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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 ज्यादा देर तक बंद नहीं रह सकते, कि मोक्ष ज्यादा दूर नहीं रह सकता। __ और ध्यान रहे कि संन्यस्त व्यक्ति मोक्ष में प्रवेश नहीं करता, संन्यस्त व्यक्ति में मोक्ष प्रवेश करता है। मोक्ष कोई भौगोलिक जगह नहीं है, जिसमें आप चले गये। अगर ऐसी कोई जगह कहीं होती तो आपमें से कोई न कोई रिश्वत का रास्ता, पीछे का दरवाजा जरूर खोज लिया होता इतने लम्बे समय में। आदमी काफी कुशल है। __ लेकिन अच्छा ही है कि मोक्ष कोई भौगोलिक जगह नहीं है, नहीं तो शैतान और चालाक उस पर कब्जा कर लेते; निरीह, सीधे-साधे लोग बाहर रह जाते। जो योग्य होते, वे बाहर रह जाते; जो अयोग्य होते, वे भीतर सिंहासनों पर विराजमान हो जाते। लेकिन मोक्ष में राजनीतिज्ञ नहीं घुस पाते; चालाक नहीं घुस पाते; बेईमान नहीं घुस पाते। उसका कारण यह है कि मोक्ष कोई जगह नहीं है जिसमें प्रवेश किया जा सके। मोक्ष एक अवस्था है जो आपमें प्रवेश करती है। जब आप तैयार होते हैं, वह प्रविष्ट हो जाती है। ठीक तो कहना यह होगा कि वह कोई अवस्था नहीं जो आपमें बाहर से आती है—भीतर मौजूद है। जैसे ही और ज्यादा' की वृत्ति खो जाती है, उसका अनुभव शुरू हो जाता है। ___ 'और ज्यादा' में उलझा हुआ आदमी उसे नहीं देख पाता, जो भीतर मौजूद है। संतुष्ट, अहोभाव से भरा व्यक्ति दौड़ता नहीं, उसका मन कहीं और जाता नहीं। वह उससे तृप्त हो जाता है, जो भीतर है। __ आदमी का मन किसी भी चीज से तृप्त नहीं होता। थोड़ी देर सोचें कि ऐसी कौन-सी चीज है, जो आपको मिल जाये, तो आप तृप्त हो जायेंगे। मैंने सुना है कि मुल्ला नसरुद्दीन जब मरा, स्वर्ग पहुंचा, तो उसने सेंट पीटर से कहा कि मेरी एक आकांक्षा जीवनभर रही है। एक व्यक्ति से मैं मिलना चाहता है, जो स्वर्ग में है। और मझे कोई सवाल पछना है। सेंट पीटर ने कहा कि मिलने का इंतजाम करवा देंगे, अगर वह व्यक्ति, जिससे तुम मिलना चाहते हो, स्वर्ग में हो तो। नसरुद्दीन ने कहा कि बिलकुल निश्चित है कि वह स्वर्ग में है, आप सिर्फ इंतजाम करवायें। मैं जीसस की मां मैरी से मिलना चाहता हूं। पीटर भी थोड़ा हैरान हुआ कि क्या प्रयोजन होगा ! वह भी उत्सुक हुआ। उसने कहा, 'क्या मैं भी मौजूद रह सकता हूं तुम्हारी मुलाकात के वक्त? तुम क्या पूछना चाहते हो आखिर, जीसस की मां से?' नसरुद्दीन ने कहा, 'एक प्रश्न मेरे मन में सदा से अटका है; बस, वही पूछना है।' जीसस की मां मैरी के पास उसे ले जाया गया। मैरी का भव्य रूप-चारों तरफ गिरती प्रकाश की किरण-आभामण्डल-आनंद का सागर चारों तरफ, नसरुद्दीन बहुत प्रभावित हुआ। उसने कहा कि मैं तुझसे एक ही सवाल पूछना चाहता हूं। मेरे मन में सदा यह उठता रहा है, क्योंकि मेरे लड़के सब नालायक निकल गये। मैं दुखी रहा हूं उनकी वजह से। मेरी पत्नी दुखी है अपने बेटों की वजह से। और मैंने पृथ्वी पर ऐसा कोई मां और बाप नहीं देखा, जो दुखी नहीं है। मैं तुमसे पूछना चाहता हूं कि तुम्हें तो जीसस जैसा बेटा मिला—जिसे लोग, हजारों-लाखों लोग ईश्वर की प्रतिमा मानते हैं--परमात्मा ही मानते हैं, तो जब तुम जमीन पर थीं और जीसस पैदा हुआ और जब जीसस ऐसा प्रभावी हो गया कि लाखों लोग उसे ईश्वर मानने लगे, तब तुम्हारे मन को कैसा हुआ? तुम तो कम से कम तृप्त रही हो? / __मैरी ने कहा, 'टु बी फ्रैंक, नसरुद्दीन, आइ ऐन्ड माइ हसबेन्ड, वी बोथ वेअर होपिंग दैट ही शुड बिकम ए गुड कारपेण्टर-अच्छा बढ़ई बन जायेगा, ऐसा हम दोनों का खयाल रहा, आशा थी। और हम दोनों बड़े उदास हुए, जब उसने सब धंधा छोड़ दिया और फिजूल की बातों में लग गया। बट, नसरुद्दीन, डोन्ट टैल इट टू एनी बडी, दे डोन्ट बिलीव इट-अब तुम पछ ही रहे हो तो मैं सच्ची 452 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.340049
Book TitleMahavir Vani Lecture 49 Bhikshu Kaun
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size82 MB
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