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________________ पहले एक दो प्रश्न / एक मित्र ने पूछा है-यदि महावीर की साधना विधि में अप्रमाद प्राथमिक है, तो क्या अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य, अकाम उसके ही परिणाम हैं या वे साधना के अलग आयाम हैं? __जीवन अति जटिल है, और जीवन की बड़ी से बड़ो और गहरी से गहरी जटिलता यह है कि जो भीतर है, आंतरिक है, वह बाहर से जुड़ा है, और जो बाहर है, वह भी भीतर से संयुक्त है। यह जो सत्य की यात्रा है यह कहां से शुरू हो, यह गुह्यतम प्रश्न रहा है मनुष्य के इतिहास में। हम भीतर से यात्रा शुरू करें या बाहर से, हम आचरण बदलें या अंतस. हम अपना व्यवहार बदलें या अपना चैतन्य? स्वभावतः दो विपरीत उत्तर दिये गये हैं। एक ओर हैं वे लोग, जो कहते हैं, आचरण को बदले बिना अंतस को बदलना असंभव है। उनके कहने में भी गहरा विचार है। वे यह कहते हैं, कि अंतस तक हम पहुंच ही नहीं पाते, बिना आचरण को बदले / वह जो भीतर छिपा है उसका तो हमें कोई पता नहीं है, जो हमसे बाहर होता है उसका ही हमें पता है। तो जिसका हमें पता ही नहीं है उसे हम बदलेंगे कैसे? जिसका हमें पता है उसे ही हम बदल सकते हैं। हमें अपने केंद्र का तो कोई अनुभव नहीं है, परिधि का ही बोध है। हम तो वही जानते हैं जो हम करते हैं। ___ मनसविदों का एक वर्ग है जो कहता है, मनुष्य उसके कर्म के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। कहलर ने कहा है-यू आर व्हाट यू डू / जो करते हो, वही हो तुम, उससे ज्यादा नहीं / उससे ज्यादा की बात करनी ही नहीं चाहिए। हमारा किया हुआ ही हमारा होना है। इसलिए हम जो करते हैं, उससे ही हम निर्मित होते हैं। सार्च ने भी कहा है कि प्रत्येक कृत्य तुम्हारा जन्म है, क्योंकि प्रत्येक कृत्य से तुम निर्मित होते हो, और प्रत्येक व्यक्ति प्रतिपल अपने को जन्म दे रहा है। आत्मा कोई बंधी हुई , बनी हुई चीज नहीं है, बल्कि एक लम्बी शृंखला है निर्माण की / तो जो हम करते हैं, उससे ही वह निर्मित होती है। ___ आज मैं झूठ बोलता हूं तो मैं एक झूठी आत्मा निर्मित करता हूं। आज मैं चोरी करता हूं तो मैं एक चोर आत्मा निर्मित करता हूं। आज मैं हिंसा करता हूं तो मैं एक हिंसक आत्मा निर्मित करता हूं, और यह आत्मा मेरे कल के व्यवहार को प्रभावित करेगी, क्योंकि कल का व्यवहार इससे निकलेगा। 59 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340031
Book TitleMahavir Vani Lecture 31 Sara Khel Kamvasna ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size72 MB
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