिनों तक बीच में कुछ अर्थ है, प्रयोजन है—इस तरह की भ्रांति तो पैदा हो राजनीति को न पा सके तो उपद्रवी हो जाता है, क्रिमिनल हो जाता जाती है। है, अपराधी हो जाता है। क्योंकि मूल आकांक्षा है: लोगों का लोग अजीब-अजीब अर्थ पैदा कर लेते हैं। ध्यान आकर्षित करना। मूल आकांक्षा है। लोगों को लगे कि मैं एक युवक मेरे पास आया। अपनी प्रेयसी को लेकर आया कुछ है; दुनिया कहे कि तुम कुछ हो, तुम्हारा कुछ अर्थ है। तुम और उसने कहा कि मुझे विवाह करना है। मैंने कहा कि अभी ऐसे ही आये और चले नहीं गये; तुमने बड़ा शोर मचाया। तेरी उम्र बीस साल से ज्यादा नहीं है, अभी इतनी जल्दी बोझ क्यों तुम्हारा आना एक तूफान की तरह था। दुनिया को तुम्हारे ऊपर लेता है? अभी दो-चार-पांच साल और मुक्त रहकर गुजर ध्यान देना पड़ा। सकते हैं। इतने उत्तरदायित्व लेने की अभी जरूरत कहां है? | तुमने कभी खयाल किया? तुम वस्त्र भी इसीलिए पहनते हो अभी तू स्कूल में पढ़ता है! थोड़ा रुक! पढ़ लिख ले। ढंग-ढंग के कि ध्यान पड़े, कोई देखे। स्त्रियां देखीं, नयी उसने कहा, 'उत्तरदायित्व लेने के लिये ही तो विवाह करना | | साड़ियां पहनकर आ जाती हैं तो बड़ी बेचैन रहती हैं, जब तक 326 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340115
Book TitleJinsutra Lecture 15 Manushyo Satat Jagrat Raho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size44 MB
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