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________________ अकेले ही है भोगना आप जीवन के प्रति बड़े मोह-ग्रस्त थे। आपने शर्त बना रखी थी। शर्त पूरी नहीं हुई, इसलिए मर रहे हैं। आप जीवन के विरोधी नहीं हैं, आप जीवन के बड़े मोही थे। और मोह ऐसा भारी था कि ऐसा होगा तो ही जीयेंगे। यह लगाव इतना गहरा हो गया था, यह विक्षिप्तता इतनी तीव्र थी, इसलिए आप मरने की तैयारी कर रहे हैं। ___ यह नहीं है थानाटोस / यह मृत्यु-एषणा नहीं है / मृत्यु-एषणा तो तब है जब कि जीवन में न कोई असफलता है, न जीवन में कोई विषाद है, लेकिन सब चीजें पूरी हो गयीं और सूर्यास्त हो रहा है / शरीर भी डूब रहा है, और मन भी अब जीने की बात से ऊब गया और मन भी डूब रहा है / ऐसा आदमी आत्महत्या नहीं करता, ध्यान रखना / आत्महत्या तो वही करता है जो अभी जीवन की आकांक्षा से भरा था। यह उल्टा मालूम पड़ेगा। लेकिन जितने आत्महत्यारे हैं, बड़े जीवन-एषणा से भरे हुए लोग होते हैं। ऐसा आदमी आत्महत्या नहीं करता, आत्महत्या भी व्यर्थ मालूम पड़ती है। जिसे जीवन ही व्यर्थ मालूम पड़ रहा है, उसे आत्महत्या सार्थक नहीं मालूम पड़ती। वह कहता है, न जीवन में कुछ रखा है, न जीवन के मिटाने में कुछ रखा है। ऐसा आदमी चुपचाप डूबता है, जैसे सूरज डूबता है। झटके से छलांग नहीं लगाता, डूबता चला जाता है। लेकिन डूबने का कोई विरोध नहीं करता। अगर ऐसा आदमी पानी में डूब रहा हो तो हाथ-पैर भी नहीं चलायेगा / न बचने में कोई अर्थ है, न ही वह अपने हाथ से डुबकी लगाकर मरना चाहेगा, गला घोटेंगा / न घोंटने में कोई अर्थ है / पानी के साथ हो जायेगा कि डुबाये तो डुबाये, न डुबाये तो न डुबाये। जो हो जाये / सब बेकार है, इसलिए कुछ करने का भाव नहीं रह जाता। इसको फ्रायड ने थानाटोस कहा है। बूढ़ी उम्र के, ज्यादा उम्र के लोगों को अकसर यह आकांक्षा पकड़ लेती है। यह आकांक्षा बूढ़ी उम्र के लोगों को भी पकड़ती है, और फ्रायड का कहना है, बूढ़ी सभ्यताओं को भी पकड़ती है / जब कोई सभ्यता बूढ़ी हो जाती है, जैसे, भारत / बूढ़ी से बूढ़ी सभ्यता है इस जमीन पर / हम इसमें गौरव भी मानते हैं। सीरिया अब कहां है? मिस्र की पुरानी सभ्यता अब कहां है? यूनान कहां रहा? सब खो गये। बेबीलोन कहां है अब? खंडहरों में, सब खो गये। पुरानी सभ्यताओं में एक ही सभ्यता बाकी है—भारत / बाकी सब सभ्यताएं जवान हैं / कुछ तो बिलकुल अभी दुधमुंही, हुई बच्चियां हैं-जैसे अमेरिका / अभी उम्र ही तीन सौ साल की है। तीन सौ साल की कुल सभ्यता है। तीन सौ साल हमारे लिए कोई हिसाब ही नहीं होता। दस हजार साल से तो हम अपना स्मरण और अपना इतिहास भी सम्भालते रहे हैं। लेकिन तिलक ने कहा है कि कम से कम भारत की सभ्यता नब्बे हजार वर्ष पुरानी है। और बड़े प्रामाणिक आधारों पर कहा है। सम्भावना है कि इतनी पुरानी है। तो फ्रायड कहता है, जैसे आदमी बूढ़ा होता है, ऐसे सभ्यताएं भी बच्ची होती हैं, जवान होती हैं, बूढ़ी होती हैं। जब सभ्यताएं बचपन में होती हैं तब खेल-कूद में उनकी उत्सुकता होती है, जैसे अमेरिका है। अमेरिका की सारी उत्सुकता मनोरंजन है, खेल-कूद है, नाच-गान है। हमें बहुत हैरानी होती है, उनका जाज, उनके बीटल, उनके हिप्पी, हमें देखकर बड़ी हैरानी होती है, लेकिन हमको समझ में नहीं आता / छोटे-छोटे बच्चे जैसे होते हैं, ऐसे छोटी सभ्यताएं होती हैं। __ आज हिप्पी लड़के और लड़कियों को देखें ! उनके रंगीन कपड़े, उनके बूंघर, उनके गले में लटकी हुई मालाएं, यह सब छोटे बच्चों का खेल है / सभ्यता अभी ताजी है। बूढ़ी सभ्यताएं बहुत हिकारत से देखती हैं। जैसे बूढ़े बच्चों को देखते हैं—नासमझ। फिर जवान सभ्यताएं होती हैं। जवान सभ्यताएं जब होती हैं, तब वे युद्धखोर हो जाती हैं, क्योंकि जवान लड़ना चाहता है, जीतना चाहता है। जैसे अभी चीन जवान हो रहा है, वह लड़ेगा, जीतेगा। अभी भाव विजय-यात्रा का है। फिर बूढ़ी सभ्यताएं होती हैं। तो फ्रायड ने कहा है, जैसे व्यक्ति के जीवन में बचपन, जवानी, बुढ़ापा होता है, ऐसे सभ्यताओं के जीवन में भी होता है। अगर हम दूधप 103 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340033
Book TitleMahavir Vani Lecture 33 Akele hi hai Bhogna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size74 MB
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