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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 मालिक नहीं हैं। हम केवल तंतुओं का एक जोड़ हैं और जगह-जगह से तंतु खींचे जाते हैं, और हमारे भीतर कुछ होता है। इसे महावीर कहते हैं, प्रमाद, मूर्छा, बेहोशी, अचेतना। ___ एक आदमी ने गाली दी, क्रोध हो गया। दोनों के बीच में जरा भी अंतराल नहीं है, जहां आप सजग हुए हों। और जहां आपने होशपूर्वक सुना हो कि गाली दी गयी, और जहां आपने होशपूर्वक भीतर देखा हो कि कहां क्रोध पैदा हो रहा है, आप अगर दूर खड़े हो गये हों, गाली दी गयी है, गाली सुनी गयी है, गाली देनेवाले के भीतर क्या हो रहा है, गाली सुननेवाले के भीतर क्या हो रहा है, अगर इन दोनों के पार खड़े होकर आपने देखा हो क्षणभर, तो उसका नाम होश है। __ कहां लगी गाली, कहां घाव किया उसने, कहां छू दिया कोई पुराना छिपा हुआ घाव, कहां हरा हो गया कोई दबा हुआ घाव, कहां पड़ी चोट, क्यों पड़ी चोट, कहां भीतर मवाद बहने लगी। इसको अगर आपने खड़े होकर निष्पक्ष भाव से देखा हो जैसे यह गाली किसी और को दी गयी हो, और ने तो दी है, किसी और को दी गयी हो, अगर यह भी आपने देखा हो तो आप होश के क्षण में हैं / तो अप्रमाद है। और फिर आपने निर्णय किया हो कि क्या करना, और यह निर्णय शुद्ध रूप से आपका हो / यह निर्णय आपसे करवा न लिया गया हो, यह निर्णय आपका हो। बुद्ध को कोई गाली दे, महावीर को कोई पत्थर मारे, जीसस को कोई सली लगाये, तो भी वह साक्षी बने रहते हैं। यह जो साक्षी भाव है...तो भी वे देखते रहते हैं / जीसस मरते वक्त भी प्रार्थना करते हैं, हे प्रभु! इन सबको माफ कर देना, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं। ___ यह वही आदमी कह सकता है जो अपने शरीर से भी दूर खड़ा हो / नहीं तो यह कैसे कह सकते हैं आप? आपको कोई सूली दे रहा हो, और आप यह कह सकते हैं कि इनको माफ कर देना? जीसस के शिष्य नहीं सोच रहे थे ऐसा / जीसस के शिष्य सोच रहे थे, इस वक्त होगा चमत्कार / पृथ्वी फटेगी, आग बरसेगी आकाश से, महाप्रलय हो जायेगी। जीसस का एक इशारा और भगवान से यह कहना कि नष्ट कर दो इन सबको, अभी चमत्कार हो जायेगा। लेकिन जीसस ने जो कहा वह असली चमत्कार है। अगर जीसस ने यह कहा होता, कि नष्ट कर दो इन सबको, आग लगा दो, राख कर दो इस पूरी भूमि को, जिन्होंने मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया। मैं जो ईश्वर का इकलौता बेटा हूँ / हे पिता, नष्ट कर दे इन सबको, तो शिष्य समझते कि चमत्कार हुआ। लेकिन यह चमत्कार नहीं था, यह तो आप भी करते / यह तो कोई भी कर सकता था। यह चमत्कार था ही नहीं, क्योंकि यह तो जिसको सूली लगती है वह करता ही है, हो या न हो यह दूसरी बात है। सूली तो बहुत दूर है, कांटा गड़ता है तो सारी दुनिया में आग लगवा देने की इच्छा होती है। जरा-सा दांत में दर्द होता है तो लगता है, कोई ईश्वर वगैरह नहीं है। सब नरक है। यह तो सभी करते। आप थोड़ा सोचें, आप सूली पर लटके होते, क्या भाव उठता आपके भीतर? न तो पृथ्वी फटती आपके कहने से, क्योंकि ऐसे फटने लगे तो एक दिन भी बिना फटे नहीं रह सकती। एक क्षण नहीं रह सकती। न कोई सूरज आग बरसाता न और कुछ होता। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आपका मन तो यही होता कि हो जाये ऐसा। ___ मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि ऐसा आदमी खोजना मुश्किल है जो जिंदगी में दस-पांच बार हत्याएं करने का विचार न करता हो। दस-पांच बार अपनी हत्या करने का विचार न करता हो। दस-पांच बार सारी दुनिया को नष्ट कर देने का जिसे खयाल न आ जाता हो, ऐसा आदमी खोजना मुश्किल है। जीसस ने यह जो कहा कि इनको माफ कर देना, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं, इसमें कई बातें निहित हैं। 48 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340030
Book TitleMahavir Vani Lecture 30 Ek hi Niyam Hosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size68 MB
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