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________________ जिन सूत्र भागः 1 ने देखा नहीं, कोई गवाह नहीं। लेकिन अब इसके मन के भीतर जो सोचते हो, वही तुम्हारा कृत्य बन जायेगा। एक भय समा गया है कि यह मैंने क्या किया, यह मैंने क्या इसलिए महावीर कहते हैं, कृत्य को बदलने के पहले विचार किया! अब वह दिन-रात न सो सकता है, न कुछ और कर पर जागना होगा। अगर विचार चल पड़ा तो ज्यादा देर नहीं है सकता है। वह खिड़कियां बंद किये बैठा रहता है। वह सोचता कृत्य के पूरे हो जाने में। है : अब पुलिस आई; अब यह जूते की आवाज आने लगी; महावीर कहते थेः सोचा, कि आधा हो गया। महावीर के बड़े अब यह गाड़ी आ रही है, पुलिस की ही होगी! कोई दरवाजे पर प्रख्यात सिद्धांतों में, बड़े उलझन-भरे सिद्धांतों में एक यह है कि दस्तक देता है, वह घबड़ा जाता है, पसीने-पसीने हो जाता है। सोचा कि आधा हो गया। इसको तर्क-रूप से सिद्ध करना बड़ा अब एक दूसरा विचार उसको पकड़ रहा है कि मैं पकड़ा मुश्किल है। महावीर के दामाद ने इसी बात को लेकर महावीर के जाऊंगा। जैसे पहला विचार एक दिन सघनीभूत होकर कृत्य बन | खिलाफ बगावत खड़ी कर दी थी और पांच सौ महावीर के गया, बिना सोचे हत्या हो गई, ऐसा ही अब दूसरा विचार मुनियों को लेकर अलग भी हो गया था। क्योंकि उसने कहा, घनीभूत होता चला जाता है। अब वह पत्तों से भी चौंकने लगता| यह बात तो गलत है; महावीर कहते हैं, सोचा और आधा हो है; कोई पत्ता खड़कता है और वह घबड़ा जाता है। आसपास के गया, यह तो बात गलत है। क्योंकि मैं सोचता हूं कि यह मकान लोग भी चितिंत हो गये हैं कि यह इतना घबड़ाया-घबड़ाया क्यों गिर जाये, आधा तो नहीं गिरता। सोचना सोचना है; होना होना है, रास्ते पर चलता है तो बच-बचकर चलता है, देखकर चलता है। सोचने से कैसे आधा हो जायेगा? हर आदमी सोचता है, मैं है : कौन आ रहा है, कौन जा रहा है। पुलिस दिखाई पड़ती है, धनी हो जाऊं, हो तो नहीं पाता! आधा भी नहीं हो पाता! गली में निकल जाता है, भाग खड़ा होता है। आखिर सारे गांव एक मालिक ने अपने नौकर को समझाया : देखो, यदि किसी में खबर हो जाती है कि मामला क्या है! लोग उससे पूछने लगते काम की योजना ठीक तरह से बन जाये तो समझना चाहिए कि हैं कि मामला क्या है। वह इनकार करता है कि 'मामला क्या है, | आधा काम हो गया। तत्पश्चात नौकर को कमरों की सफाई का कोई मामला नहीं है! तुमने पूछा क्यों? तुम हो कौन आदेश देकर वे कहीं चले गये। दो घंटे बाद जब वापिस आये तो पूछनेवाले? तुमने संदेह कैसे किया?' उन्होंने पूछा, 'कहो, काम हो गया?' / लोग बड़े हैरान होते हैं कि जरूर कोई बात है। अब घनी होने 'जी, आधा हो गया,'नौकर ने तपाक से कहा। लगती है बात। आखिर वह इतनी पीड़ा में पड़ जाता है कि सो भी 'अच्छा, कौन-कौन से कमरे साफ कर दिये?' मालिक ने नहीं सकता; रात-दिन एक ही सपना कि पुलिस पकड़ती है! पूछा। 'जी, सफाई तो अभी शुरू नहीं की परंतु योजना बना ली एक दिन वह पुलिस थाने पहुंच जाता है। वह जाकर वहां कहता है कि किस कमरे की किस क्रम से सफाई करनी है,' नौकर ने है: पकड़ ही लो, यह बकवास बंद करो! रात-दिन, सुबह शाम | उत्तर दिया। न मैं सो सकता, न मैं भोजन कर सकता। हां, मैंने ही हत्या की | महावीर के विरोध में जो लोग खड़े हो गये थे, उनकी बात है। पुलिस इंसपेक्टर भला आदमी है। वह कहता है, 'तू पागल तर्कयुक्त मालूम पड़ती है, क्योंकि सोच लेने से तो नहीं हो हो गया है? तू और हत्या क्यों करेगा? तुझ से बुढ़िया का जायेगा कुछ। लेकिन महावीर बड़ी गहरी बात कह रहे हैं। वे लेना-देना क्या है?' यह कह रहे हैं, जब पहली तरंग उठ गई, जब बीज भूमि में पड़ पुलिस उसे समझाती है कि तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया गया तो अब यह किसी को भी दिखाई नहीं पड़ता कि वृक्ष हो है। वह कहता है, 'नहीं, दिमाग खराब नहीं हो गया है, मैंने गया। लेकिन बीज भूमि में पड़ गया-आधी बात हो गई हत्या की है।' अदालत में वह यही बयान देता है कि मैंने हत्या असली बात हो गई। अब तो समय की ही बात है। अब तो थोड़े की है, लेकिन पुलिस कोई गवाह नहीं जुटा पाती। समय की ही बात है और थोड़े ऋतु की बात है, वर्षा के बादल एक छोटे-से विचार की तरंग आज नहीं कल घटना में आयेंगे, वर्षा होगी, बीज फूटेगा, अंकुर बनेगा। अब यह सब रूपांतरित हो जाती है। तुम जो सोचते हो, वही हो जाते हो। तुम समय की बात है, लेकिन बीज जमीन में पड़ गया-आधी बात 98 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340105
Book TitleJinsutra Lecture 05 Param Aushadhi Sakshi Bhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size37 MB
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