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________________ पांच ज्ञान और आठ कर्म खालीपन में सिर्फ सूर्य का प्रकाश रह जाता है, सिर्फ सूर्य रह जाता है। वह सिद्ध की अवस्था है—कैवल्य / ये पांच ज्ञान हैं / उस सिद्ध की अवस्था में जो जाना जाता है, वही सत्य है। ___ इस बात को ठीक-से समझ लें / महावीर का जोर बड़ा अनूठा है / वे कहते हैं : आप जैसे हैं, वैसी अवस्था में सत्य नहीं जाना जा सकता। इसलिए सत्य की खोज छोड़ो, अपनी अवस्था बदलो। आप जैसे हैं, इसमें तो असत्य ही जाना जा सकता है। आप असत्य को आकर्षित करते हैं। ___ 'श्रुत' की अवस्था में असत्य ही जाना जा सकता है। 'मति' की अवस्था में इंद्रिय-सत्य जाना जा सकता है-वस्तुओं का सत्य / मन 'अवधि' की अवस्था में सूक्ष्म इंद्रियों का सत्य जाना जा सकता है। मन-पर्याय' की अवस्था में, मन के जो पार है, उसकी झलक और मन के सब रूपांतरणों का सत्य जाना जा सकता है। और 'कैवल्य'-शुद्ध सत्य जाना जा सकता है, जो है-अस्तित्व, मात्र अस्तित्व / उसे हम परमात्मा कहें, या जो भी नाम देना चाहें : निर्वाण कहें, मोक्ष कहें। महावीर ने ये पांच ज्ञान कहे हैं। और मेरे जाने, किसी दूसरे व्यक्ति ने ज्ञान का इतना सूक्ष्म वैज्ञानिक विश्लेषण नहीं किया है। और इसकी कोई संभावना नहीं है कि इन पांच के अतिरिक्त छठवां ज्ञान हो सकता है / इसकी कोई संभावना नहीं है। विज्ञान तीन तक पहुंच गया है, चौथे पर चरण रख रहा है। ध्यान पर पश्चिम में बड़े प्रयोग हो रहे हैं; चौथे पर चरण रखने की कोशिश की जा रही है। आज नहीं कल, पांचवें का भी स्मरण आना शुरू हो जायेगा / महावीर इस सदी के पूरे होते-होते, मन के संबंध में बड़े-से-बड़े वैज्ञानिक सिद्ध हो सकते हैं। 'ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र और अंतराय-इस प्रकार संक्षेप में ये आठ कर्म बतलाये हैं।' ये पांच ज्ञान और इन पांच ज्ञानों को ढंक लेनेवाले; इस कैवल्य को ढंक लेनेवाले, इस शद्ध ज्ञान को ढंक लेनेवाले आठ कर्मों के रूप हैं। ___ महावीर की पकड़ ठीक विश्लेषक, वैज्ञानिक की पकड़ है। जैसे कि कोई निदान करता है मरीज का कि क्या बीमारी है, क्या कारण है, क्या उपाय है—ऐसे एक-एक चीज का निदान करते हैं। महावीर कवि नहीं हैं। इसलिए उपनिषद में जो काव्य है, वह महावीर की भाषा में नहीं हैं। महावीर बिलकुल शुद्ध गणित और वैज्ञानिक बुद्धि के व्यक्ति हैं। शायद इसलिए महावीर का प्रभाव जितना पड़ना था उतना नहीं पड़ा; क्योंकि लोग गणित से कम प्रभावित होते हैं, काव्य से ज्यादा प्रभावित होते हैं, क्योंकि लोग कल्पना से ज्यादा प्रभावित होते हैं, सत्य से कम प्रभावित होते हैं। महावीर के कम प्रभाव पड़ने का एक कारण यह भी है-बुनियादी कारणों में से एक कारण। कि वे बिलकुल गणित की तरह चलते हैं। सीधा हिसाब है। लेकिन जिसको साधना के पथ पर जाना है, कविता काम नहीं देगी। जिसे घर में बैठकर आंखें बंद करके सपने देखने हैं, बात अलग है। लेकिन जिसे यात्रा तय करनी है, उसे तो नक्शे चाहिये साफ / खतरों का पता चाहिए-खाई खड़े कहां हैं, भटकाने वाले मार्ग कहां हैं? और क्या-क्या कारण हैं, जिनके कारण मैं संसार में खड़ा हूं; और एक-एक कारण को कैसे अलग किया जा सके, ताकि मैं संसार के बाहर हो जाऊं। ___ महावीर एक शुद्ध चिकित्सक की तरह व्यवहार कर रहे हैं, जीवन की विचारणा में / आठ, वे कहते हैं, मनुष्य की शुद्धता को रोक लेनेवाले कर्म-मल हैं। इनको, एक-एक को हम खयाल में लें, समझ में आ जायेंगे। ___ ज्ञान को आवृत्त करनेवाला, पहला- कौन-सी चीज आपके ज्ञान को आवृत्त करती है, वही 'ज्ञानावरणीय' है। जो-जो चीजें आपके ज्ञान को रोकती हैं, ढांकती हैं और आपके अज्ञान को परिपष्ट करती हैं, वे सभी ज्ञान पर आवरण हैं। 259 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.340040
Book TitleMahavir Vani Lecture 40 Panch Gyan aur Aath Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size102 MB
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