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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 बड़ी महत्वपूर्ण घटना है; बहुत आध्यात्मिक घटना है। कोई पशु ऊबता नहीं। आप किसी पशु की आंखों में ऊब नहीं देख सकते। पशु जैसे हैं, तृप्त हैं—जहां हैं, तृप्त हैं—जो कुछ भी उन्हें जीवन में उपलब्ध हुआ है, जहां उन्होंने जीवन को पाया है, उससे रत्तीभर आगे जाने, ऊपर उठने का कोई सवाल नहीं है। वे अपने वर्तुल को पूरा करके समाप्त हो जाते हैं। उन्हें अपनी यांत्रिकता का कोई पता नहीं चलता। और जीवन व्यर्थ है, इसका उन्हें कोई होश नहीं आता। ___ मनुष्य अकेला प्राणी है, जो ऊब सकता है। और ध्यान रखें, मनुष्य में जितनी प्रतिभा ज्यादा होगी, उतनी ज्यादा ऊब आयेगी / मनुष्य में भी जो बहुत कम विकसित लोग हैं, उनमें ऊब नहीं दिखाई पड़ेगी / ऊब आयेगी प्रतिभा के विकास के साथ / जितना विचारशील व्यक्ति होगा, जीवन से उतना ऊबेगा, जल्दी ऊबेगा। ___ बर्टेन्ड रसेल ने कहा है कि मैं आदिवासियों को देखता हूं, उनकी प्रसन्नता देखकर ईर्ष्या पैदा होती है। लेकिन रसेल को खयाल नहीं है कि आदिवासी इतने प्रसन्न क्यों हैं। आदिवासियों की प्रसन्नता का मौलिक कारण तो यही है कि वे पशुओं के बहुत निकट हैं। अभी भी ऊब पैदा नहीं हुई / अभी भी जीवन से दूर खड़े होकर जीवन के पुरानेपन को, पुनरुक्ति को देखने की सामर्थ्य उनमें नहीं आयी / अभी वे ठीक प्रकृति में डूबे हुए जी रहे हैं। ___ रसेल को ऊब मालूम होती है। अगर रसेल पूरब के मुल्कों में पैदा हुआ होता, या पूर्वीय जीवन-दृष्टि का उसे कुछ खयाल होता, तो यह ऊब उसके लिए आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत हो सकती थी / लेकिन दुर्भाग्य से वह पश्चिम में था। रसेल के जीवन में महावीर और बुद्ध जैसी घटना घट सकती थी-उतनी ही प्रतिभा थी। लेकिन पूरे पश्चिम की हवा, पूरे पश्चिम का तर्क-जाल ऊब तो पैदा कर देता है, लेकिन इस ऊब के ऊपर उठने की कोई कला पश्चिम विकसित नहीं कर पाता है; इस ऊब को भुलाने की भर कला विकसित कर पा रहा है। ___ इसलिए पश्चिम मनोरंजन के साधन खोजता चला जाता है। मनोरंजन के साधन इस बात की खबर देते हैं कि आदमी ऊबा हुआ है। उसे किसी तरह भुलाओ। फिल्म है, संगीत है, नाटक है, नृत्य है, शराब है, भोज है, उत्सव है-उसे किसी तरह भुलाओ। उसकी ऊब प्रगट न हो पाये। तो पश्चिम मनोरंजन के साधन खोज रहा है; उसी अवस्था में है, जिस अवस्था में महावीर के वक्त भारत था; उसी तरह सम्पन्न है; उसी तरह स्वर्ण शिखर पर खड़ा है। लेकिन पूरब ने ऊब की स्थिति में अध्यात्म खोजा, और पश्चिम ऊब की स्थिति में मनोरंजन खोज रहा है। स्थिति एक ही है। ___ अगर मनोरंजन खोजते हैं, तो आप ऊब से वापिस नीचे गिर जाते हैं। मनोरंजन का अर्थ है-कुछ नया खोज लिया, कुछ नये में रस आ गया और इसलिए भूल गये कि जिंदगी एक पुनरुक्ति है। इसलिए आप एक ही फिल्म दुबारा नहीं देख सकते। तीन बार तो बहुत मुश्किल है। चौथी बार तो दंड मालूम पड़ेगा। पांचवी बार तो आप बगावत कर देंगे। ...क्यों? जिंदगी तो आप रोज वही-वही देख लेते हैं, लेकिन फिल्म आप दोबारा क्यों नहीं देख सकते? फिल्म का प्रयोजन ही खत्म हो जाता है दोबारा देखने से। क्योंकि फिल्म है ही नये का अनुभव देने की चेष्टा, ताकि थोड़ी देर के लिए भूल जाए कि जिंदगी एक पुरानी बकवास है। जिंदगी की ऊब को तोड़ने के लिए ही तो मनोरंजन है। अगर मनोरंजन भी ऊब पैदा करे, पुनरुक्त हो, तो कठिनाई हो जायेगी। इसलिए फैशन रोज बदलता है। और जितना समाज सचेतन होने लगता है, उतना जल्दी बदलने लगता है। जितना समाज पुराना 446 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340049
Book TitleMahavir Vani Lecture 49 Bhikshu Kaun
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size82 MB
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