________________ जिन सूत्र भाग: 1 'बदमाश' शब्द का उपयोग किया तो पांच पैसा जुर्माना; अगर पूरे ही पड़ोगे। तब नहर खोदने से काम न चलेगा। तब तुम्हारी 'गधे' शब्द का उपयोग किया तो दस पैसे जुर्माना, अगर | गाली भी मेरे पास आयेगी, तुम्हारी प्रार्थना भी मेरे पास आयेगी। 'साला' शब्द का उपयोग किया तो बीस पैसे जुर्माना, अगर तुम्हें जागना होगा! और गालियों से निस्तार पाना होगा। 'हरामजादा' शब्द का उपयोग किया तो चालीस पैसे जुर्माना। अन्यथा तुम्हारा प्रेम भी कलुषित हो जायेगा, तुम्हारी प्रार्थना भी पचास पैसे वह अपने बेटे को जेब-खर्च के लिए रोज देता है। कलुषित हो जायेगी। बेटा हंसने लगा। वह सुनता रहा और देखता रहा और हंसने अच्छा है कि इस बहाने तुम्हें तुम्हारी गालियां दिखाई पड़ने लगा। तो उसने पूछा, 'तू हंसता क्यों है? बात क्या है?' लगीं; अब धीरे-धीरे उन गालियों से अपने बंधन को खोलो। उसने कहा कि मुझे ऐसी भी गालियां आती हैं कि रुपया भी अब धीरे-धीरे जागो। क्योंकि वे गालियां तुम्हें उड़ने न देंगी, कम पड़ेगा। वजनी हैं; पत्थर की तरह तुम्हारी गर्दन में अटकी रह जायेंगी। गालियां तुम्हें आती हैं, तो तुम जिससे भी संबंध बनाओगे उसी मेरे और तुम्हारे बीच पत्थरों की तरह अटकी रह जायेंगी। प्रवाह की तरफ बहने लगेंगी। जो तुम्हें आता है वही तो बहेगा। ठीक से न हो पायेगा। तुम जब भी गाली दोगे, सिकुड़ जाओगे। गालियां ही तुमने जीवन में सीखी हैं, तो तब जब तुम प्रेम में भी जब भी गाली दोगे, तुम्हारे भीतर अपराध-भाव उठेगा। जब भी पड़ते हो तो प्रेम में भी तुम्हारी गालियां प्रवाहित होने लगती हैं। गाली दोगे, ग्लानि मालूम होगी। आखिर तुम्हीं तो बहोगे न अपने प्रेम में? तो तुमने जीवनभर में | अच्छा है कि प्रश्न पूछा; कम से कम ईमानदारी तो की। अब जो दुर्गध इकट्ठी की है, वह तुम्हारे प्रेमी पर भी तो पड़ेगी। इतना और होश सम्हालो। गाली देना बंद करने को नहीं कह रहा आखिर प्रेम 'तुम' करोगे तो तुम्हारी गालियां कहां जायेंगी? हूं मैं; क्योंकि अगर तुमने जबर्दस्ती बंद की तो तुम किसी और इसे समझने की कोशिश करना। तुम शायद सोचते हो, तुम | को देने लगोगे। तब तुम्हें एक और गुरु चाहिए पड़ेगा, जिसको शत्रुओं को ही गाली देते हो-गलत। अगर गाली देना तुम्हारी तुम गाली दो और एक गुरु जिसकी तुम प्रशंसा करो। यही तो आदत में शुमार है, अगर गाली देने की तुम्हारी भीतर संभावना | लोग कर रहे हैं। अगर महावीर की प्रशंसा करते हैं, तो बुद्ध को है, तो शत्रु को तुम प्रगट में देते होओगे, मित्र को तुम अप्रगट में गाली देते हैं। गालियां कहां जायें? नहर खोदनी पड़ती है। देते होओगे-मगर दोगे जरूर। जो तुम्हारे पास है वह तो तुम अगर राम की प्रशंसा करते हैं तो कृष्ण को गाली देते हैं। अगर बाटोगे। मित्र को शायद मजाक में दोगे—मगर दोगे जरूर।। कृष्ण की प्रशंसा करते हैं तो राम को गाली देते हैं। ऐसे लोग हैं कि जब तक उनमें गाली-गुफ्ता का संबंध न हो लेकिन थोड़ा जागो! तब तक वे मित्रता ही नहीं मानते। जब तक 'आइये'. मैंने सुना है कि एक बहुत बड़ा आर्किटेक्ट, एक बड़ा शिल्पी 'बैठिये', 'आप कैसे हैं' इत्यादि शब्दों का प्रयोग करना पड़ता समुद्र में जहाज डूबने से, समुद्र में तैरते-तैरते एक अनजान द्वीप है, तब तक मित्रता नहीं, परिचय है। जब गाली-गुफ्ता शुरू हो पर लग गया। अकेला था। वहां द्वीप पर कोई भी न था। बड़ा जाती है, तब मित्रता है। कुशल शिल्पी था। और कोई काम भी न था उसे। बड़े फल थे, इसे थोड़ा देखना। यह कैसी मित्रता हुई? वृक्ष लदे फलों से, तो भोजन की कोई कमी न थी। जंगल में लेकिन तुम्हारी मजबूरी है। जो तुम्हारे पास है, वह तुम्हारी लकड़ियां थीं। संदर पत्थर थे। उसने धीरे-धीरे बैठे-बैठे क्या मित्रता पर भी छाया डालेगा। करेगा, बनाना शुरू कर दिया। मकान बनाये। दुकानें बनाई। दो तरह के लोग हैं। कुछ लोग हैं जो एक आदमी को मित्र बना | चर्च बनाये। वर्षों बाद, कोई बीस वर्ष बाद, जब उसका पूरा लेते हैं और दूसरे को शत्रु बना लेते हैं। वे अपने को बांट लेते नगर आबाद हो गया, तब एक जहाज किनारे लगा आकर। तो हैं। जो-जो बुरा है वह शत्रु की तरफ प्रवाहित करते हैं, नहर खोद उस शिल्पी ने कहा जहाज के यात्रियों को, कैप्टन को, कि इसके लेते हैं; जो-जो अच्छा है, वह मित्र की तरफ प्रवाहित करते हैं, पहले कि हम छोड़ें, इसके पहले कि मैं जहाज पर सवार हो नहर खोद लेते हैं। लेकिन जब तुम मेरे प्रेम में पड़ोगे तो पूरे के जाऊं, आओ, मैंने जो बनाया है उसे तो देख लो! तो उसने 262 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org