________________ प्रश्न-सार कोई आठ वर्षों से आपको सुनती-पढ़ती हूं; लेकिन सिर्फ आप ही हैं सामने।...रोना ही रोना! यह क्या है? M शास्त्रीय परंपरा में संन्यासी काम-भोग से विमुख और प्रभु-प्राप्ति के लिए उन्मुख होता है; लेकिन आपके संन्यास में विरक्ति पर जोर क्यों नहीं?... ARE क्या भक्ति-मार्ग में बुरे कर्मों का फल भोगना पड़ता है अथवा नहीं? R यदि इस पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है। ऐसा क्यों हुआ, कृपया समझाएं! Jain Education International For Private & Personal Use Only wwwjainelibrar corg