SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ wa H जिन सूत्र भागः नहीं पूछता। फिर कोई विचार नहीं करता। फिर कोई नमस्कार कभी देखा, शतरंज के खिलाड़ी बैठे हैं। कुछ भी नहीं है, लकड़ी भी करने नहीं आता। लेकिन इतना क्या पागलपन है? पद में के, हड्डियों के या प्लास्टिक के हाथी-घोड़े, राजा-रानी वासना रख दी! तुमने नहीं रखी तो तुम्हें हंसी आएगी कि यह भी | हैं-और तलवारें चल गयी हैं शतरंज पर, लोग कट गये हैं। क्या पागलपन है! | जो नहीं है खेल में, वह हंसता है। वह हंसता हुआ निकल देखा तुमने! कोई फुटबाल के पागल हैं, कोई क्रिकेट के जाएगा कि पागल हो गये हो, कहां हाथी-घोड़े कुछ भी नहीं है! पागल हैं। एक सज्जन को मैं जानता हूं, जब क्रिकेट चल रही हो जिसकी समझ गहरी है उसे तो असली हाथी-घोड़े में भी तो वे रेडियो पर सारी दुनिया का सब काम छोड़कर बैठ जाते हैं। हाथी-घोड़े नहीं दिखायी पड़ते; असली राजा-रानी में भी एक बार उनकी जो टीम जीतनी चाहिए थी, हार गयी तो उन्होंने राजा-रानी नहीं दिखायी पड़ते। मगर जहां वासना हो...। रेडियो उठाकर पटक दिया। नाराजगी में! इतना क्रोध आ गया। मैंने सुना है, एक बिल्ली इंग्लैंड गयी। सांस्कृतिक मिशन पर दंगे हो जाते हैं। तुम्हारी टीम हार गयी, दंगे हो जाते हैं। गयी। तो इंग्लैंड की रानी ने मिलने के लिए बुलाया। फिर वह लूट-पाट हो जाती है। मारे जाते हैं लोग। जो नहीं हैं उस जगत लौटी, तो दिल्ली में बिल्लियों ने बड़ी सभा की। उन्होंने पछा कि में, वह हंसेंगे कि मामला क्या है! आखिर यह हो क्या रहा है? 'अरे, कहो। क्या-क्या हुआ? रानी को मिलने गयी थी कि फुटबाल है क्या? कुछ लोग गेंद को उधर ले जा रहे हैं, कुछ | नहीं?' लोग इधर ला रहे हैं, कुछ लोग उधर ले जा रहे हैं मगर है | उसने कहा, 'गयी थी।' क्या? मामला क्या है? ऐसा इतना...और लाखों लोग देखने 'क्या देखा?' क्या चले आये हैं? क्या देख रहे हैं! और बड़े उत्तेजित हैं! उसने कहा कि बड़ा गजब देखा! कुर्सी के नीचे चूहा बैठा था। पागल हुए जा रहे हैं। रानी से क्या लेना-देना बिल्ली को! जो दिखा वह चूहा था। हां, जो वासना के बाहर है उसे हंसी आएगी। जो वासना के जहां वासना है, वहीं दर्शन है। तुम्हें रानी दिखायी पड़ती, चूहा भीतर है, वह मूछित है। दिखायी न पड़ता, क्योंकि तुम्हारी वासना बिल्ली की वासना नहीं मुल्ला नसरुद्दीन एक रात घर लौटा, नशे में धुत्त। बड़ी उसने है। रानी भी तुम्हें तभी दिखायी पड़ती जब तुम्हारी पद की वासना चेष्टा की। चाबी तो हाथ में है, ताला न मिले। पत्नी ऊपर से हो, राज्य की वासना हो; नहीं तो रानी में देखने जैसा क्या है! देख रही है। उसने कहा, 'बहुत हो चुका। अगर चाबी खो गयी साधारण स्त्री है। चाहे कितना ही मोर-मुकुट बांधो, इससे क्या हो तो बोलो, दूसरी चाबी फेंक दूं।' उसने कहा, 'चाबी तो है, होता है! कितने ही बड़े सिंहासन पर बैठ जाओ, इससे क्या होता ताला खो गया है, दूसरा ताला फेंक दे।' | है! अगर महावीर जैसा व्यक्ति जाए तो न तो चूहा दिखायी पड़े लेकिन कभी तुम अगर बेहोश रहे हो, तो तुम्हें पता चलेगा कि | न रानी दिखायी पड़े। तुमको रानी दिखायी पड़ती, बिल्ली को हंसने की बात नहीं है। ऐसी ही दशा हो जाती है। वह जो बेहोश चूहा दिखायी पड़ा। जो-जो वासना थी, वह दिखायी पड़ा। है, वह किसी और ही दुनिया में है-अविचार की दुनिया में। अगर कोई हीरों का पारखी हो, तो उसे रानी न दिखायी पड़ेगी, जो तुम्हारी वासना नहीं है, वहां तुम विचारवान मालूम पड़ोगे। उसके मुकुट में लगे हीरे दिखायी पड़ेंगे। अगर कोई चमार चला बूढ़े विचारवान हो जाते हैं, जवानों को समझाने लगते हैं कि यह जाए तो रानी के जूते दिखायी पड़ेंगे, और कुछ दिखायी न सब पागलपन है, यह जवानी दो दिन का नशा है। यही उनके पड़ेगा। चमार को जूते ही दिखायी पड़ते हैं; वह जूते ही देखता बूढ़ों ने भी उनसे कहा था, तब उन्होंने नहीं सुना था। कोई किसी रहा जिंदगीभर। वहीं उसकी वासना लिप्त है। राह पर देखता की सुनता ही नहीं। रहता है लोगों के जूते। जूते को ही देखकर वह आदमियों की जब तक नशा है तब तक विचार पैदा नहीं होता; या विचार परख करता है। जूते की कहानी पढ़ लेता है तो आदमी की कथा पैदा हो जाए तो नशा टने लगता है। समझने की बात यह है कि प्रगट हो जाती है। जूते में उसे सारी आदमी की आत्मकथा लिखी वासना में तुम वही देखते हो जो तुम देखना चाहते हो। तुमने | मालूम पड़ती है। जूते पर चमक है तो वह जानता है, जेब गर्म 152 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340103
Book TitleJinsutra Lecture 03 Bodh Gahan Bodh Mukti Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy