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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 है, होश आ जाता है। ___ तो हमें बाहर से दिखायी पड़ेगा। बाहर से जो दिखायी पड़ता है, उसको सच मत मान लेना / जल्दी निष्कर्ष मत ले लेना / भीतर एक अलग जगत भी है। और गुरु और शिष्य के बीच जो घटित हो रहा है वह बाहर से नहीं जाना जा सकता। उसे जानने का उपाय भीतरी ही है। उसे शिष्य होकर ही जाना जा सकता है। उसे बाहर से खड़े होकर देखने में आपसे भूल होगी। निर्णय गलत हो जायेंगे, निष्पत्तियां भ्रांत होंगी। क्योंकि बाहर से जो भी आप नतीजे लेंगे- अगर आप एक रास्ते से गुजर रहे हैं और एक मठ के भीतर एक झेन गुरु किसी को बाहर फेंक रहा है खिड़की के, तो आप सोचेंगे, पुलिस में खबर कर देनी चाहिए। आप सोचेंगे, यह आदमी कैसा है। अगर आप इस आदमी से मिलने आये थे तो बाहर से ही लौट जायेंगे। लेकिन, भीतर क्या घटित हो रहा है, वह है सूक्ष्म / और वह केवल हुइ हाई और उसका गुरु जानता है कि भीतर क्या हो रहा है। पश्चिम में शाक ट्रीटमेंट बहत बाद में विकसित हआ है। आज हम जानते हैं, मनसविद, मनोचिकित्सक जानते हैं कि अगर व्यक्ति ऐसी हालत में आ जाये पागलपन की कि कोई दवा काम न करे, तो भी शाक काम करता है। अगर हम उसके स्नायु तंतुओं को इतना झनझना दें कि एक क्षण को भी सातत्य टूट जाये, कन्टीन्युटी टूट जाये। ___ एक आदमी अपने को नैपोलियन समझ रहा है, या अपने को हिटलर माने हुए है। इसके सब इलाज हो चुके हैं, लेकिन कोई उपाय नहीं होता। जितना इलाज करो वह उतना और मजबूत होता चला जाता है। क्या करो? इसके मन की एक धारा बंध गयी है, एक सातत्य हो गया है। एक कन्टीन्युटी हो गयी है, यह दुहराये चला जा रहा है कि मैं हिटलर हूं, आप कुछ भी करो, यह उस सबसे यही नतीजा लेगा कि मैं हिटलर हूं। इसे समझाने का कोई उपाय नहीं है। समझाने की सीमा के बाहर चला गया है यह। ____ मैं निरंतर कहता हूं कि एक आदमी को अब्राहम लिंकन होने का खयाल पैदा हो गया। नाटक में काम मिला था उसको अब्राहम लिंकन का / और अमरीका अब्राहम लिंकन की कोई विशेष जन्मतिथि मना रहा था। इसलिए एक वर्ष तक उसको अमरीका के नगर-नगर में जाकर लिंकन का पार्ट करना पड़ा। उसका चेहरा लिंकन से मिलता-जुलता था / एक वर्ष तक निरंतर अब्राहम का, लिंकन का पार्ट करते-करते उसे यह भ्रांति हो गयी कि वह अब्राहम लिंकन है। फिर नाटक खत्म हो गया, पर उसकी भ्रांति खत्म न हुई / उसकी चाल अब्राहम लिंकन की हो गयी। अब्राहम लिंकन जैसा हकलाता था बोलने में, वैसा वह हकलाने लगा। सालभर लंबा अभ्यास था। मुस्कुराये तो लिंकन के ढंग से, छड़ी उठाये तो लिंकन के ढंग से, बैठे उठे तो लिंकन के ढंग से। थोड़े दिन घर के लोगों ने मजाक लिया, फिर घबराहट हुई / वह अपना नाम भी अब्राहम लिंकन बताने लगा। घर के लोगों ने बहुत समझाया कि तुम्हें क्या हो गया है, तुम पागल तो नहीं हो गये हो? लेकिन जितना उसे समझाया, उतना ही वह उन पर मुस्कुराता था। लोग उससे पूछते थे कि तुम क्यों मुस्कुरा रहे हो, तो वह कहता, तुम सब पागल हो गये, क्या हुआ? मैं अब्राहम लिंकन हूं। हालत यहां तक पहुंची कि लोग कहने लगे, कि जब तक इसको गोली न मारी जाये, तब तक यह मानेगा नहीं। अब्राहम लिंकन को गोली मारी गयी तब तक यह चैन नहीं लेगा। चिकित्सकों ने समझाया, मनो-विश्लेषण किया, कोई उपाय नहीं था। ___ अमरीका में एक लाई डिटेक्टर उन्होंने एक छोटी मशीन बनायी है जिसमें झूठ आदमी बोले तो पकड़ जाता है। क्योंकि जब आप झूठ बोलते हैं तो हृदय में सातत्य टूट जाता है। आपसे मैंने पूछा, आपका नाम? आपने कहा, राम / आपकी उम्र? आपने कहा, 45 साल / आज की तारीख? आपने कहा यह, दिन? सब ठीक बोला। तब मैंने अचानक आपसे पछा, आपने चोरी की? तो आपके भीतर से तो आयेगा, हां / क्योंकि आपने की है / और उसको आप बदलेंगे बीच में / भीतर से-उठेगा हां, गले तक आयेगा, हां / फिर हां को आप नीचे दबायेंगे और कहेंगे नहीं। यह पूरा का पूरा झटका जो है, नीचे जो मशीन लगी है, उस पर आ जायेगा / जैसे कि अपके हृदय 84 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.340032
Book TitleMahavir Vani Lecture 32 Ye Char Shatru
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size80 MB
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