________________ सम्यक ज्ञान मुक्ति है बंद करते हैं, तब याद रखना, ऐसी घड़ी में करते हैं जब उनका की योजना रखेगा, तो भवन बनेगा कब? सबसे ऊंचा शिखर आ जाता है। महावीर पर जैन दृष्टि ने सबसे | मुहम्मद के साथ मुसलमानों ने अपने दरवाजे बंद कर लिये। ऊंचे शिखर को छू लिया। बस, फिर पीछे चलनेवालों को लगा मुहम्मद के साथ ही इस्लाम ने अपनी आखिरी ऊंचाई छू ली। कि अब दरवाजे बंद कर दो। अब बहुत हो चुका। सबसे ऊंचा मुहम्मद पहले और आखिरी तीर्थंकर हैं इस्लाम के। पहले और शिखर छू लिया–अब दरवाजे बंद! अब कोई तीर्थंकर न आखिरी पैगंबर। फिर इस्लाम ने इतनी भी हिम्मत न की, जितनी होगा। क्योंकि तीर्थंकर और होते रहेंगे, इसका अर्थ है कि हिम्मत जैनियों ने की थी, कम से कम चौबीस को तो बरदाश्त नित-नूतन धर्म होता रहेगा। कोई नया तीर्थंकर नयी बात किया! मुसलमानों ने इतनी भी हिम्मत न की; बड़ा कमजोर धर्म कहेगा। महावीर ने भी बहुत-सी नयी बातें कहीं, जो पार्श्वनाथ साबित हुआ। दरवाजे बंद कर लिये। ईसाइयों ने भी यही किया, ने न कही थीं। महावीर ने बहुत-सी बातें नयी कहीं, जो दरवाजे बंद कर लिये। अब कोई नहीं होगा। आखिरी पैगाम आ आदिनाथ ने न कही थीं। और अब तो मजा यह है कि जो गया परमात्मा का, अब इसमें कोई तरमीम न होगी, कोई सुधार महावीर ने कहा, उसी के आधार पर हम सोचते हैं कि ऋषभ ने, न होगा, कोई संशोधन न होगा। आदि ने, नेमी ने क्या कहा होगा। अब तो महावीर प्रमाण हो जिंदगी रोज चली जाती है, तुम्हारे धर्म कहीं न कहीं रुक जाते गये। अंतिम प्रमाण हो जाता है, वह सबको रंग देता है। लेकिन हैं। जो धर्म जिंदगी के साथ नहीं चलता, वह अधर्म हो जाता है। महावीर ने कुछ बातें कही हैं, जो निश्चित ही ऋषभ ने नहीं कही तो मैं तो तुमसे कहता हूं, प्रतिपल तीर्थंकर होंगे, प्रतिपल होंगी। कारण भी साफ है। | पैगंबर होंगे। और तुम्हें अब जब भी कभी मौका मिले और तम्हें वेद हिंदओं के ग्रंथ हैं। ऋषभ का बड़े सम्मान से उल्लेख करते दो पैगंबरों के बीच में चनना हो, तो नये को चनना, पराने को मत हैं। लेकिन महावीर का किसी हिंदू-ग्रंथ ने उल्लेख नहीं किया। चुनना। क्योंकि पुराने को चुनने में तुम अपने को चुनोगे। नये ऋषभ में अड़चन मालूम न हुई होगी; कोई बहुत क्रांतिकारी को चुनने में तुम अपने को छोड़ोगे तो ही चुन सकोगे। जब तुम व्यक्ति न रहे होंगे। तो वेद भी उनका उल्लेख करता पुराने को चुनते हो तो तुम अपने को ही चुनते हो, क्योंकि पुराने है-सम्मान से, बड़े सम्मान से। लेकिन महावीर की बात भी के साथ तो तुम आत्मसात हो गये हो। तुमने पुराने को तो पिघला नहीं उठाता। महावीर की बात भी कोई हिंदू-शास्त्र में नहीं है। लिया है। तुमने पुराने को तो अपने ही ढंग का बना लिया है। महावीर के अगर माननेवाले न हों, तो महावीर का कोई प्रमाण तुमने तो पुराने में काफी तरमीम और कांट-छांट कर ली है। भी नहीं रह जायेगा। क्योंकि हिंदू-धर्म के ग्रंथों ने कोई उल्लेख पुराने से तुम्हें कोई खतरा नहीं रहा है; नया फिर तुम्हें डगमगाता नहीं किया। महावीर निश्चित ही बड़े खतरनाक रहे होंगे। इस | है, फिर तुम्हारी जड़ें उखाड़ता है, फिर तुम्हें जलाता है, फिर आदमी की बात भी उठानी खतरनाक थी। बुद्ध से ज्यादा अग्नि में फेंकता है। जब भी चुनना हो तो नये को चुनना। खतरनाक रहे होंगे, क्योंकि बुद्ध को तो हिंदुओं ने बाद में धीरे-धीरे अपना एक अवतार स्वीकार कर लिया। लेकिन एक और मित्र ने पूछा है कि आप कहते हैं, धर्म परंपरा नहीं महावीर का तो नाम भी उल्लेख न किया। इस आदमी का नाम है; लेकिन क्या परंपरा की जरूरत नहीं है? क्या परंपरा से भी खतरनाक रहा होगा। यह आदमी खतरनाक था! हानि ही हानि हुई कि कुछ लाभ भी...? तुम जरा थोड़ा सोचो! जैन धर्म ने अपनी आखिरी क्रांति छू ली। फिर पीछे चलनेवाला अनुयायी घबड़ा गया कि अब बहुत यह मैंने कहा नहीं कि परंपरा की जरूरत नहीं है। अगर तुम्हें हो चुका; अब द्वार-दरवाजा बंद करो; अब कहो कि अब और जड़ रहना हो, परंपरा की बड़ी जरूरत है। अगर तुम्हें मुर्दा रहना कोई तीर्थंकर न होगा। अन्यथा तीर्थंकर आते रहेंगे। अन्यथा हो, तो परंपरा औषधि है। अगर तुम्हें रूपांतरित न होना हो तो नये-नये उन्मेष, नयी-नयी क्रांतियां-तो हम ठहरेंगे कहां? | परंपरा बड़ी सुरक्षा है। कायरों के लिए, कमजोरों के लिए, रोज कोई आयेगा और पुराने भवन को गिरायेगा और नये बनाने परंपरा शरण-स्थल है। बड़ी जरूरत है, क्योंकि कायर हैं दुनिया 167 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org||