________________ महावीर-वाणी भाग : 1 ध्यान कैसे करूं? निश्चित ही यह गुरु एकान्त में पूछता है। इतना भी साहस नहीं है कि चार लोगों के सामने पूछ सके। रान हुब्बार्ड ने तीन शब्दों का प्रयोग किया है, ध्यान की प्राथमिक प्रक्रिया में प्रवेश के लिए। वे तीनों शब्द महावीर के हैं। रान हब्बार्ड को महावीर के शब्दों का कोई पता नहीं है, उसने तो अंग्रेजी में प्रयोग किया है। उसका एक शब्द है रिमेम्बरिंग, दूसरा शब्द है रिटर्निंग और तीसरा शब्द है रि-लिविंग। ये तीनों शब्द महावीर के हैं। रिटर्निंग से आप अच्छी तरह से परिचित हैं--प्रतिक्रमण / री-लिविंग से आप उतने परिचित नहीं है। महावीर का शब्द है-जाति-स्मरण। पुनः जीना उसको जो जिया जा चुका है। और रिमेम्बरिंग-महावीर ने, बद्ध ने, दोनों ने 'स्मति'... वही शब्द बिगड-बिगडकर कबीर और नानक के पास आते-आते 'सर वही शब्द-स्मृति! रिमेम्बरिंग से हम सब परिचित हैं, स्मृति से। सुबह आपने भोजन किया था, आपको याद है। लेकिन स्मृति सदा आंशिक होती है। क्योंकि जब आप भोजन की याद करते हैं शाम को कि सुबह आपने भोजन किया था, तो आप पूरी घटना को याद नहीं कर पाते, क्योंकि भोजन करते वक्त बहुत कुछ घट रहा था। चौके में बर्तन की आवाज आ रही थी; भोजन की सुगंध आ रही थी; पत्नी आसपास घूम रही थी; उसकी दुश्मनी आपके आस-पास झलक रही थी। बच्चे उपद्रव कर रहे थे, उनका उपद्रव आपको मालूम पड़ रहा था। गर्मी थी कि सर्दी थी वह आपको छू रही थी, हवाओं के झोंके आ रहे थे कि नहीं आ रहे थे-वह सारी स्थिति थी। भीतर भी आपको भूख कितनी लगी थी, मन में कौन से विचार चल रहे थे, कहां भागने के लिए आप तैयारी कर रहे थे, यहां खाना खा रहे थे, मन कहां जा चुका था। यह टोटल सिचुएशन है। जब आप शाम को याद करते हैं तो सिर्फ इतना ही करते हैं कि सुबह बारह बजे भोजन किया था। यह आंशिक है। जब आप भोजन कर रहे होते हैं तो भोजन की सुगंध भी होती है और स्वाद भी होता है। आपको पता नहीं होगा कि अगर आपकी नाक और आंख बिलकुल बंद कर दी जाए तो आप प्याज में और सेव में कोई फर्क न बता सकेंगे स्वाद में। आंख पर पट्टी बांध दी जाए और नाक पर पट्टी बांध दी जाए और बंद कर दी जाए, कहा जाए आपके होंठ पर क्या रखा है अब आप इसको चखकर बताइए, तो आप प्याज में और सेव में भी फर्क न बता सकेंगे। क्योंकि प्याज और सेव का असली फर्क आपको स्वाद से नहीं चलता है, गंध से चलता है और आंख से चलता है। स्वाद से पता नहीं चलता आपको। ___तो बहुत घटनाएं भोजन की सिचुएशन में है, वे आपको याद नहीं आतीं। आंशिक याद है कि बारह बजे भोजन किया था। रिटर्निंग, दूसरा जो प्रतिक्रमण है उसका अर्थ है पूरी की पूरी स्थिति को याद करना-पूरी की पूरी स्थिति को याद करना। लेकिन पूरी स्थिति को भी याद करने में आप बाहर बने रहते हैं। री-लिविंग का अर्थ है-पूरी स्थिति को पुनः जीना।। अगर महावीर के ध्यान में जाना है तो रात सोते समय एक प्राथमिक प्रयोग अनिवार्य है। सोते समय करीब-करीब वैसी ही घटनाएं घटती हैं जैसा बहुत बड़े पैमाने पर मृत्यु के समय घटती हैं। आपने सुना होगा कि कभी पानी में डूब जानेवाले लोग एक क्षण में अपने पूरे जीवन को रि-लिव कर लेते हैं। कभी-कभी पानी में डूबा हुआ कोई आदमी बच जाता है तो वह कहता है कि जब मैं डूब रहा था, और बिलकुल मरने के करीब निश्चित हो गया तो उस क्षण को जैसी पूरी जिंदगी की फिल्म मेरे सामने से गुजर गयी—पूरी जिंदगी की फिल्म एक क्षण में मैंने देख डाली। और ऐसी नहीं देखी कि स्मरण की हो, इस तरह से देखी कि जैसे मैं फिर से जी लिया। मृत्यु के क्षण में, आकस्मिक मृत्यु के क्षण में जब कि मृत्यु आसन्न मालूम पड़ती है, आ गयी मालूम पड़ती है, बचने का कोई उपाय नहीं रह जाता है और मत्य साफ होती है, तब ऐसी घटना घटती है। महावीर के ध्यान में अगर उतरना हो तो ऐसी घटना नींद के पहले रोज घटानी चाहिए। जब रात होने लगे और नींद करीब आने लगे तो-रि-लिव, पहले तो स्मृति से शुरू करना पड़ेगा। सुबह से लेकर सांझ 322 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org