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________________ अंतस-बाह्य संबंधों से मुक्ति एक भी ऐसा राजनीतिज्ञ नहीं है दिल्ली में, जो किसी न किसी महात्मा के चरणों में जाकर न बैठता हो। और जो हारे हुए राजनीतिज्ञ हैं, वे तो अनिवार्य रूप से महात्माओं के पास मिलेंगे। अगले इलेक्शन की वे तैयारी कर रहे हैं महात्मा के द्वारा—आशा ! और महात्मा कह रहा है कि मत घबड़ाओ, सब हो जायेगा। जरूरी नहीं है कि महात्मा कुछ करता हो। जब कहा जाता है, सब हो जायेगा-सौ आदमियों से कहो, पचास को तो हो ही जाता है। न कहते तो भी हो जाता ! यह महात्मा का काम ऐसा है, जैसा इंगलैंड में वे कहते हैं कि सर्दी-जुकाम का अगर इलाज करो, तो सात दिन में ठीक हो जाता है; और अगर इलाज न करो, तो एक सप्ताह में ठीक हो जाता है। __एक सप्ताह में ठीक हो ही जाता है। सवाल यह नहीं है कि आप इलाज करो कि न करो। अगर मेरे पास सौ लोग आयें बीमार कि आशीर्वाद. जाओ. ठीक हो जाओगे-पचास तो होते ही हैं। इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। वे कहीं भी न जाते, तो भी होते। जिंदगी में आदमी हजारों दफे बीमार पड़ता है, तब मरता है। कोई पहली बीमारी में तो कोई मरता हुआ देखा नहीं जाता। उन्हीं हजारों बीमारियों पर जिनसे आप ठीक होते चले जाते हैं, महात्मा जीते हैं। ___ मुकदमे में जब लोग लड़ते हैं, तो कोई न कोई जीतता ही है। और अकसर तो ऐसा हो जाता है कि एक ही महात्मा के पास दोनों पार्टी पहुंच जाती हैं। और वे दोनों को आशीर्वाद दे देते हैं ! ___ मेरे एक मित्र ज्योतिषी हैं। और जब सुब्बाराव राष्ट्रपति के लिए खड़े हुए, तो मेरे वे मित्र सुब्बाराव और जाकिर हुसेन दोनों के पास गये। और जाकिर हुसेन को भी कह आये कि आपकी जीत सुनिश्चित है, यह ज्योतिष में साफ है; सुब्बाराव को भी कह आये कि आपकी जीत सुनिश्चित है, यह ज्योतिष से साफ है। और दोनों से लिखवा लाये कि यह भविष्यवाणी मैं कर रहा हूं, आप लिखित दें। __ सुब्बाराव हार गये, उनका लिखा हुआ फाड़कर फेंक दिया। फिर जाकिर हुसेन के पास गये और कहा कि देखिये ! और जाकिर हसेन ने कहा कि आपकी भविष्यवाणी बिलकुल सच निकली, आप महान ज्योतिषी हैं ! सर्टिफिकेट लिखकर दिया, साथ में फोटो उतरवायी। अब सुब्बाराव तो उनका कोई पता लगाते फिरेंगे नहीं। जो हार गया वह तो फिक्र ही नहीं करता। वे उस दिन से महान ज्योतिषी हो गये हैं। उनके पास मिनिस्टरों ने आना जाना शुरू कर दिया है। क्योंकि जो आदमी राष्ट्रपति को घोषणा कर दे...और उनके पास सर्टिफिकेट है, फोटो है-सब प्रमाण है। लेकिन भीतरी राज किसी को पता नहीं है कि वे दोनों को लेकिन वासनाओं से भरा हुआ आदमी उसकी पूर्ति की तलाश कर रहा है। वह साधना के माध्यम से भी वासना को ही खोजता है। ऐसा व्यक्ति दीक्षित नहीं हो सकता। तो महावीर कहते हैं, अंदर-बाहर के समस्त सांसारिक संबंध जब छूट जाते हैं, तब कोई दीक्षित हो सकता है। और दीक्षित होकर पूर्णतया अनगार वृत्ति को प्राप्त होता है। ___ अनगार वृत्ति का अर्थ है : इस जगत में मेरा कोई घर नहीं है, मैं अगृही हूं। यह जगत घर नहीं है-ऐसी वृत्ति का नाम-दिस वर्ल्ड इज़ नॉट द होम। यह संसार जो दिखाई पड़ रहा है, यह घर नहीं है। यहां मैं बेघरबार हूं। मेरा घर कहीं और है। चेतना के किसी लोक में मेरा घर है। और यहां जब तक मैं घर खोज रहा हूं और घर बना रहा हूं, तब तक मैं व्यर्थ समय नष्ट कर रहा हूं। यहां मैं विदेशी हूं। यहां मैं एक अजनबी हूं, एक आउट साइडर हूं। यह यात्रा है, मंजिल नहीं है। ___ महावीर कहते हैं, जब कोई पूर्ण साधक होकर दीक्षित होता है किसी गुरु के माध्यम से, उस द्वार को खटखटाता है जहां से असली घर खुलेगा...। लेकिन वह तभी उस द्वार को खटखटा सकता है, जब यहां से अनगार वृत्ति हो जाये, इस जगत में घर खोजने की धारणा 545 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340053
Book TitleMahavir Vani Lecture 53 Antasa Bahya Sambandho se Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size73 MB
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