________________ जिन सत्र भागः खींच-खींचकर फूल बनाना पड़ता है? पौधों को जमीन से | और शीत, यहां सब चीजें संतुलित हैं। दो पैर हैं, दो पंख हैं, खींच-खींचकर बाहर निकालना पड़ता है? अपने से बढ़े चले | ताकि संतुलन बना रहे। आते हैं। कलियां लग जाती हैं। कलियां खिल जाती हैं, फूल __तो अगर तुम किसी भक्ति-मार्गी के घर में पैदा हो गये और बन जाते हैं। फूल बन जाते हैं, सुगंध बिखर जाती है—हवाओं बचपन से ही तुमने नारद के सूत्र सुने कि भक्त भाव-विह्वल हो में, आकाश की यात्रा पर निकल जाती है। सब चुपचाप होता जाता है, रोमांचित हो जाता है, आंखें आंसुओं से भर जाती हैं, चला जाता है। ऐसा ही आदमी भी है। पर आदमी की अड़चन | | रोता है, उसके गीत गाता है, नाचता है, मदमस्त होता है, यह है कि आदमी के पास सोच-विचार का यंत्र है, उससे | | मतवाला हो जाता है-अगर तुमने ये सुने और तुम्हारी आंखों में अड़चन खड़ी होती है। जरा किसी गुलाब के पौधे को | आंसू नहीं आते, तुम क्या करोगे? तुम जबर्दस्ती करोगे। तुमने सोच-विचार का यंत्र दे दो, बस मुश्किल हो जायेगी। फिर बुद्धि का सदुपयोग न किया। गुलाब मुश्किल में पड़ा। फिर हजार अड़चनें खड़ी हो जायेंगी। अपने को देखो! तुम्हीं महत्वपूर्ण हो; न नारद न महावीर, न मैं क्योंकि वह सोचेगा, कितना बड़ा फूल चाहिए। पड़ोसी गुलाब न कोई और। तुम्हीं महत्वपूर्ण हो, क्योंकि तुम्ही तुम्हारे गंतव्य से ईर्ष्या भी जगेगी। ईर्ष्या के साथ राजनीति पैदा होगी, हो। उपयोग कर लो जिसका उपयोग करना हो; लेकिन सदा महत्वाकांक्षा जगेगी कि मैं सबसे बड़ा गुलाब हो जाऊं। अब ध्यान रखना, तुम्हारे स्वभाव के अनुकूल उपयोग हो, तो तुम अगर वह बटन गुलाब है तो बटन गुलाब है, सबसे बड़ा गलाब | पहंचोगे, नहीं तो भटक जाओगे। हो नहीं सकता; लेकिन सबसे बड़े गुलाब होने की जद्दो-जहद में 'तेरी यारी में बिहारी सुख न पायो री!' बड़ी चिंता खड़ी होगी, रात तनाव रहेगा, नींद न आयेगी, दिनभर | बिहारी ने बड़े सुख में कहा है यह। तेरी यारी में बिहारी सुख न उदास रहेगा, गणित बिठायेगा: कैसे बड़ा हो जाऊं! और डर पायो री! बड़े प्रेम में कहा है। यह उलाहना नहीं है, शिकायत यह है कि इस सब चिंता में जो ऊर्जा नष्ट होगी उससे वह वह भी नहीं है। यह प्रेमियों का खेल है, यह प्रेमियों की क्रीड़ा है। भक्त न हो पायेगा जो हो सकता था। भगवान से कहता है कि तेरे प्रेम में कुछ सख न मिला। भगवान मनुष्य की तकलीफ यही है-होनी नहीं चाहिए थी। बुद्धि का ही भक्त के साथ थोड़े ही खेलता है, भक्त भी खेलता है! अगर सदुपयोग हो तो तुम्हें सहयोग देगी, लेकिन दुरुपयोग हो | भगवान ही थोड़े ही मजाक करता है भक्त के साथ, भक्त भी रहा है। तम जैन घर में पैदा हो गये अब तुम्हारी बद्धि कहती है, | करता है। जहां अपनापा है, वहां मजाक भी चलती है। तुम जैन हो। और तुम्हारी आंखें अगर आंसुओं से भरी हैं तो बड़ी बिहारी कोई शिकायत नहीं कर रहे हैं। एक पहेली दे रहे हैं कठिनाई होगी। महावीर के मंदिर में आंसुओं के लिए जगह नहीं परमात्मा को कि सुनो जी! खूब उलझाया! मगर तुम्हारे प्रेम में है। उस मंदिर में आंसू पाप हैं, वर्जित हैं। तब तुम्हें कृष्ण का कुछ सुख न पाया! लेकिन यह कोई दुख से निकली आवाज नहीं कोई मंदिर खोजना पड़े, जहां रोने की छुट्टी है; छुट्टी ही नहीं, है। इस शब्द में पगे प्रेम को देखते हो! तेरी यारी में बिहारी सुख जहां रोना साधन है। | न पायो री! बड़े सुख में पगे शब्द हैं। अब अगर तुम किसी भक्ति-मार्गी के घर में पैदा हो गये, नहीं, उसकी याद में मिला दुख भी सुख है। उसकी राह पर कृष्ण-मार्गी के घर में पैदा हो गये और तुम्हारी आंखों में आंसू मिले कांटे भी फूल हैं। उसके मार्ग पर मर भी जाना पड़े तो नहीं हैं-नहीं हैं तो तुम क्या करोगे? परमात्मा ने तुम्हें वैसा नहीं जीवन है। और उसके बिना जीवन भी मिले तो निरर्थक। उसके चाहा। सभी रोनेवाले नहीं चाहिए, कुछ हंसनेवाले भी चाहिए। बिना फूल ही फूल मिलें और कांटे भी न हों तो उनसे सभी समर्पणवाले नहीं चाहिए, कुछ संकल्पवाले भी चाहिए। मरण-शैय्या ही बनेगी। वे तुम्हारी कब्र पर चढ़ाये गये फूल जीवन में विरोधों का संतुलन है। जितने यहां समर्पणवाले लोग | सिद्ध होंगे। उसके मार्ग पर जो मिल जाये वही सुख है-दुख हैं उतने ही यहां संकल्पवाले लोग हैं। जीवन संतुलन से चलता भी मिलें तो भी। उसके मार्ग पर जा रहे हैं! है। रात और दिन, अंधेरा और प्रकाश, जीवन और मृत्यु, ग्रीष्म तुमने कभी किसी प्रेमी को अपनी प्रेयसी की तरफ जाते देखा! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org