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________________ पांच ज्ञान और आठ कर्म मामला कुछ भी नहीं है। ये लोग सीधे-साधे पशओं जैसे लोग हैं। मनुष्य की सूक्ष्म इन्द्रियां बड़ी शक्तिशाली हैं, बड़ी दूरगामी हैं; समय और स्थान की कोई बाधा नहीं है। अगर हम इसे ऐसा समझायें कि प्राचीन समय में भी विज्ञान विकसित हुआ था, लेकिन सारा विज्ञान सूक्ष्म इंद्रियों के आधार पर था / आधुनिक विज्ञान स्थूल इंद्रियों के आधार पर है। तो प्राचीन समय के आदमी ने भी दूर-संवाद की कला खोज ली थी। हमने भी खोज ली है, लेकिन हमारा बाह्य इंद्रियों के आधार पर है। तो हमारे पास टेलिफोन है, रेडियो है, टेलिविजन है-ये सब बाह्य इंद्रियों का विस्तार है। प्राचीन आदमी ने अंतर-इंद्रिय का विस्तार किया था, और उनके आधार पर उसने बहुत-से काम कर लिए थे, जो हमारी पकड़ के बाहर हैं / जैसा कि हमारे यंत्र उनकी पकड़ के बाहर हैं। ___ मनुष्य की हर इंद्रिय के पीछे सूक्ष्म इंद्रिय है। आंख के पीछे एक सूक्ष्म आंख है, जो आपके भीतर छिपी है। उसे विकसित किया जा सकता है। आप थोड़े-से प्रयोग करें तो आपको खयाल में आ जाये / और हर सौ आदमी में से कम-से-कम तीस आदमी आसानी से सफल हो जायेंगे। इतने लोग यहां मौजद हैं. इनमें से अनेक लोग सफल हो जायेंगे। सौ में से तीस आदमियों की अवधि-स्थिति अभी भी बिगड़ी नहीं है। ___ आप एक छोटा-सा प्रयोग करें। ताश के पत्ते हाथ में ले लें, आंख बंद कर लें। गड्डी में से एक पत्ता निकालें, और सोचें मत-देखें कि यह पत्ता क्या है ? राजा है कि रानी, कि जोकर, कि क्या? सोचें मत, सोचने से तो बिगड़ जायेगा मामला / क्योंकि सोचने में तो आप अनमान लगाने लगेंगे कि शायद राजा हो / तब आप दविधा में पड़ जायेंगे. बेचैनी में / नहीं. आप सिर्फ आंख बंद करके देखें। आंख बंद करके देखें क्या है ? और सोचें मत / और जो चीज पहली दफा आए, उसका भरोसा करें, दूसरे का ध्यान मत करें / पहले आए कि जोकर, आंख खोलें और देखें। एक दो-चार दिन प्रयोग करें। आप चकित हो जायेंगे कि आप आंख बन्द करके ताश की गड्डी में से देख पाते हैं कि क्या है ? यह सिर्फ इसलिए कह रहा हूं, ताकि आपको खयाल आ जाये कि सूक्ष्म इंद्रिय हैं / खयाल आ जाये तो भरोसा हो जाये, भरोसा हो जाये तो काम शुरू हो जाये। ___ तय कर लें अपने किसी मित्र से कि रोज रात को ठीक आठ बजे, वह कलकत्ते से आपको संदेश भेजेगा; सिर्फ आंख बन्द करके बैठ जायेगा और एक वाक्य का संदेश भेजेगा। और ठीक आठ बजे आप रिसेप्टिव होकर बैठ जायेंगे कि कोई संदेश आए तो उसे पकड़ लें। सोचें नहीं, जो भी वचन पहला आ जाये, वह कितना ही एब्सर्ड और व्यर्थ मालूम पड़े, उसे नोट कर लें / और एक तीन महीने इस प्रयोग को करें। आप चकित हो जायेंगे कि तीन महीने के भीतर आपकी सूक्ष्म पकड़ने की क्षमता, ग्रहण की क्षमता बढ़ गई है। और एक इंद्रिय के साथ सभी इंद्रियां इसी तरह से जुड़ी हुई हैं। आप हैरान हो जायेंगे कि इस पर काफी काम होता है। ___ गुरजिएफ के साथ अनेक स्त्रियों को अनुभव होता था, कि जब गुरजिएफ से वे मिलें तो उन्हें एकदम लगता था कि उनके सेक्स सेन्टर पर कोई चोट की गई। कई स्त्रियां घबड़ा जाती थीं कि यह क्या मामला है ? यह आदमी कुछ शैतान मालूम होता है। लेकिन कुल मामला इतना था कि जैसे हर इंद्रिय के पीछे सूक्ष्म इंद्रिय है, वैसी जननेन्द्रिय के पीछे भी सुक्ष्म इंद्रिय है। उससे चोट की जा सकती है। और गुरजिएफ सिर्फ इतना कर रहा है कि वह सूक्ष्म इंद्रियों पर काम कर रहा है। उससे चोट की जा सकती है। ___ कई बार अनजाने भी चोट हो जाती है, जब आपको पता भी नहीं होता / कोई स्त्री पास से गुजरती है, आप अचानक कामातुर हो जाते हैं; या कोई पुरुष पास से गुजरता है और स्त्री अचानक संकुचित हो जाती है। लगता है, कुछ हो रहा है। कोई कुछ न भी कर रहा होता कभी अचानक भी होता है; क्योंकि अचानक कभी सूक्ष्म इंद्रिय सक्रिय हो जाती है / वस्तुतः जिसे हम प्रेम कहते हैं, वह अवधि-ज्ञान 255 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340040
Book TitleMahavir Vani Lecture 40 Panch Gyan aur Aath Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size102 MB
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