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________________ सूत्र के पहले थोड़े से प्रश्न। एक मित्र ने पूछा है कि सदगुरु की खोज हम अज्ञानी जन कर ही कैसे सकते हैं? यह थोड़ा जटिल सवाल है और समझने योग्य / निश्चय ही, शिष्य सदगुरु की खोज नहीं कर सकता है। कोई उपाय नहीं है आपके पास जांचने का कि कौन सदगुरु है। और संभावना इसकी है कि जिन बातों से प्रभावित होकर आप सदगुरु को खोजें, वे बातें ही गलत हों। आप जिन बातों से आंदोलित होते हैं, आकर्षित होते हैं, सम्मोहित होते हैं, वे बातें आपके संबंध में बताती हैं, जिससे आप प्रभावित होते हैं उसके संबंध में कुछ भी नहीं बतातीं / यह भी हो सकता है, अकसर होता है कि जो दावा करता हो कि मैं सदगुरु हूं, वह आपको प्रभावित कर ले / हम दावों से प्रभावित होते हैं और बड़ी कठिनाई निर्मित हो जाती है कि शायद ही जो सदगुरु है, वह दावा करे / और बिना दावे के तो हमारे पास कोई उपाय नहीं है पहचानने का। ___ हम चरित्र की सामान्य नैतिक धारणाओं से प्रभावित होते हैं, लेकिन सदगुरु हमारी चरित्र की सामान्य धारणाओं के पार होता है। और अकसर ऐसा होता है कि समाज की बंधी हुई धारणा जिसे नीति मानती है, सदगुरु उसे तोड़ देता है। क्योंकि समाज मानकर चलता है अतीत को और सदगुरु का अतीत से कोई संबंध नहीं होता / समाज मानकर चलता है सुविधाओं को और सदगुरु का सुविधाओं से कोई संबंध नहीं होता। समाज मानता है औपचारिकताओं को, फार्मेलिटीज को और सदगुरु का औपचारिकताओं से कोई संबंध नहीं। ___ तो यह भी हो जाता है कि जो आपकी नैतिक मान्यताओं में बैठ जाता है, उसे आप सदगुरु मान लेते हैं। संभावना बहुत कम है कि सदगुरु आपकी नैतिक मान्यताओं में बैठे। क्योंकि महावीर नैतिक मान्यताओं में नहीं बैठ सके, उस जमाने की / बुद्ध नहीं बैठ सके, कृष्ण नहीं बैठ सके, क्राइस्ट नहीं बैठ सके। जो छोटे-छोटे तथाकथित साधु थे, वे बैठ सके / अब तक इस पृथ्वी पर जो भी श्रेष्ठजन पैदा हुए हैं, वे अपनी समाज भी मान्यताओं के अनुकूल नहीं बैठ सके / क्राइस्ट नहीं बैठ सके अनुकूल, लेकिन उस जमाने में बहुत से महात्मा थे, जो अनुकूल थे। लोगों ने महात्माओं को चुना, क्राइस्ट को नहीं / क्योंकि लोग जिन धारणाओं में पले हैं, उन्हीं धारणाओं के अनुसार चुन सकते हैं। ___ सदगुरु का संबंध होता है सनातन सत्य से / साधुओं, तथाकथित साधुओं का संबंध होता है सामयिक सत्य से। समय का जो सत्य है, उससे एक बात है संबंधित होना; शाश्वत जो सत्य है उससे संबंधित होना बिलकुल दूसरी बात है। समय के सत्य रोज बदल जाते 159 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340036
Book TitleMahavir Vani Lecture 36 Sadhna ka Sutra Sanyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size72 MB
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