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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 चाहते हैं, और केवल दिखाते हैं कि करना चाहते हैं वह हम कल पर छोड़ देते हैं। इसमें गणित है साफ / कोई महावीर को ही पता है, ऐसा नहीं, हमको भी पता है। हमको भी पता है, क्रोध करना हो, अभी कर लो। हम कभी नहीं कहते, कल क्रोध करेंगे। ___ गुरजिएफ का पिता मरा, तो उसने बेटे के कान में कहा कि तू एक वचन मुझे दे दे / मेरे पास और कुछ तुझे देने को नहीं है। लेकिन जो मैंने जीवन में सर्वाधिक मूल्यवान पाया है वह मैं तुझसे कह देता हूं। वह नौ ही साल का था लड़का, समझ भी नहीं सकता था कि बाप क्या कह रहा है / लेकिन उसने कहा, इतना तू याद कर ले, कभी न कभी समझ जायेगा। जब भी तुझे क्रोध आये, तो चौबीस घण्टे बाद करना / कोई गाली दे, सुन लेना, समझ लेना, क्या कह रहा है, उसको ठीक से देख लेना, क्या उसका मतलब है, उसकी पूरी स्थिति समझ लेना ताकि त ठीक से क्रोध कर सके। और उससे कह आना कि अब मैं चौबीस घण्टे बाद आकर उत्तर दूंगा। गुरजिएफ बाद में कहता था, उस एक वाक्य ने मेरे पूरे जीवन को बदल डाला / वह एक वाक्य ही मुझे धार्मिक बना गया। क्योंकि चौबीस घण्टे बाद क्रोध किया ही नहीं जा सका / वह उसी वक्त किया जा सकता है। जो भी किया जा सकता है, उसी वक्त किया जा सकता है। और जब क्रोध न किया जा सका, और बुराई न की जा सकी, तो जो शक्ति बच गयी उसका क्या करना? तो गुरजिएफ ने ध्यान कर लिया आज और क्रोध किया कल / हम क्रोध करते हैं आज, और ध्यान करेंगे कल / शक्ति क्रोध में चुक जायेगी, ध्यान कभी होगा नहीं। गुरजिएफ की शक्ति ध्यान में बह गयी, क्रोध कभी हुआ नहीं। जो हम करना चाहते हैं, हम भी जानते हैं, आज कर लो / समय का कोई भरोसा नहीं। महावीर ही जानते हैं, ऐसा नहीं, हम भी जानते हैं। जो हम करना चाहते हैं, अभी कर लेते हैं / जो हम नहीं करना चाहते-हम बेईमान हैं, नहीं करना चाहते तो साफ कहना चाहिए, नहीं करना चाहते हैं लेकिन हम होशियार हैं। अपने को धोखा देते हैं। हम कहते हैं करना तो हम चाहते हैं, लेकिन अभी समय नहीं है। कल कर लेंगे। __इसे ठीक से समझ लें / जिसे आप कल पर छोड़ रहे हैं, जान लें, आप करना नहीं चाहते हैं / यह अच्छा होगा, ईमानदारी होगी अपने प्रति कि मैं करना ही नहीं चाहता / इसलिए तो शायद आपको चोट भी लगेगी कि क्या मैं ध्यान करना ही नहीं चाहता? क्या मैं शांत होना ही नहीं चाहता? क्या मैं अपने को जानना ही नहीं चाहता? क्या इस जीवन के रहस्य में मैं उतरना ही नहीं चाहता? ___ अगर आप ईमानदार हों तो आपको चोट लगेगी। शायद आपको खयाल आये कि मैं गलती कर रहा हूं। यह करने योग्य जो है, मैं छोड़ रहा हं / होशियारी यह है कि हम कहते हैं, करना तो हम चाहते हैं। कौन मना कर रहा है? मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं, साधना में तो हम जाना चाहते हैं। कौन मना कर रहा है? लेकिन अभी नहीं। यह है तरकीब / इस तरकीब में उनको यह नहीं दिखायी पड़ता कि जो हम नहीं करना चाहते, उसे हम भ्रम पाल रहे हैं कि हम करना चाहते हैं। __ महावीर कहते हैं, 'काल है निर्दयी, और शरीर दुर्बल।' काल पर भरोसा नहीं किया जा सकता, उससे हमारा कोई संबंध नहीं है और शरीर है दुर्बल / शरीर पर हम बहुत भरोसा करते हैं। शरीर पर हम इतना भरोसा करते हैं जो कि आश्चर्यजनक है। क्या है हमारे शरीर की क्षमता? क्या है शक्ति? 98 डिग्री गर्मी और 110 डिग्री गर्मी के बीच में 12 डिग्री गर्मी आपकी क्षमता है। इधर जरा नीचे उतर जायें, 95 डिग्री हो जाये, फैसला हो गया। उधर जरा 110 के करीब पहुंचने लगे, फैसला हो गया। 12 डिग्री गर्मी आपके शरीर की क्षमता है। उम्र कितनी है आपकी? इस विराट अस्तित्व में जहां समय को नापने के लिए कोई उपाय नहीं है, वहां आप कितनी देर जीते हैं? सत्तर वर्ष, अस्सी वर्ष, कोई सौ वर्ष जी गया तो चमत्कार है। सौ वर्ष हमें बहुत लगते हैं। क्या है सौ वर्ष इस समय की धारा में? कुछ भी नहीं है। क्योंकि पीछे है अनन्त धारा, जो कभी प्रारंभ नहीं हुई। और आगे है अनन्त धारा, जो कभी अन्त नहीं होगी। इस अनन्त में सौ 18 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340028
Book TitleMahavir Vani Lecture 28 Samay aur Mrutyu ka Antarbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size78 MB
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